नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। सरकार अपने मालिकाना हक वाली आयुर्वेद कंपनी इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल कॉरपोरेशन (IMPCL) को बेच रही है। मैनकाइंड फार्मा और बैद्यनाथ आयुर्वेद ने इस कंपनी में सौ फीसद हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक्सप्रेशंस ऑफ इंटरेस्ट (अभिरुचि पत्र) जमा किया है। यह कंपनी आयुष मंत्रालय के तहत आती है। इसका उत्पादन नैनीताल के रामनगर में होता है।
पतंजलि ने नहीं दिखायी रुचि
मीडिया खबरों के मुताबिक इसके लिए एक प्राइवेट इक्विटी फंड और एक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी ने भी बोली लगाई है। इस प्रक्रिया में पतंजलि आयुर्वेद के भी शामिल होने की उम्मीद थी। लेकिन उसने एक्सप्रेशंस ऑफ इंटरेस्ट जमा करने से मना किया है। डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय ने 30 अक्टूबर को ट्वीट किया था कि इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल कॉरपोरेशन के विनिवेश के लिए कई Eoi मिली हैं।
250 करोड़ रुपये था कंपनी का रेवेन्यू
जानकार बताते हैं कि 2022 में इसका राजस्व 250 करोड़ और प्रॉफिट मार्जिन करीब 25 फीसद था। इसकी शुरुआत 1978 में हुई थी। यह कंपनी 6000 जन औषधि केंद्रों को भी दवाओं की सप्लाई करती है। इसके अलावा सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) के तहत चलने वाली डिस्पेंसरी और क्लीनिक को यही दवाओं की आपूर्ति करती है। फिलहाल यह कंपनी 656 क्लासिकल आयुर्वेदिक, 332 यूनानी और 71 प्रोप्राइइटरी आयुर्वेदिक दवाएं बनाती है। कंपनी नेशनल आयुष मिशन के तहत सभी राज्यों को आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं की आपूर्ति करती है।
2019 में बेचने पर लगी थी रोक
IMPCL फैक्ट्री को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया को नैनीताल हाईकोर्ट ने दिसंबर 2019 में रोक दिया था। हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि इस बारे में आखिरी फैसला लेने से पहले राज्य सरकार और केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के उठाए बिन्दुओं, आपत्तियों का अन्तिम निस्तारण होने तक इसे निजी हाथों में न सौंपा जाए। वहां के निवासी नीरज तिवारी ने पीआईएल दाखिल करते हुए कहा था कि आईएमपीसीएल दवा फैक्ट्री में हिमालयन जड़ी-बूटी से दवा निर्माण होता है। इसमें लगभग 500 कर्मचारियों को नौकरी और 5000 किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से कार्य मिला है। निजी हाथों में देने पर दवा के रेट बढेंगे और रोज़गार का भी संकट खड़ा हो जाएगा।