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नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। पूरे गर्मी भर सिरदर्द और थकान दूर करने के लिए ठंडे तेल की चंपी आम बात है। लेकिन बीएचयू अस्पताल से जानकारी आयी है कि यह दिमाग की नसों को बीमार भी कर रहा है। वहां एक महीने में 50 मरीज आ चुके हैं जिन्हें सिरदर्द, आंखों की रोशनी कम होना, ब्रेन हेमरेज और ब्रेन स्ट्रोक जैसी समस्या थी। ये सब चंपी भी करते थे। वहां के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वीएन मिश्रा बताते हैं कि कपूर की मात्रा अधिक हो तो ठंडा तेल भी दिमाग के नसों के लिए घातक बन जाता है। 62 तेलों पर रिसर्च हुआ है और उनमें कपूर की मात्रा अधिक पाई गई है। आप रहिए सावधान ऐसे ठंडे तेल से।
रोग का निदान स्प्रिचुअल मेडिसिन से भी
वैसे तो दिल्ली एम्स मॉडर्न साइंस से इलाज का बेहतरीन अस्पताल है लेकिन अब इसमें अध्यात्म से इलाज का मौका भी मिल सकता है। इसके लिए निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने कमेटी गठित की है। सूत्रों की मानें तो स्प्रिचुअल मेडिसिन विभाग शुरू होगा और जल्द ही इसका लाभ मरीजों को भी मिलेगा।
दवा की गुणवत्ता पर कड़ी नजर
दवा की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए सरकार ने तय किया है कि अब WHO के मानक के अनुरूप भारत की दवा कंपनियां दवा निर्माण करेंगी। इसके लिए कानून में जरूरी सुधार किये जा रहे हैं। यह यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब WHO ने भारत की कुछ फर्मों द्वारा कफ सिरप को लेकर चिंता जता चुकी है।
mRNA टेक्नोलॉजी को नोबेल सम्मान
कोरोना महामारी को रोकने के लिए mRNA टेक्नोलॉजी देने वाले वैज्ञानिकों कैटेलिन कैरिको (Katalin Kariko) और ड्रू वीजमैन (Drew Weissman) को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। इसके आधार पर दुनियाभर के वैज्ञानिक शरीर में होने वाले इम्यून सिस्टम के एक्शन और रिएक्शन को और ज्यादा समझ पाए थे। इस पर ये दोनों 1990 से लगातार रिसर्च कर रहे थे। इसी तकनीक से वैक्सीन बने और कोरोना महामारी पर काबू पाया जा सका।
तापमान बढ़ा तो होगी तबाही
तापमान वैसे तो हर साल बढ़ रहा है लेकिन अब अगर दो डिग्री और बढ़ा तो भारत समेत कई देश के करोड़ों लोगों के लिए जानलेवा साबित होगा। खासकर सिंधु नदी घाटी इलाके में रहने वाले लोग। एक नई रिसर्च में यह दावा किया गया है। उसके मुताबिक तब उच्च आर्द्रता के साथ गर्म हवाएं चलेंगी। इससे हीट स्ट्रोक और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ेगा।
ब्रेन में लगा चिप करेगा कमाल
मेडिकल क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की भूमिका तैयार हो गयी है। असल में एलन मस्क की ब्रेन चिप कंपनी न्यूरालिंक को ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी मिल गई है। अगर यह कामयाब रहा तो चिप के जरिए दृष्टिहीन भी देख सकेंगे, लकवा पीड़ित मरीज भी सोचकर कंप्यूटर चला सकेंगे। इसका ट्रायल 6 साल चलेगा तब जाकर पता चलेगा कि यह कितना सार्थक होगा।