नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केंद्र सरकार ने हेल्थ और वेलनेस केंद्रों का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर कर दिया है। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के अपर सचिव और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक एलएस चांगसन ने एक पत्र भेजा है। देशभर में 1.6 लाख से अधिक ऐसे केंद्र हैं। मंत्रालय ने बताया है कि आयुष्मान भारत का सपना साकार करने के मकसद से इन केंद्रों का नाम बदलने का फैसला लिया गया है। रीब्रांडिंग प्रक्रिया के कार्यान्वयन के लिए अब इन केंद्रों के नाम ‘आरोग्य परमं धनम’ टैगलाइन के साथ ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ किया जाएगा। गौरतलब है कि आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 2018 में की गई थी।
बंगाल में बिना पर्ची नहीं बिकेगी एंटीबायोटिक
पश्चिम बंगाल में अब बिना डॉक्टर की पर्ची के एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री नहीं होगी। इसका पालन न करने पर दंड का प्रावधान किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह निर्णय वैसी रिपोर्टों और निष्कर्षों के बाद लिया गया है जो मानव शरीर में कई दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया की बढ़ती वृद्धि की ओर इशारा करते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने कृषि फार्मों, पोल्ट्री, हैचरी और मछलीपालन फार्मों में एंटीबायोटिक पदार्थों के बड़े पैमाने पर उपयोग की निगरानी के लिए पशुपालन विभाग के साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया है।
गोरखपुर में नेफ्रोटिक सिंड्रोम का कहर
गोरखपुर में बच्चों में नेफ्रोटिक सिंड्रोम तेजी से फैल रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज की एक स्टडी में इसका खुलासा हुआ है। किडनी के 130 बाल मरीजों पर हुए स्टडी में 26 में किसी तरह का संक्रमण नहीं मिला जबकि 104 बच्चों और किशोरों पर 10 बैक्टीरिया, वायरस व फंगस ने हमला किया था। बच्चे गोरखपुर-बस्ती मंडल व बिहार के पश्चिमी चंपारण के डेढ़ साल से लेकर 16 साल तक थे। मामला सामने आने के बाद इन सभी बैक्टीरिया, वायरस व फंगस का कल्चर कराकर सटीक एंटीबायोटिक दवा दी जाएंगी ताकि बीमारी नियंत्रित की जा सके।