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भविष्य में शादी के लिए हेल्थ कार्ड मिलान होगा जरूरी : मांडविया

अजय वर्मा

पटना। आने वाले समय में कुंडली मिलान के अलावा हेल्थ कार्ड मिलान के बाद ही किसी लड़का-लड़की की शादी हो सकेगी। स्वास्थ्य दृष्टिकोण से ऐसा करने की योजना केंद्र बना रही है। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एक ऐसा कार्ड तैयार कर रहा है जो पूरे देश में लागू होगा। सिकल सेल एनीमिया से लेकर थैलीसीमिया व हीमोफीलिया को देखते हुए किया जा रहा है ताकि आने वाले बच्चा इस तरह के किसी रोग से ग्रस्त न हो। मालूम हो कि ये सब बीमारियां अनुवांशिक होती हैं।

अनुवांशिक रोग से बचाने की कोशिश

यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पटना के मां वैष्णो देवी सेवा समिति के सक्रिय सेवी मुकेश हिसारिया को दी। सिकल सेल को लक्षित योजना आने के बाद उनकी पहल पर इस कैटगरी में थैलीसीमिया और हीमोफीलिया को भी शामिल करने का आश्वासन मिला है क्योंकि सबकी प्रकृति और निदान का तरीका एक ही है। मंत्री ने बताया कि हमारे देश में ऐसी बीमारी भी है जिससे अगर कोई संक्रमित हो तो उसका असर आने वाले बच्चे पर होगा यानी बच्चा पॉजिटिव होगा। इससे बचाने के लिए ही मंत्रालय ऐसे कार्ड पर काम कर रहा है। इस अभियान के लिए 40 फीसद खर्च राज्य सरकार और 60 फीसद केंद्र सरकार वहन करेगी। उन्होंने कहा कि इस हेल्थ कार्ड के जरिए ही तय होगा कि शादी करनी है या नहीं। अगर लड़का और लड़की पॉजिटिव हैं तो फिर शादी की मंजूरी नहीं दी जाएगी।

जानिए ऐसे रोगों के बारे में

सिकल सेल एनीमिया ऐसा ही एक रोग है। केंद्र सरकार ने नये बजट में 2047 तक इसके खात्मे का ऐलान किया है। भारत में इसके हर साल लगभग 10 हजार नए मामले सामने आते हैं। सिकल-सेल रक्ताल्पता या ड्रीपेनो साइटोसिस एक आनुवंशिक रक्त विकार है जो ऐसी लाल रक्त कोशिकाओं के द्वारा होता है जिसका आकार असामान्य, कठोर तथा हंसिया के समान होता है। इससे कोशिकाओं का लचीलापन कम होता है और विभिन्न जटिलताओं का जोखिम उभरता है। सामान्य भाषा में ऐसे जानना होगा कि इसका अस्थायी इलाज 15 से 20 दिनों के बीच ब्लड चढ़वाना है तो मुकम्मल इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट जो खर्चीला तो है ही, उपचार के केंद्र भी कम हैं।

थैलीसीमिया के 4 लाख रोगी देश में

हिसारिया के मुताबिक सिकल सेल एनीमिया से ज्यादा रोगी थैलीसीमिया के हैं। देश भर में इसके 4 लाख और बिहार में 4 हजार से ज्यादा रोगी हैं। देशभर में थैलीसीमिया बच्चों के ब्लड या बोन मैरो  ट्रांसप्लांट के लिए संघर्षरत हिसारिया दो साल से पीएम और स्वास्थ्य मंत्री से पत्र व्यवहार कर रहे हैं। बजट में सिकल सेल से मुक्ति को प्राथमिकता देने के बाद इन्होंने फिर आवाज उठायी है। सिकल सेल के बारे में ICMR सर्वेक्षण कहती है कि तटीय आंध्र, पश्चिमी और मध्य भारत में इसके सबसे अधिक मामले मिलते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक इसमें हीमोग्लोबिन को संश्लेषित करने वाला जीन दोषपूर्ण होता है और असामान्य हीमोग्लोबिन बनाता है। कम ऑक्सीजन की अवस्था में यह असामान्य हीमोग्लोबिन क्रिस्टलीकृत हो जाता है और लाल कोशिका का सामान्य डिस्कॉइड आकार एक दरांती के आकार की कोशिका में बदल जाता है। यह रोग से प्रभावित जीनों की संख्या पर निर्भर करता है।

निदान के लिए परीक्षण क्या हैं?

सिकल सेल के निदान के लिए HPLC या हीमोग्लोबिन विद्युत कण संचलन परीक्षण किया जाता है। गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह जांच जरूरी है ताकि अजन्मा बच्चा प्रभावित न हो। इसके अलावा ग्रसित व्यक्ति के परिवार के सदस्यों और करीबी रिश्तेदारों को भी अपना परीक्षण करवाना चाहिए। HPLC टेस्ट के अलावा सेंगर सीक्वेंसिंग या पीसीआर टेस्ट भी रोग की पुष्टि करता है। ऐसे अनुवांशिक रोगों को रोकने के लिए जागरूकता पहला कदम है। शादी से पहले जोड़ों को अनुवांशिक विकारों का परीक्षण करवाना चाहिए। निकट संबंधियों के बीच विवाह तो करनी ही नहीं चाहिए। गर्भावस्था में भावी माता-पिता को सही समय पर स्क्रीनिंग टेस्ट से गुजरना होगा।

एमपी सरकार सक्रिय

मध्य प्रदेश में हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन की स्थापना की जा चुकी है। 15 नवंबर 2021 को झाबुआ और अलीराजपुर जिले में स्क्रीनिंग के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की गई थी और उसके दूसरे चरण में शामिल 89 आदिवासी ब्लॉक। कुल 993114 व्यक्तियों की जांच की गई जिनमें 18866 में HbAS  (सिकल ट्रेट) और 1506 (HbSS) का पता चला। इसके अलावा उपचार और निदान के लिए 22 जनजातीय जिलों में एकीकृत केंद्र स्थापित किया गया है।

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