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अच्छी आदतों से जोड़ने का काम करता है योग

सिद्धार्थ झा
इस बार अंतराष्ट्रीय योग दिवस देहरादून में एक बार फिर बड़े स्तर पर आयोजित किया जा रहा है।यह चौथा योग दिवस है लेकिन लगता नही है कि यह दिन मनाते हुए हमें सिर्फ चार साल हुए है क्योंकि योग और ध्यान हमारे जिंदगियों में रच बस गए हैं। योग जिसे कुछ समय पहले ऋषि मुनियों की साधना और स्वस्थ जीवन के आधार समझा जाता था आज की तारीख मे सिर्फ भारत में ही नही पूरे विश्व की रगों में प्रवाहित हो रहा है । देश-विदेश में लोगों पर योगध्यान का ऐसा जादू चढ़ा है कि यह अब एक बड़ी इंडस्ट्री की शक्ल अख्तियार कर चुका है।
आज पूरा विश्व भारत की तरफ टकटकी लगाए देख रहा है और भारत के सामने योग का एक बहुत बड़ा बाज़ार है। जहाँ तक भारत की बात की जाए तो लोगो की सुबह की शुरुवात ही योग ध्यान से होती है और अब तो स्कूल , कॉलेज, सरकारी या कॉर्पोरेट कार्यालय ,सेना अस्पताल ऐसा कोई क्षेत्र नही है जहाँ योग से लोग लाभान्वित न हो रहे हों। लोगो के दिन की शुरुवात ही घर या पार्क मे योग और व्यायाम द्वारा होती है लोगो मे जागरूकता का आलम ये है की वो योग और व्यायाम को अपनी जिंदगी मे नियम की तरह पालन करते है। 
राजपथ गवाह है जब 21 जून 2015 को जब पहला अतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था। कितनी बड़ी संख्या मे आम लोगो ने इसमे अपनी भागीदारी की थी और वो सिलसिला आज भी जारी है।  पीएम मोदी ने 27 सितंबर 2014 को जिस अंदाज में संयुक्त राष्ट्र संघ में 21 जूनको विश्व योग दिवस के रुप में मनाने की अपील की और जिस ग्रैंड अंदाज में विश्व के 192 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया और 177 देशों ने सह-प्रायोजक बनना स्वीकार किया, वो अभूतपूर्व था। यूं कहें कि प्रधानमंत्री की अगुआई में योग दिवस के प्रस्ताव से इसके पास होने तक जो कुछ भी किया गया उससे भारत योग के एक ब्रांड के तौर पर उभर कर सामने आया। आज अन्तराष्ट्रिय योग दिवस सिर्फ एक सरकारी खानपूर्ति का दिन नहीं बल्कि एक बहुत बड़े उत्सव और त्योहार मे तब्दील हो चुका है । 
दरअसल योग सिर्फ स्वस्थ जीवन का ही आधार नही है बल्कि ये लोगो को जोड़ने का माध्यम भी बनकर उभरा है। प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर प्राणायाम करके लोगो को प्रेरणा भी दी। हालांकि वो समय- समय पर ऐसा करते रहते है जिससे की देशवासी सेहतमंद और फिट रहें । योग की लोकप्रियता का आलम ये है की क्या आम क्या ख़ास आज हर कोई योग से अपनी जिंदगी संवार रहा है। इस बीच सोशल मीडिया पर तमाम मंत्रियो और गणमान्य लोगों ने फिटनेस चेलेंज दिया जो इस बात का सबूत है योग का प्रचार प्रसार कितनी तेज़ी से हुआ है। 
आज ज्यादातर अस्पतालो मे भी तेज़ी से योग शिक्षको की मांग बढ़ी है और उनके लिए नए नए पद सृजित किए जा रहे है। यानि ज्ञान और विज्ञान अब कदम से कदम मिला कर मानवता की सेवा कर रहे हैं। सही अर्थों में मानव सेवा ही योग का मूल संदेश भी है। योग का एक मतलब जोड़ना भी होता है। हमें अच्छी आदतों से, अच्छे व्यवहार से, अच्छी जीवन-शैली से जोड़ना भी योग का काम हैं।
लेखक परिचय
लेखक टीवी पत्रकार हैं। इन दिनों लोकसभा टीवी को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सामाजिक मसलों पर देश के विभन्न-पत्र-पत्रिकाओं में लिखते रहते हैं। सेहत आपका पसंददीदा विषय है। स्वस्थ भारत अभियान को आगे बढ़ाने में सक्रीय रहते हैं।

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