आशुतोष कुमार सिंह
23 सितंबर, 2018 का दिन हिन्दुस्तान के स्वास्थ्य क्षेत्र के इतिहास में क्रांतिकारी दिवस के रूप में अंकित किया जायेगा। भारत के आदिवासी बहुल राज्य झारखंड की राजधानी से देश के वंचितों के लिए सबसे बड़ा तोहफा देते हुए प्रधानमंत्री का यह कथन-मैं प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना आज रांची की धरती से, भगवान बिरसामुंडा की धरती से सवा सौ करोड़ देशवासियों के चरणों में समर्पित करता हूं।’ एक बड़ा संदेश दे गया। हिन्दुस्तान के गरीब जनता को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में किसी भी सरकार द्वारा उठाया गया अब तक का सबसे बड़ा फैसला है यह। यही कारण है कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना जिसे हम आयुष्मान भारत योजना भी कह रहे हैं, के बारे में हम सबको ठीक से जानना, समझना एवं समझकर दूसरों को भी बताना बहुत जरूरी है।
अंतिम जन तक स्वास्थ्य पहुंचाने का सपना
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई किसी भी योजना के पीछे एक सुगठित तर्क होता है। उसी तर्क को जनता के सामने रखते हुए प्रधानमंत्री ने रांची से पीएम-जय यानी प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का भी शुभारंभ किया। अपनी शुरूआती संबोधन में पीएम ने कहा कि, ‘आज हम सभी उस विशेष अवसर के साक्षी बन रहे हैं जिसका आंकलन भविष्य में मानवता की बहुत बड़ी सेवा के रूप में होना तय है। आज मैं यहां सिर्फ झारखंड के विकास को गति देने के लिए नहीं, लेकिन पूरे भारत में जो सपना हमारे ऋषियों-मुनियों ने देखा था, जो सपना हर परिवार का होता है, और हमारे ऋषियों-मुनियों ने सपना देखा था ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामय:’, हमारे इस सदियों पुराने संकल्प को इसी शताब्दी में हमें पूरा करना है और उसका आज एक बहुमूल्य आरंभ हो रहा है। समाज की आखिरी पंक्ति में जो इंसान खड़ा है। गरीब से गरीब को इलाज मिले, स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा मिले। आज इस सपने को साकार करने का एक बहुत बड़ा अहम कदम इस बिरसामुंडा की धरती से उठाया जा रहा है।’ प्रधानमंत्री मोदी के एक-एक शब्द पर वहां उपस्थित लोगों की निगाहे रूकी हुई थी। टीवी स्क्रीन पर सुन रहे लोग यह जानने के लिए उत्सुक हो रहे थे कि इसके आगे पीएम क्या कहेंगे और इस योजना में उनके फायदे का क्या है?
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दरिद्रनारायण की सेवा का अवसर
प्रधानमंत्री अपने संबोधन को आगे बढ़ाते हुए कहते है कि, आयुष्मान भारत के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना आज से लागू हो रही है। इस योजना को हर कोई अपनी-अपनी कल्पना के अनुसार नाम दे रहा है। कोई इसे मोदी केयर कह रहा है, कोई कह रहा है गरीबों के लिए योजना है। अलग-अलग नामों से लोग पुकार रहे हैं, लेकिन मेरे लिए तो ये हमारे देश के दरिद्रनारायण की सेवा का एक अवसर है। गरीब की सेवा करने का, मैं समझता हूं इससे बड़ा कोई कार्यक्रम नहीं हो सकता है, अभियान नहीं हो सकता है, योजना नहीं हो सकती है। देश के 50 करोड़ से ज्यादा भाई-बहनों को पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा देने वाली ये दुनिया की अपनी तरह की सबसे बड़ी योजना है। पूरी दुनिया में सरकारी पैसे से इतनी बड़ी योजना किसी भी देश में दुनिया में नहीं चल रही है।’ इस योजना को विस्तार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि, पूरे अमेरिका की जनसंख्या, पूरे कनाडा की जनसंख्या, पूरे मैक्सिको की जनसंख्या, इन तीनों देशों की जनसंख्या मिला लें, और जितनी संख्या होती है उससे भी ज्यादा लोगों का आयुष्मान भारत योजना से देश के लोगों की आरोग्य की चिंता होने वाली है।
गुड गर्वनेंस का उत्तम उदाहरण
इस योजना को जिस तेजी के साथ लागू किया गया है, निश्चित रूप से वह तारीफ करने योग्य है। इस वर्ष के फरवरी में बजट सेशन में इस योजना के शुभारंभ करने की घोषणा हुई थी। उसके बाद 15 अगस्त 2018 के अपने संबोधन में पीएम ने इस योजना को 25 सितंबर, 2018 तक लागू करने की घोषणा की थी। लेकिन 25 से दो दिन पूर्व ही यह योजना देश में लागू हुई। इस तेजी को ही पीएम मोदी अपने संबोधन में गुड़ गवर्नेंस कह रहे थे। उनका कहना था कि, इस योजना को मूर्तरूप देने में जिस टीम ने काम किया है, मेरे सारे साथियों ने जो काम किया है, ये काम छोटा नहीं है। छह महीने के भीतर-भीतर दुनिया की इतनी बड़ी योजना, जिसकी कल्पना से ले करके करिश्मा करके दिखाने तक की यात्रा सिर्फ छह महीने में। कभी गुड गवर्नेंस की जो लोग चर्चा करते होंगे ना, एक टीम बन करके, एक विजन के साथ, एक रोड मैप ले करके, समयबद्ध उसकी पूर्ति करते हुए और 50 करोड़ लोगों को जोड़ करके, 13 हजार अस्पतालों को जोड़ करके, छह महीने के भीतर-भीतर इतनी बड़ी योजना आज धरती पर ले आना, ये अपने-आप में एक बहुत बड़ा अजूबा है।’
वे आगे कहते है कि, मुझे विश्वास है, और मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले दिनों में दुनिया में मेडिकल क्षेत्र में काम करने वाले लोग आरोग्य के संबंध में भिन्न-भिन्न योजनाओं के संबंध में सोचने वाले लोग, आरोग्य और अर्थशास्त्र की चर्चा करने वाले लोग, आरोग्य और आधुनिक संसाधनों की चर्चा करने वाले लोग, आरोग्य और सामान्य मानवी की जिंदगी के बदलाव से समाज जीवन पर होने वाले प्रभावों की चर्चा करने वाले लोग, चाहे वो सोशल साइटिंस्ट हों, चाहे वो मेडिकल साइंस की दुनिया के लोग हों, चाहे वो अर्थशास्त्र के लोग हों; दुनिया को भारत की इस आयुष्मान भारत की योजना का अध्ययन करना पड़ेगा, सोचना पड़ेगा और इसके आधार पर दुनिया के लिए कौन सा मॉडल बन सकता है, उसके लिए कभी न कभी सोचकर योजनाएं बनानी पड़ेंगी।
राष्ट्रकवि दिनकर को समर्पित आयुष्मान भारत
प्रधानमंत्री को लेकर यह कहा जाता है कि वे किसी भी मौके को संदेश देने का माध्यम बनाने से नहीं चुकते। कुछ ऐसा ही हुआ रांची में भी। पीएम ने कहा कि, आयुष्मान भारत योजना से एक विशेष अवसर भी जुड़ा हुआ है। जब 14 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बस्तर के जंगलों से मैंने इसका प्रथम चरण प्रारंभ किया था, वेलनेस सेंटर का काम आरंभ किया था, वो बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती थी। आज जब दूसरा महत्वपूर्ण चरण आगे बढ़ रहा है तो आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म-जयंती 25 सितम्बर को ध्यान में रख करके दो दिन पूर्व आज इस कार्यक्रम को प्रारंभ किया जा रहा है। आज संडे था, मुझे भी सुविधा थी और इसलिए हमने दो दिन इसको पहले किया। लेकिन आज एक और भी महत्वपूर्ण अवसर है। आज जिस धरती, जिस नाम को ले करके ऊर्जा की अनुभूति करती है, चेतनमंत बन जाती है, जिसके हर शब्द में जगाने का सामर्थ्य रहा है, ऐसे राष्ट्रकवि दिनकर जी की आज जयंती है, इसलिए उन महापुरुषों के आशीर्वाद के साथ समाज के हर प्रकार के भेदभाव को खत्म करने के लिए, और जिन्होंने जीवनभर गरीबों के लिए सोचा, गरीबों के लिए जिए, गरीबों की गरिमा के लिए अपने-आपको खपा दिया, ऐसे महापुरुषों का स्मरण करते हुए आज देश को ये योजना हम दे रहे हैं। देश में बेहतर इलाज कुछ लोगों तक सीमित न हो। सभी को उत्तम इलाज मिले। इसी भावना के साथ आज ये योजना देश को समर्पित की जा रही है।’
गरीबी से निकलने में मददगार
गरीबी को लेकर सरकार के नजरिए को इस योजना में समायोजित किया गया है। इस बात को स्पष्ट करते हुए पीएम कहते हैं कि, ‘हमारे देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की जब भी बात होती है तो कहा जाता है कि भारत में अगर किसी के इलाज पर 100 रुपये खर्च हो रहे हैं तो उसमें 60 रुपये से ज्यादा बोझ उस परिवार और उस व्यक्ति पर आता है। उसने जो बचा-बचाया है, वो सारा बीमारी में बह जाता है। कमाई का ज्यादातर हिस्सा ऐसे ही खर्च होने के कारण हर साल लाखों लोग गरीबी से बाहर निकलने की कगार पर होते हैं लेकिन एक बीमारी फिर एक बार उनको गरीबी में वापिस ले जाती है। इसी हालत को बदलने के लिए हमने ये बीड़ा उठाया है। इस बात को और आगे बढ़ाते हुए पीएम कहते हैं कि, गरीबी हटाओ के नारे, देश आजाद हुआ तबसे हम सुनते आए हैं। गरीबों की आंख में धूल झोंकने वाले, गरीबों के नाम की मालाएं जपते रहने वाले लोग अगर आज से 30-40-50 साल पहले गरीबों के नाम पर राजनीति करने के बजाय गरीबों के सशक्तिकरण पर बल देते तो देश, आज जो हिन्दुस्तान देख रहा है वैसा नहीं होता। उन्होंने गरीबों के संबंध में सोचने में गलती की, उन्होंने ये नहीं सोचा कि गरीब कुछ न कुछ मांगता है। गरीब को कुछ मुफ्त में दे दो, उसको चाहिए, यही उनकी सबसे बड़ी गलत सोच थी। गरीब जितना स्वाभिमानी होता है, शायद उस स्वाभिमान को नापने की आपके पास कोई तराजू नहीं है। पहले की सरकारों ने न कभी गरीब के स्वाभिमान को समझने का प्रयास किया, न गरीब के सपनों को साकार करने के लिए उसके इरादों को समझने की कोशिश की। और इसलिए हर चुनाव में टुकड़े फेंको, अपना राजनीतिक उल्लू सीधा कर लो, यही खेल चलता रहा।’
व्यापक योजना
इस योजना की व्यापकता को बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि, ये योजना कितनी व्यापक है- इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि कैंसर, दिल की बीमारी, किडनी और लीवर की बीमारी, डायबिटीज समेत 1300 से अधिक बीमारियों को, उनके इलाज को इस योजना में शामिल किया गया है। इन गंभीर बीमारियों का इलाज सरकारी नहीं बल्कि देश के प्राइवेट अस्पतालों में भी सुलभ होगा। पांच लाख तक का जो खर्च है उसमें अस्पताल में भर्ती होने के अलावा जरूरी जांच, दवाई, भर्ती से पहले का खर्च और इलाज पूरा होने तक का खर्च, उसमें शामिल है। अगर किसी को पहले से कोई बीमारी है तो उस बीमारी का भी खर्च इस योजना द्वारा उठाया जाएगा। इतना ही नहीं, देशभर के हर लाभार्थी को सही से इसका लाभ पहंचा पाएं, उसका भी प्रभावी इंतजाम किया गया है। आपको इलाज के लिए भटकना न पड़े, इसको ध्यान में रखते हुए व्यवस्थाएं खड़ी की गई हैं। सब कुछ तकनीक के माध्यम से सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। कोई जरूरतमंद छूट न जाए इसकी समीक्षा निरंतर चल रही है।
ई-कार्ड से ईलाज
इस योजना को समझाते हुए पीएम ने कहा कि, इस योजना में किसी तरह के रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है। आपको जो ई-कार्ड मिल रहा है, वही आपके लिए काफी है। ई-कार्ड में आपसे जुड़ी सारी जानकारियां होंगी। इसके लिए आपको तमाम कागजी कार्रवाईयों के फेरे में भी अब पड़ने की जरूरत नहीं है।
टोलफ्री सहायता नं. -14555
पीएम ने बताया कि, इस योजना के बारे ज्यादा जानने के लिए एक टेलीफोन नम्बर सबको याद रखना चाहिए। वह टोल फ्री नं. है-14555, वन फोर ट्रीपल फाइव। इस नंबर से आप जानकारी ले सकते हैं कि आपका इस योजना में नाम है कि नहीं है। आपके परिवार का नाम है कि नहीं है। आपको क्या मुसीबत है, क्या लाभ मिल सकता है, ये सारी चीजें, या फिर आपके नजदीक में जो कॉमन सर्विस सेंटर है, आज देश में तीन लाख कॉमन सर्विस सेंटर हैं, उन तीन लाख सेंटर किसी को भी दो-तीन किलोमीटर से दूर जाना नहीं पड़ेगा। वो जा करके भी वहां से अपनी जानकारियां ले सकते हैं।
आशा एवं आरोग्य मित्र करेंगे सहयोग
प्रधानमंत्री के अनुसार उपरोक्त व्यवस्थाओं के साथ ही दो और बड़े सहायक आसपास होंगे। एक-आपके गांव की आशा और एएनएम बहनें, और दूसरा- हर अस्पताल में आपकी मदद के लिए तैनात रहने वाले प्रधानमंत्री आरोग्य मित्र। ये प्रधानमंत्री आरोग्य मित्र अस्पताल में भर्ती होने के पहले से ले करके इलाज के बाद तक आपको योजना का लाभ प्राप्त कराने में आपका पूरा सहयोग देंगे। देश को आयुष्मान बनाने में जुटे हमारे ये समर्पित साथी हर सही जानकारी आप तक पहुंचाएंगे।
दूसरे राज्य में भी ले सकेंगे आप इस योजना का लाभ
प्रधानमंत्री ने कहा कि, आयुष्मान भारत का ये मिशन सही मायने में एक भारत, सभी को एक तरह के उपचार की भावना को मजबूत करता है। जो राज्य इस योजना से जुड़े हैं, उनमें रहने वाले व्यक्ति अगर उस राज्य के बाहर कहीं जा रहे हैं और वहां अचानक जरूरत पड़ गई तो भी इस योजना का लाभ वो दूसरे राज्य में भी ले सकते हैं। अभी तक इस योजना से देशभर के 13 हजार से अधिक अस्पताल भी इस योजना में हमारे साथी बन चुके हैं। आने वाले समय में और भी अस्पताल इस मिशन का हिस्सा होने वाले हैं। इतना ही नहीं, जो अस्पताल अच्छी सेवाएं देंगे, विशेष तौर पर गांव के अस्पताल, तो उन्हें सरकार द्वारा मदद भी दी जाएगी।
आयुष्मान भारत योजना के प्रमुख 11 बिन्दु
- 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 445 जिले के लोगों को योजना का लाभ मिलेगा। दिल्ली, केरल, ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना इस योजना को अपने यहां लागू नहीं कर रहे हैं।
- आयुष्मान भारत योजना का लक्ष्य खासकर निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों को महंगे मेडिकल बिल से निजात दिलाना है। इस योजना के दायरे में गरीब, वंचित ग्रामीण परिवार और शहरी श्रमिकों की पेशेवर श्रेणियों को रखा गया है। नवीनतम सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना (एसइसीसी) के हिसाब से गांवों के ऐसे 8.03 करोड़ और शहरों के 2.33 परिवारों को शामिल किया गया है।
- सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रत्येक परिवार को सालाना पांच लाख रुपये की स्वास्थ्य सुरक्षा दी जाएगी और वे सरकारी या निजी अस्पताल में कैशलेस इलाज करा सकेंगे। अनुमान के मुताबकि इस योजना के तहत अब देश के करीब 10 हजार अस्पतालों में ढाई लाख से ज्यादा बेड गरीबों के लिए रिजर्व हो जाएंगे।
- योजना में आप शामिल हैं या नहीं, यह पता करना बहुत आसान है। सबसे पहले आयुष्मान भारत की वेबसाइट https://mera.pmjay.gov.in खोलें। यहां अपना मोबाइल नंबर डालना होगा। उसके बाद एक ओटीपी आएगा। इस ओटीपी को वेबसाइट पर डालकर वेरीफाई करने के बाद एक पेज खुल जाएगा। जहां आप देख सकते हैं कि योजना में शामिल हैं या नहीं।
- अगर आयुष्मान भारत की वेबसाइट पर आपका नाम नहीं दिख रहा है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसी वेबसाइट पर सोशल इकोनॉमिक कास्ट सेंसस(एसआसीसी) का लिंक है। इस लिंक पर जाकर आपको अपना नाम, पता, पिता का नाम और राज्य आदि जैसे ब्योरे डालने होंगे। इसके बाद आपको पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जायेगी।
- अगर आप योजना में शामिल हैं और इसका लाभ लेना चाहते हैं यह बहुत आसान है। आपको योजना में शामिल अस्पताल के आयुष्मान मित्र या आयुष्मान मित्र हेल्प डेस्क से संपर्क करना होगा। वहां आपको पहचान पत्र जैसे दस्तावेज दिखाने होंगे। इसके लिए आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र या राशन कार्ड की जरूरत पड़ेगी।
- आयुष्मान योजना में शामिल करीब 13 हजार अस्पतालों में 13 सौ से ज्यादा बीमारियों और इससे संबंधित पैकेज को इलाज में शामिल किया गया है। जिसमें कैंसर की सर्जरी, हार्ट की बाइपास सर्जरी, आंख-दांत का ऑपरेशन, सीटी स्कैन, एमआरआई जैसी तमाम चीजें शामिल हैं। सरकार लोगों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। आप 14555 पर फोन कर योजना से जुड़ी कोई भी जानकारी, सलाह या सुझाव ले सकते हैं।
- ग्रामीण इलाके के लिए इस योजना में शामिल होने की अहर्ता है– कच्चा मकान, परिवार में किसी व्यस्क (16-59 साल) का नहीं होना, परिवार की मुखिया महिला हो, परिवार में कोई दिव्यांग हो, अनुसूचित जाति/जनजाति से हों और भूमिहीन व्यक्ति/दिहाड़ी मजदूर। इसके अलावा ग्रामीण इलाके के बेघर व्यक्ति, निराश्रित, दान या भीख मांगने वाले, आदिवासी और क़ानूनी रूप से मुक्त बंधुआ आदि खुद आयुष्मान भारत योजना में शामिल होगा।
- शहरी इलाके के लिए– आयुष्मान भारत योजना में शामिल होने के लिए मोटे तौर पर ये योग्यता हैं: भिखारी, कूड़ा बीनने वाले, घरेलू कामकाज करने वाले, रेहड़ी-पटरी दुकानदार, मोची, फेरी वाले, सड़क पर कामकाज करने वाले अन्य व्यक्ति। कंस्ट्रक्शन साईट पर काम करने वाले मजदूर, प्लंबर, राजमिस्त्री, मजदूर, पेंटर, वेल्डर, सिक्योरिटी गार्ड, कुली और भार ढोने वाले अन्य कामकाजी व्यक्ति स्वीपर, सफाई कर्मी, घरेलू काम करने वाले, हेंडीक्राफ्ट का काम करने वाले लोग, टेलर, ड्राईवर, रिक्शा चालक, दुकान पर काम करने वाले लोग आदि आयुष्मान भारत योजना में शामिल होंगे।
- प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना को ठीक से लागू करने के लिए11 मई 2018 को सोसाइटी एक्ट के तहत नेशनल हेल्थ एजेंसी का पंजीकरण किया गया। इसी तर्ज पर राज्य सरकारें भी स्टेट हेल्थ एजेंसी का गठन कर सकती हैं। इस योजना को एनएचए के मार्गदर्शन में पूरे देश में लागू किया गया है।
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को पूरे देश में ठीक से लागू करने की जिम्मेदारी इस वक्त इस योजना के मुख्य़ कार्यकारी अधिकारी डॉ. इंदु भूषण एवं उप-कार्यकारी अधिकारी डॉ. दिनेश अरोड़ा पर है। नेशनल हेल्थ एजेंसी इस योजना की इंप्लीमेंटिंग बॉडी है। डॉ. इंदु भूषण 1983 बैच आइएएस अधिकारी हैं तो डॉ. दिनेश अरोड़ा 2002 बैच के आइएएस अधिकारी हैं।
निष्कर्षः
स्वास्थ्य चिंतकों की नज़र में आयुष्मान भारत योजना की शुरूआत निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी कदम है। लेकिन इस योजना को जमीन पर लागू करना आसान काम नहीं होगा। इसके लिए सभी एजेंसियों को बहुत सतर्क रहना पड़ेगा। निजी अस्पतालों की लूट से देश की जनता एवं सरकारें पूरी तरह से वाकिफ है। इस योजना को लूट से बचाना एवं गरीब को सही एवं जरूरत भर ही ईलाज हो, इस बात को सुनिश्चित कराना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी!