स्वस्थ भारत मीडिया
चिंतन

कैंसर-मरीज के नाम पर कहीं आपको लूटा तो नहीं जा रहा!

यह आपबीती है मुंबई में रहने वाले प्रकाश सुमन की। स्वास्थ्य के नाम पर समाज को ठगने वालो से सावधान रहने की जरूरत है।

donateBoxमुंबई/ 4 महीने पहले मेरी मुलाकात ऐसे दो लोगो से लोकल ट्रेन में हुई थी जिन्हें बीमारी के नाम पर लोगो से पैसे मांगते हुये देखता था,कभी-कभी 100 -50रुपये दे भी देता था । पर उस दिन मुझे कुछ अटपटा लगा  था। उनलोगो के गले में आई-कार्ड था और एक बच्चे का फ़ोटो था जो किसी हॉस्पिटल के बेड पर था। दोनों के पास NGO का रजिस्टर्ड लेटर भी था। दोनों स्टूडेंट लग रहे थे। अंग्रेजी-मराठी-हिंदी में बोल कर डोनेट करने के लिए बार-बार लोगो से आग्रह कर रहे थे। उस डब्बे में बैठे बहुत से लोगो ने 100 -50 दिए मुझे भी लगा कि मदत करनी चाहिये। वैसे तो मैं कुछ कर नहीं पाता। आशुतोष जी हमेशा मुझे प्रोत्साहित करते रहते थे, सोचा चलो आज कुछ कर देते हैं। मैंने उन दोनों से कहा कि मैं 1 लाख डोनेट करना चाहता हूँ, मुझे उस बच्चे के पास ले चलो। ट्रेन के सारे लोग मुझे अजीब दृष्टि से देखने लगे मानो मैं कोई होशियारी दिखा रहा हूँ, या बड़ा दानी बनने की कोशिश कर रह हूँ। खैर, वो दोनों पहले तो थोडा घबराए, फिर लड़की बोली- पुणे के अस्पताल में है वो बच्चा। मैंने जवाब दिया- कोई बात नहीं, चलिये हम आपके साथ चलेंगे। तब तक फ़ास्ट ट्रेन अँधेरी में रुक गई और मैं भी उन लोगो के साथ ट्रेन से उतर गया।  बस से पुणे चलने की तैयारी करने लगा, चूकी वेस्टर्न से पुणे के लिए बहुत ही कम ट्रेनें जाती है। तभी लड़की ने कहा- मुझे घर में पापा को बताना पड़ेगा।  मैंने जवाब दिया- बता दो फोन कर के। लड़की ने कहा पापा के पास फोन (मोबाइल) नहीं है हमें जाना पड़ेगा । मैंने कहा- ठीक है आप जा कर आ जाओ हम लोग तुम्हारा वेट करते हैं, तभी लड़की बोली की नहीं रोहन (लड़के का नाम) को भी साथ में जाना पड़ेगा नहीं तो पापा पुणे नहीं जाने देंगे। मैंने कहा फिर मैं भी आपके साथ आपके घर चालता हूं। अब वे लोग थोड़ा और घबरा गए। ये सब घटना क्रम आते-जाते लोग देख रहे थे। तब लड़के ने कहा- आप तकलीफ मत उठाइये आप यहीं इंतजार कीजिए हम आधे घण्टे में आते हैं। अब मुझे शक होने लगा था कि कुछ गड़बड़ है। फिर भी मैंने कहा- कोई बात नहीं हम साथ चलते है। तब लड़की ने कहा की अगर आप डोनेट करना ही चाहते है तो चेक दे दीजिये, इतनी तकलीफ क्यों उठा रहे है, हम आपको रसीद दे देते हैं। मैंने कहा- नहीं मुझे उस बच्चे से मिलना है। अब तो उन दोनों की हालात और खराब हो गई। तब लड़की ने कहा रहने दीजिये अगर आपको हमपे भरोसा नहीं है तो आप डोनट मत कीजिये। मैंने कहा- कोई 1 लाख ऐसे ही तो नहीं दे देगा न, जिसे मदत की जरुरत है उसे डायरेक्ट दूं तो मुझे ज्यदा ख़ुशी मिलेगी। अब लड़के ने कहा- हमें आपका डोनेशन नहीं चाहिये आप जाइये। ये कह के दोनों जाने लगे। मैंने कहा- क्यों उस बच्चे के मदत के लिए मैं इतनी बड़ी रकम दे रहा हूँ क्यों नहीं चाहिये, पर वे लोग मेरी बात अनसुनी कर के चले जा रहे थे। लड़की ने कहा आप हम लोगो का टाइम वेस्ट मत कीजेये हमें जाने दीजिये। मैंने सीधे कहा- तुम लोग बच्चे के बीमारी के नाम पर फ्रॉड कर रहे हो! और दोनों रिक्शा में बैठे और चलते बने। मैं पागलो की तरह आवाज़ लगाता रह गया। सब लोग मुझे देख कर घूरने लगे जैसे मैंने कोई गलती कर दी हो या मैं कोई पागल हूँ। मुझे अजीब सा लगने लगा क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
फिर मैंने पुलिस में कंप्लेन लिखाने की सोची फिर सोचा पुलिस तो कुछ करेगी नहीं। फिर भी हिम्मत कर के अँधेरी रेलवे पुलिस स्टेशन गया और 2 घंटे इन्तजार करने के बाद सारी बात बताई पर ये कह कर कोई कंप्लेन नहीं ली गई कि आपके साथ तो कुछ नहीं हुआ न तो किस बात की शिकायत और मुझे भगा दिया गया। मैं लगातार 7 दिन तक अलग अलग रेलवे पुलिस थाने में चक्कर काटता रहा पर कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं था। फिर मैंने ऑनलाइन रेलवे पुलिस में कंप्लेन की। अब तक कोई जवाब तो नहीं आया पर अब बीमारी के नाम पर NGO का लेटर लिये हुये लोग नहीं दिखते। मुझे लगा शायद कुछ असर हुआ है मेरे कंप्लेन का।
प्रकाश सुमन
मुम्बई से….
मो.9702099550

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