तिरुवनंतपुरम में 5वें वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव का हुआ उद्घाटन
नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आधुनिक गैर-संचारी और जीवनशैली संबंधी बीमारियों में वृद्धि के बीच एक किफायती, गैर-आक्रामक, प्रभावकारी और संपूर्ण समाधान के रूप में आयुर्वेद की भूमिका को रेखांकित किया। रोकथाम, संतुलन और व्यक्तिगत देखभाल पर आयुर्वेद के जोर पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह एक स्थायी और न्यायसंगत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के वैश्विक आह्वान के साथ सहजता से मेल खाता है।
आयुर्वेद में कल्याण की भावना
वे 2 दिसंबर को तिरुवनंतपुरम में 5वें वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव का उद्घाटन कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद बीमारियों के इलाज से कहीं आगे जाता है, क्योंकि इसमें कल्याण और भलाई के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण शामिल है। आयुष्मान भारत योजना के तहत पूरे देश में आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित करने के लिए आयुष मंत्रालय की सराहना उन्होंने की। उन्होंने रेखांकित किया कि कैसे अथर्ववेद, चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे ग्रंथ मानव शरीर, उसके कष्टों और आयुर्वेद के भीतर गहराई से अंतर्निहित चिकित्सीय सिद्धांतों के बारे में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
योग दुनिया को भारत का उपहार
उपराष्ट्रपति ने दुनिया भर में मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के महत्व पर जोर देते हुए योग को दुनिया को भारत का उपहार बताया। उन्होंने कहा कि इसकी व्यापक स्वीकार्यता है क्योंकि यह भारतीय लोकाचार में है। इस प्रक्रिया में भारत सॉफ्ट पावर के रूप में भी उभरा है। लोगों को हमारी संस्कृति की गहराई, हमारे पास मौजूद समृद्धि के बारे में पता चलता है।