नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। पिछले कुछ वर्षाे के दौरान स्वास्थ्य देखभाल सेवा काफी किफायती और आम लोगों के लिए सुलभ हो गई है। संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य अकाउंट्स के हवाले सेयह जानकारी दी गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा कि 2020 के एनएचए अनुमान में कुल जीडीपी में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (GHE) के हिस्से के साथ-साथ कुल स्वास्थ्य व्यय में जीएचई के हिस्से में बढ़ोत्तरी बताई गई है।
प्राथमिक स्वास्थ्य में खर्च बढ़ा
समीक्षा में बताया गया है कि बीते वर्षों के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल व्यय का हिस्सा 2015 में जीएचई के 51.3 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 55.9 प्रतिशत हो गया है। GHE में प्राथमिक और माध्यमिक देखभाल का हिस्सा 2015 में 73.2 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 85.5 प्रतिशत हो गया। दूसरी ओर निजी स्वास्थ्य व्यय में प्राथमिक और माध्यमिक देखभाल का हिस्सा इसी अवधि के दौरान तृतीयक रोगों के बढ़ते बोझ और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए सरकारी सुविधाओं के उपयोग के कारण 83.0 प्रतिशत से घटकर 73.7 प्रतिशत रह गया।
कुछ क्षेत्र में सुधार भी रेखांकित
समीक्षा में कहा गया है कि शिशु मृत्युदर 2013 में प्रति हजार जीवित प्रसव पर 39 थी जो घटकर 2020 में 28 रह गई। मातृ मत्युदर 2014 में प्रति लाख जीवित प्रसव पर 167 थी, जो घटकर 2020 में 97 रह गई। समीक्षा ने दो रुझानों की सिफारिश की है। पहला सरकार और आम लोगों को पौष्टिक भोजन और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की सलाह दी गई है। दूसरा अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में राज्य और स्थानीय स्तर के शासन की केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया जाये।