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करें योग, रहें निरोग

आचार्य डॉ. अनल देव
धीरे-धीरे आसन के संबंध में आम समाज की रुचि बढ़ी है। आसन के संबंध में कम शब्दों में कुछ कहा जाए तो यह शांत, सुखी और स्थिर रहने की विधि है।
योग का महत्व बढ़ा
आज के महानगरीय जीवन शैली  में जहां सब धीरे-धीरे व्यस्त और मशीनों पर निर्भर होते जा रहे हैं। योगासन का महत्व अपने आप बढ़ गया है। योगासन की मदद से हम प्राकृतिक स्वास्थ के साथ-साथ स्वाभाविक सुंदरता भी पा सकते हैं।
योगाभ्यास और व्यायाम में अंतर peace-and-meditation-1-523aaa5251df3_exl
व्यायाम में मांसपेशियां पुष्ट होती हैं। जबकि योगाभ्यास से हमारे शरीर की ऊर्जा बढ़ती है। जिससे हमारी कार्यक्षमता के साथ-साथ मानसिक दक्षता भी बढ़ती है। योगाभ्यास से प्राण ऊर्जा की दिन प्रतिदिन वृद्धि होती है। शरीर के प्रत्येक अंग एवं अवयव ऊर्जावान होते हैं। जिससे शरीर  स्वस्थ होता है, शरीर की बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी बढ़ती है।
योगासन के लाभ
– आसन से पाचन संस्थान मजबूत होते हैं। यह पेट की सफाई के लिए उपयोगी साबित होता है।
– योगासन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है, जिसकी वजह से आपसे बुढ़ापा दूर रहता है।
– आसन आपके मन और तन दोनों  को स्थायी रुप से स्वस्थ बनाता है।
– इसके नियमित अभ्यास से शरीर में रोग प्रति रोधक शक्ति बढ़ती है। जिससे शरीर स्वस्थ बना रहता है।
– आसन से श्वास  क्रिया का नियमन होता है, फेफड़ा तथा हृदय मजबूत होता है।
– आसन आपकी मांसपेशियों को बलिष्ठ बनाता है, जिससे मोटापा घटता है और दुर्बल व्यक्ति स्वस्थ और सुंदर होता है।
– इसके लिए लिए किसी प्रकार का अत्यन्त खर्च नहीं उठाना पड़ता। थोड़ा सा संयम बरत कर आप इसका अधिक से अधिक लाभ ले सकते हैं।
– इससे चेहरे की सुंदरता तथा तेज बढ़ता है।
– आसन से रक्त की शुद्धि  और वृद्धि  होती है।
– आसनों के नियमित अभ्यास से आंखों और बाल की समस्या अपने आप दूर होती है।
आज के समय में योगासन की उपयोगिता से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसकी उपयोगिता का ही असर है कि आज के समय में विश्व के दूसरे हिस्सों में योग के प्रति लोग-बाग आकर्शित हो रहे हैं। भारतीय योगी जब दुनिया के दूसरे हिस्सों में योगासन को लेकर किसी कार्यक्रम का आयोजन करते हैं तो बड़ी संख्या में स्थानीय आबादी उस कार्यक्रम में रुचि लेती है।
योगासन करते समय बरतें कुछ सावधानी
– खुले फर्श  पर आसन नहीं करना चाहिए। वहां दरी या चादर बिछा लें।
– ध्यान रखें कि आसन करने का स्थान उबड़-खाबड़ ना हो। आसन का स्थान समतल होना चाहिए।
– सुबह के समय आसन करने से पहले शौच आदि से  निवृत हो जाएं, और आसन करते समय पेट खाली रखें ।
– स्नान का कार्यक्रम आसन के 30 मिनट पहले रखें या उसके 30 मिनट बाद।
– आसन करते समय आपका चित्त शान्त होना चाहिए मन प्रसन्न।
– आसन का वस्त्र मौसम के अनुकूल हो और अपेक्षाकृत ढीला-ढाला हो।
– अधिक दबाव, खींचाव के साथ कोई आसन नहीं करें।
– यदि किसी अंग विशेष में दर्द हो तो फौरन चिकित्सक से संपर्क करें।
– किसी कुशल योग परीक्षक की सलाह और देखरेख में आसन प्रारंभ करना ही उचित होगा।
– योगाभ्यास प्रारंभ करने के दौरान शरीर में दर्द की शिकायत हो, अथवा अभ्यास सही तरह से ना हो रहा हो तो आराम से अभ्यास करते रहें। इससे शरीर लचीला हो जाएगा। – हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति, जिनको रक्तचप की समस्या हो, अथवा शरीर से कमजोर व्यक्ति निश्चित  तौर पर किसी योग गुरु के  संरक्षण में ही योगाभ्यास करें।
– मासिक धर्म के समय, गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के तीन महीने बीत जाने तक महिलाएं योग ना करें।
– आसन को प्रारंभ करते समय और अंत करते समय शवासन (विश्राम) अवशय  करें।
बिना किसी खर्च के आजीवन स्वस्थ रहने का अचुक नुस्खा है योगासन। फिर देर किस बात की है, क्यों नहीं आप निरोग रहने के लिए योग का  दामन थामते ?
(लेखक योग प्राकृतिक चिकित्सा विषेशज्ञ हैं, यह लेख उनसे बातचीत पर आधारित है)

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