बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहारी मजदूरों को घर में ही रोजगार दिलाने की दिशा में सार्थक प्रयास करते हुए नज़र आ रहे हैं। पूरी रिपोर्ट लेकर आए हैं आशुतोष कुमार सिंह
नई दिल्ली/ पटना
प्रवास के दंश झेल रहे प्रवासी बिहारी मजदूरों को अब उनके घर में ही रोजगार देने की तैयारी चल रही है। बिहार लौट रहे मजदूरों को रोजगार देने के लिए बिहार सरकार कार्य-योजना तैयार करने में जुटी गई है। इस बावत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव एवं अन्य वरीय अधिकारियों के साथ बैठक की है। इस बैठक में उन्होंने बाहर से आ रहे मजदूरों को बिहार के आर्थिक तरक्की में महत्वपूर्ण माना है। उन्होंने कहा कि, इनके श्रम एवं कौशल का उपयोग कर के बिहार अपनी अर्थ-व्यवस्था को तीव्र गति प्रदान कर सकता है।
कोरोना से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए बुलाई गई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा लोगों को कई प्रकार से सहायता पहुंचाई जा रही है। इस क्रम में लोगों से प्राप्त शिकायतें या उनसे मिले फीडबैक पर पदाधिकारी संवेदनशील रहें। शिकायतों पर त्वरित जांच कराकर समुचित कार्रवाई सुनिश्चि की जाय। ताकि लोगों को सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का बेहतर लाभ मिल सके।
इसे भी पढ़ेंः खुद की क्षमता को पहचानें और खुद को करें मजबूत
इस बैठक में मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि बाहर से आ रहे प्रवासी श्रमिकों का कौशल-सर्वे एक ऐप डेवलप कर बेहतर तरीके से कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाहर से आने वाले श्रमिकों का स्किल सर्वे बेहतर ढंग से हो ताकि क्वारंटाइन अवधि के बाद गाइडलाइन्स के अनुरूप उनकी क्षमता का बेहतर उपयोग हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था में इनका महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन के कार्यों का भी गहन अनुश्रवण सुनिश्चित किया जाय ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सके।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा) के कार्यों की सघन निगरानी की जरूरत है। मनरेगा में बड़ी संख्या में मानव दिवस सृजित हो सकते हैं।
1 comment
इनको ये पूछिए की ये जो लोग कई सालो से अपने घर छोड़ कर बाहर है क्या वो वहा एडजस्ट कर लेंगे और दूसरा यह कि उन्होंने पलायन क्यों किया?
आप किसे बेवकूफ बना रहे है आपके पास ऐसी कोनसी जादू की छड़ी है जो आप इतने रोज़गार पैदा कर देंगे।
सबसे बड़ी समस्या जों दिख रही है वो है कि आप इन्हे पहले खाना पीना और रहने कि व्यवस्था मुहैया करवाए।
क्यों की ये लोग टूट चुके है कई तो पैदल यहां पहुंचे है, कई ट्रकों मै जानवरों की तरह आए हैं।
तो इनकी जो सहने की क्षमता थी वो खत्म हो गई है जिसे ओर परखना एक बहुत बड़ी बेवकूफी होगी।
दूसरी समस्या वहा भी पैदा होने वाली है जहां से ये वापस आ रहे है, क्या ये लोग फिर से वापस जाएंगे यह बहुत बड़ा सवाल है।
जी व्यक्ति अपने बच्चों पत्नी के साथ 300/500KM पैदल चल कर अगर अपने गाव पहुंचा है तो वो कसम खा लेगा हमें जो यहां मिलेगा उसी मै काम चलालेंगे। उसकी मनो स्थिति बदलने मै समय लग सकता है। ऐसी परिस्थिति मै उन सभी बड़े शहरों।मै मेन पॉवर की बहुत विकट समस्या खड़ी होने वाली है।
बिहारी बाबू को समझाइए इन बातों पर ध्यान दे बेवकूफ न बनाए या किसी भ्रम मे ना रहे। यह समस्या CORONA सें भी बड़ी है।