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विश्व स्वास्थ्य दिवस विशेषः देश के बच्चों के नाम स्वस्थ भारत अभियान के संयोजक आशुतोष कुमार सिंह की पाती

आप स्वस्थ रहेंगे तो देश स्वस्थ होगा
 
प्यारे बच्चों!
सबसे पहले आप सबका अभिनंदन करता हूं। आज आपसे खूब बातचीत करूंगा। आपलोगों से बातचीत किए बहुत समय हो गया था। मेरा भी मन नहीं लग रहा था। इसलिए आपसे बतियाने चला आया हूं। आपको मालूम है इन दिनों आप बच्चों से बातचीत करने के लिए एक यात्रा चल रही है। इस यात्रा का नाम ‘स्वस्थ भारत यात्रा’ रखा गया है। और इस यात्रा में यात्री दल स्कूलों में जाकर आप बच्चों से सेहत की बात कर रहे हैं। अभी तक आप जैसे 50 हजार से ज्यादा बच्चों से उन्होंने बात की है। यात्रा कर रहे लोगों ने बताया कि वे जहां भी जाते हैं सबसे पहले बच्चों से एक ही सवाल पूछते हैं कि आपके लिए सेहत क्या है? सेहत का मतलब क्या है? बहुत से बच्चों ने इस सवाल का जवाब दिया है। उसी तरह आप भी अपने मन को टटोलिए की आप सेहत को लेकर क्या सोचते हैं? आगे पढ़ने से पहले आप दो मिनट अपनी आंखों को बंद कीजिए और सोचिए की आपके हिसाब से सेहत क्या है?
अब आपने सोच लिया होगा। चलिए अब मैं बताता हूं कि यात्री दल ने आपके मित्रो के बारे में क्या बताया? राजस्थान के जयपुर में वे एक स्कूल में गए थे। वहां पर नर्सरी से पांचवी तक के बच्चे पढ़ रहे थे। सबने अपनी-अपनी बात बताई सेहत को लेकर। एक पांच साल की बच्ची ने सेहत के बारे में कहा, सेहत का मतलब ‘हेल्प’ करना होता है। यात्री दल की बात सुनकर मुझे लगा कि सच में अपने देश के बच्चे कितने होशियार हैं। उनकी समझ कितनी अच्छी है। तभी मुझे मेरे गुरु जी की बात याद आई। वे बताया करते थे कि दूसरो की मदद करना सबसे अच्छी आदत है। जो लोग दूसरों की मदद नहीं करते वे समाज में अच्छे नहीं माने जाते हैं। ऐसे में सिद्ध होता है कि मदद की प्रवृति वाला आदमी ही स्वस्थ मानसिकता वाला कहला सकता है।

 
अच्छा तो बच्चों एक सवाल आपसे और पूछू? आप बतायेंगे न। तो हो जाइए तैयार। ईमानदारी से बताइयेगा आप कितने घंटे तक टीवी देखते हो?  यह सवाल यात्री दल के लोग सभी स्कूलों में पूछते हैं। उन्होंने मुंबई के एक लड़के की कहानी मुझे बताई थी। उसका नाम दीपक था। वो 8-8 घंटे प्रतिदिन टीवी देखता था। उसकी क्लास टीचर ने बताया था कि दीपक अपनी क्लास में सबसे कम नंबर लाता हैं। उन्होंने यह भी बताया कि टीवी ज्यादा देखने के कारण उसकी आंखों में चश्मा लग गया है। तो बच्चों आप ही बताओं टीवी ज्यादा देखना चाहिए या कम। अगर आपको टीवी देखना भी हो तो अपना पूरा होमवर्क कर के 1 घंटे से ज्यादा नहीं देखनी चाहिए। नहीं तो आपको भी दीपक की तरह आंखों में चश्मा की जरूरत पड़ सकता है।
इसी तरह एक कहानी दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य की है। यात्री दल बंगलुरु के एक स्कूल में गए तो वहां के बच्चों से उन्होंने पूछा कि आप में से चाय कितने बच्चे पिते हैं? दो चार बच्चों को छोड़कर सभी ने हाथ उठाया। फिर उन्होंने पूछा कि हरी, लाल, सफेद एवं ब्राउन में से कौन-सी चाय पिते हैं? इस सवाल पर सभी जोर से हंसे ठीक वैसे ही जैसे आपको अभी हंसी आ रही है। लाल,सफेद और ब्राउन चाय के बारे में तो बच्चों ने बताया लेकिन हरी चाय पिने वालों की संख्या न के बराबर थी। फिर उन्होंने उनसे पूछा कि क्या वे तुलसी के पौधे को देखे हैं? सबने हाथ उठाया। तब उन्होंने बताया कि हरी चाय तुलसी के पौधे की पत्तियों से बनती है। एक बच्चे ने तुलसी के फायदे को बताते हुए कहा कि तुलसी के पत्तों का सेवन करने से हमें खांसी, सर्दी एवं जुकाम नहीं होता है। साथ ही तुलसी का पौधा जहां ज्यादा होता है वहां पर मच्छर नहीं पनपते और वायु प्रदूषण भी नियंत्रण में रहता है। तो अब बताओ बच्चो एक तुलसी के पौधे का कितने फायदा है। इसे ही न कहते हैं ‘आम के आम और गुठलियों के दाम’। क्योंकि अगर आप घर में तुलसी का चाय पीने लगेंगे तो एक तो चाय पत्ति पर जो खर्च होता है, वो नहीं होगा, दूसरी बात यह कि आपकी सेहत भी ठीक रहेगी।
इसी तरह महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जब वेलोग थे तो वहां के बच्चों से उन्होंने पूछा था कि वे मुंह कैसे धोते हैं? सबने बताया कि टूथपेस्ट से। उन्होंने उनको नीम के दातुन से मुंह धोने की सलाह दी। क्या आप बच्चों को नीम के पेड़ के बारे में कुछ जानकारी है। नहीं न!  मैं बताता हूं। नीम भी एक औषधीय पेड़ है। इसके तने, छाल, पत्ते एवं बीज सब के सब औषधि के रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि अगर हम नीम से दातुन करें तो हमारे दांतों में कोई बीमारी नहीं फैलेगी और इसका फायदा हमारे पेट को भी होगा। लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न तो यह उठता है कि नीम से दातुन तो हम तब करेंगे, जब नीम के पेड़ होंगे। तो बच्चों!  क्या आपलोग उनकी एक सलाह मानेंगे। आप सभी लोग भी अपने आस-पास एक-एक नीम का पेड़ लगाइए। केरल के तिरुवनंतपुरम के बच्चों ने यह संकल्प लिया है कि वे नीम का पेड़ एवं तुलसी का पौधा ज्यादा से ज्यादा लगायेंगे। तो आप भी उनकी तरह यह संकल्प लीजिए कि नीम का पेड़ लगाएंगे। बच्चों! आपको मालूम है अभी हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक आंकड़ा जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि दुनिया में 5 वर्ष तक के 17 लाख बच्चे सिर्फ पर्यावरणीय प्रदुषण के कारण प्रत्येक वर्ष मर रहे हैं। ऐसे में बच्चों यह जरूरी हो जाता है कि हम पेड़-पौधे ज्यादा से ज्यादा लगाएं ताकि हम अपनी पर्यावरण की रक्षा कर सकें। क्यों सही कह रहा हूं न। मुझे मालूम है आपलोग बहुत अच्छे बच्चे हो और आप इस बात को मानेंगे भी।
इसी तरह तमिलनाडू के विजयवाड़ा के बच्चों से यात्री दल ने उनके प्रिय कार्टून करैक्टर के बारे में जानना चाहा। आप जानना चाहेंगे विजयवाड़ा के बच्चों ने क्या बताया? उन्होंने बताया कि उनका पसंदीदा कार्टून करैक्टर मोटू-पतलू, क्रिस, छोटा भीम है। फिर उन्होंने पूछा कि पतलू क्या करता है? बच्चों ने बताया पतलू दिमाग लगाता है। फिर सवाल उठता है कि आखिर पतलू दिमाग कैसे लगा लेता है? इसका उत्तर वहां की एक बच्ची ने दिया। उसने बताया कि पतलू दिमागी रूप से बहुत तंदुरूस्त है यानी हेल्थी है अर्थात वह स्वस्थ है। तो बच्चो अगर आपको भी पतलू की तरह या छोटा भीम की तरह बनना है तो स्वस्थ तो रहना पड़ेगा न। और स्वस्थ रहने के लिए हमें वे सारे काम करने होंगे जो स्कूल में बताए जाते हैं। स्कूल की मैडम या सर जो बताते हैं वो अगर हम नहीं मानेंगे तो स्वस्थ कैसे रहेंगे हम। स्कूल में ही एक बच्ची ने बताया कि सारे बच्चे चॉकलेट बहुत खाते हैं। अगर आप चॉकलेट ज्यादा खाओगे तो आपके दांत खराब हो जाएंगे। ऐसे में बच्चों आप लोग भी चॉकलेट कम से कम खाइए।
आप बच्चों से इतनी बात इसलिए कर रहा था क्योंकि 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस है। दुनिया में जब बीमार लोगों की संख्या बढ़ने लगी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को इसकी चिंता हुई। उसे लगा कि दुनिया के लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत करने की जरूत है। इसी उद्देश्य को लेकर डब्ल्यूएचओ ने 1948 में पहली स्वास्थ्य सभा का आयोजन किया। इस स्वास्थ्य सभा में यह संकल्प लिया कि 7 अप्रैल 1950 से प्रत्येक वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जायेगा। तब से लेकर अब तक पूरी दुनिया 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाती आ रही है। और पूरी दुनिया इस दिन स्वास्थ्य की कामना करती है। आपको मालूम हैं बच्चों 1942 में हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए कहा था। जानते हैं क्यों? क्योंकि वे हमारे देश को खोखला कर रहे थे। अंग्रेजों को गांधी जी देश के लिए बीमारी समझते थे। इसलिए उन्होंने कहा कि अंग्रेजों भारत छोड़ो। इस आंदोलन के 75 वर्ष पूरे होने पर क्या हमलोग यह संकल्प नहीं ले सकते कि बीमारी भारत छोड़ो।
तो बच्चों आओं हमलोग भी संकल्प लें कि हम अपने घर-समाज में बीमारी को नहीं घुसने देंगे। बीमारी को भगायेंगे। ऐसा कुछ भी नहीं खायेंगे जो हमारे सेहत के लिए ठीक न हो। पेड़-पौधों से दोस्ती करेंगे। तुलसी की चाय पियेंगे। नीम के दातुन से मुंह धोएंगे। और दूसरों के बारे में कभी भी बुरा नहीं सोचेंगे। तभी जाकर हमारा देश और पूरी दुनिया स्वस्थ हो पायेगी। और हम सभी जिस स्वस्थ समाज की परिकल्पना कर रहे हैं, वह पूरा हो पायेगा।
तो बच्चों फिलहाल इतना ही। आपसे फिर बात करने आउंगा। किसी नए विषय के साथ।
जय हिंद
आपका चाचा
आशुतोष कुमार सिंह
 
 
 
 
(लेखक स्वस्थ भारत न्यास के चेयरमैन हैं. स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का संदेश लेकर 21000 किमी की स्वस्थ भारत यात्रा अभी-अभी पूरा कर दिल्ली लौटे हैं।
संपर्क (forhealthyindia@gmail.com)
 

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