स्वस्थ भारत मीडिया
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यह विचार यात्रा है

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दुनिया के सबसे चर्चित शब्दों की बात की जाए तो उसमें से एक है ‘विकास’। विकास की दौड़ हम सभी लगा रहे हैं। हम सभी चाहते हैं कि व्यष्टिगत व समष्टिगत विकास हो। विकास की इस यात्रा में सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि विकास किस रूप में हो? विकास की कसौटी क्या हो? विकास की विचारधारा क्या हो?
जब इन सवालों से हम जूझते हैं तो एक समाधान नजर आता है कि हम स्वस्थ हों। सब स्वस्थ हों। यानी स्वास्थ्य की राह से ही विकास तक पहुंचा जा सकता है। सच तो यह है कि विकास की कसौटी भी स्वास्थ्य ही हो सकती है। इस संदर्भ में हम भारतीय स्वास्थ्य चिंतन के मामले में पिछड़े हुए हैं। यदि पुरूष-महिला की दृष्टि से भारतीय स्वास्थ्य की स्थिति को देखें तो यह पायेंगे कि अभी भी महिला स्वास्थ्य की स्थिति चिंतनीय है। इसी चिंता को कम करने के उद्देश्य से हमने ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ की परिकल्पना की है। हमारा स्पष्ट रूप से मानना है कि देश को सही अर्थों में स्वस्थ होना है तो पुरूष-महिला दोनों के स्वास्थ्य पर समान रूप से ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे में महिलाओं, बच्चियों के स्वास्थ्य के प्रति समाज का नजरिया व घर वालों की लापरवाही स्वस्थ समाज की संकल्पना को बाधित करने वाली है। इस बाधा को लोगों को जागरूक कर के ही दूर किया जा सकता है। इसी संदर्भ में स्वस्थ भारत यात्रा की परिकल्पना की गई है। और आज हम ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ का संदेश लेकर पूरे देश में भ्रमण पर निकले हैं।
यह सिर्फ साइकिल यात्रा नहीं है बल्कि यह विचार यात्रा हैं। विचारों को परिवर्तित करने के लिए एक संकल्प यात्रा है। यह सकारात्मकता को फैलाने के लिए सकारात्मक शक्तियों की आह्वान यात्रा है। यह स्वस्थ भारत की संकल्पना को पूर्ण करने के लिए स्वास्थ्य यात्रा है। इस पूरी यात्रा में पुलिस ऑफिसर दलजिन्दर सिंह और डॉ. गणेश राख की उपस्थिति युवाओं को अपनी ओर आकृष्ट करेगी। साइक्लिस्ट दलजिन्दर सिंह यूनिक वर्ल्ड रिकार्डधारी हैं। हमें इस बात की खुशी है कि यात्रा टीम में एक से बढ़कर एक चिंतनशील व कर्मठ यात्री हैं। धीप्रज्ञ द्विवेदी जहां पर्यावरण की विशेषता के साथ टीम को संबंल प्रदान कर रहे हैं वहीं ऐश्वर्या सिंह अपनी प्रबंधकीय कौशल से टीम के एका को एक माला में पिरोने का काम कर रही हैं। रिजवान रजा जैसे अनुभवी सामाजिक कार्यकर्ता का साथ हमें मिल रहा है जो इस यात्रा के समन्वयक भी हैं।
इस पूरी यात्रा में गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है। महात्मा गांधी भी भारतीयों के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित रहते थे। स्वच्छता की बात हो अथवा स्वास्थ्य की वे सभी की चिंता करते थे। प्राकृत चिकित्सा को वो रामवाण मानते थे। गांधी जी का दर्शन आज के दौर में और भी प्रासंगिक हो चुका है।
2012 में सबसे पहले हमने स्वस्थ भारत अभियान की परिकल्पना की थी उस समय मुझे अंदाजा नहीं था कि महज चार वर्षों में यह कारवां इतना विस्तारित हो जायेगा। स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवा को सुलभ, गुणवत्तायुक्त और सस्ता कराने का हमने संकल्प लिया था। उस संकल्प का सकारात्मक परिणाम भी सामने दिखने लगा है। नई सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बहुत सचेत व संजिदा नजर आ रही है। इस नाते हमें उम्मीद है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सार्थक बदलाव को और गति मिल सकेगी।
भारत स्वस्थ हो। देश की बेटियां स्वस्थ हों। समाज स्वस्थ हो। हम और आप स्वस्थ रहे और दूसरों को रखें। इसी कामना के साथ…
आपका
आशुतोष कुमार सिंह
चेयरमैन, स्वस्थ भारत (न्यास)
 

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