नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। कोरोना के फैलने से वैक्सीन के आने तक साथ ही तरह-तरह की दवा बाजार में मिल रही थी और जान बचाने के लिए डॉक्टर इसकी पर्ची भी लिख रहे थे। इसी में एक स्टेरॉयड दवा डेक्सामिथासोन को लाइफ सेविंग बताया गया था। कई देशों में इसका असर भी देखने को मिला लेकिन भारत में यह दवा किसी काम की नहीं निकली यानी इसका असर अन्य देशों की तुलना में बेहद कम पाया गया।
भारत में हाई डोज का भी असर कम
लांसेट रीज़नल हेल्थ- साउथ ईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक डेक्सामिथासोन की उच्च खुराक कोविड से पीड़ित भारतीय मरीज़ों पर उतनी असदार नहीं निकली जितनी यूरोप के रोगियों पर हुई। स्टडी में मरीज़ों के अंतर और स्वास्थ्य प्रणालियों जैसे कारकों पर भी विचार किया गया है। स्टडी टीम में कोपनहेगन विश्वविद्यालय अस्पताल, डेनमार्क एवं भारत के शोधार्थी भी थे और उन्होंने पाया कि भारत में कोरोना के मरीज़ों पर इस दवा की 12 MG की उच्च खुराक भी उतनी असरदार नहीं दिखी, जितनी छह MG की सामान्य खुराक का असर होता है।
लेकिन हाई डोज ने नुकसान भी नहीं किया
टीम ने कहा कि विश्लेषण से पता चलता है कि डेक्सामिथासोन की उच्च खुराक का यूरोप के रोगियों की तुलना में भारत के मरीज़ों पर कम लाभकारी प्रभाव हुआ। इसमें बताया गया है कि भारत जैसे निम्न-मध्यम आय वाले देशों में कई अनूठी चुनौतियां हैं जिनके कारण उपचार उतना कारगर नहीं हो सकता है। अच्छी बात यह है कि उच्च खुराक से भारतीय रोगियों को अधिक समस्या नहीं हुई। उन्होंने कहा कि निष्कर्षों को पक्का करने के लिए और अधिक शोध की जरूरत है।