डॉक्टरों की घसीट लिपि का मामला संसद में उठा, दवाओं का नाम साफ-साफ लिखने का निर्देश….
SBA DESK
तो अब डॉक्टर साहब दवाइयों के नाम घसीट कर नहीं लिख पायेंगे। केंद्र सरकार ने भारतीय चिकित्सा परिषद नियमन 2002 के नियमों में
संशोधन किया है और चिकित्सकों को दवाओं का नाम स्पष्ट और कैपिटल लेटर में लिखने का निर्देश दिया है। लोकसभा में कुछ सांसदों की चिंताओं को स्वीकार करते हुए स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार ने सुधारात्मक उपाए किये हैं। इससे पहले कुछ सांसदों ने प्रश्नकाल के दौरान इस विषय को उठाते हुए कहा कि डाक्टरों के स्पष्ट रूप से नहीं लिखने के कारण गंभीर
परिणाम हो सकते हैं और कुछ मामलों में मौत भी हो सकती है। नड्डा ने कहा कि सरकार ने भारतीय चिकित्सा परिषद नियमन 2002 के नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी है जिसमें कहा गया है कि चिकित्सक दवाओं का नाम स्पष्ट और कैपिटल लेटर में लिखें।
स्वस्थ भारत अभियान टीम की जीत
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस मसले को स्वस्थ भारत अभियान लगातार उठाता रहा है। स्वस्थ भारत अभियान के संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने 31 अगस्त, 2012 में फेसबुक के माध्यम से देश के डॉक्टरों से साफ-साफ अक्षरों में दवाइयां लिखने के लिए अपील किया था। जिस अपील-पत्र को इस अभियान से जुड़े हजारों साथियों ने अपने-अपने डॉक्टरों तक पहुंचाया था। फेसबुक पर भी इस पर जमकर चर्चा हुई थी। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने इस अपील पत्र का साझा किया था। इस मेहनत का असर दो वर्ष बाद देखने को मिल रहा है। सरकार के इस फैसले का स्वागत स्वस्थ भारत अभियान करता है। वहीं दूसरी तरफ सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या इस नियम का पालन डॉक्टर करेंगे!