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भारतीय स्टेंट ने यूरोपीय मेडटेक बाजार में छुड़ाए छक्के

धनंजय कुमार

इसे मेडटेक क्षेत्र में टर्निंग प्वाइंट की संज्ञा दें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारतीय स्टेंट ‘सुप्राफ्लेक्स क्रूज’ ने अपनी श्रेष्ठता के बूते यूरोप में जिस तरह पासा पलटा है वैसी पहले कोई मिसाल नहीं। किसी भारतीय मेडटेक कंपनी का बहुराष्ट्रीय कंपनियों के चक्रव्यूह को तोड़ना बड़ी घटना है। बहुराष्ट्रीय स्टेंट मेकर कंपनियों के बुने जाल को तोड़ कर जिस तरह इस मेड इन इंडिया स्टेंट ने अपना डंका बजाया है, उससे यूरोप में ऐसी ही गिरोहबाजी से दो चार मेडटेक की अन्य कई भारतीय कंपनियों के हौसले बुलंद हुए हैं।
सुप्राफ्लेक्स क्रूज स्टेंट ने गुणवत्ता के बूते खुद यूरोप की लड़ाई जीत ली। इसे बनाने वाली कंपनी सहजानंद मेडिकल टेक्नालाजीज लिमिटेंड (SMT) ने फर्मास्यूटिकल सचिव डॉ. अरुनीश चावला को एक ई मेल भेज कर अपने स्टेंट के रास्ते बिछाए गए कांटों का पूरा ब्यौरा दिया है। ई मेल का ध्येय इतना भर रेखांकित करना है कि मेड इन इंडिया उपकरणों की गुणवत्ता चाहे कितनी भी अच्छी क्यों न हो, बहुराष्ट्रीय कंपनियां उन्हें बाहर के देशों में चौन से कारोबार नहीं करने देने वाली।
भारत के मेडटेक पार्कों में बन रहे मेडिकल डिवाइसों की विश्वस्तरीय श्रेष्ठता देख कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दिलों पर सांप लोटने लगे हैं। उन्हें वर्षों से अपने एकाधिकार के दिन लदने का आभास होने लगा है। भारत में हर साल करीब 60 हजार करोड़ रुपए के अपने कारोबार के हाथ से निकलने की आशंका ने उन्हें अंदर से हिला दिया है। वे भारतीय मेडटेक कंपनियों के उच्च गुणवत्ता वाले मेडिकल उत्पादों को रोकने के लिए गिरोहबाजी का रास्ता अख्तियार करने लगे हैं। लेकिन भारत के एक उत्कृष्ट स्टेंट के सामने उनके बुरी तरह पिटने की एक घटना ने यह साबित कर दिया है कि दुनिया की फार्मेसी की तरह ही भारत को मेडिकल टेक्नोलॉजी का ग्लोबल हब बनने से बहुत दिन तक रोका नहीं जा सकेगा।
यूरोप के देशों में सुप्राफ्लेक्स क्रूज के लगातार बढ़ते बाजार को देख कर बहुराष्ट्रीय स्टेंट निर्माता कंपनियों ने कांटे बिछाने का प्रपंच रचा। लेकिन सुप्राफ्लेक्स क्रूज जिस खूबी के साथ दिल की बंद नली को खोलता है, उसी खूबी से इसकी निर्माता भारतीय कंपनी SMT ने अपने विरोधी कंपनियों को धूल चटाई है। मेडटेक हलके में SMT एवं उसके उत्कृष्ट स्टेंट की प्रशंसा हो रही है। दिल के डॉक्टर भी उसकी उत्कृष्टता की गवाही दे रहे हैं। यूरोप की अदालत में यह स्टेंट पूरी तरह चोखा साबित हुआ है। किस्सा-कोताह यह है कि विश्वस्तरीय भारतीय स्टेंट के बढ़ते बाजार को देखते हुए दिल की नली में होने वाले ‘ब्लाक’ की तरह ही इस स्टेंट के सामने गिरोहबाजी का एक ब्लॉक खड़ा कर दिया गया। प्रतियोगी कंपनियों ने एक यूरोपीय लॉ फर्म को अपना मुख्तार नियुक्त किया। इस फर्म ने सर्टिफिकेशन एजेंसी DNV पर दबाव बढ़ाया। DNV ने भी तंुरत फुरंत सुप्राफ्लेक्स क्रूज स्टेंट से उसका सीई मार्क छीन लिया। DNV का यह कदम उद्योग जगत में सबको सकते में डालने वाला था। सर्टिफिकेशन एजेंसी ने उचित प्रक्रिया के पालन के बगैर आधारहीन आरोपों के आधार पर यह कदम उठाया। CE मार्क के छिन जाने से यूरोपीय मार्केट में SMT की बड़ी मेहनत से कमाई गई शोहरत और पकड़ को झटका लगने की आशंका प्रकट हो गई थी। लेकिन वहां के कोर्ट ने स्टेंट के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि स्टेंट की गुणवत्ता वहां के दूसरे स्टेंट से कतई कमतर नहीं है और इसके खिलाफ साजिश हुई। SMT कंपनी के अत्युत्तम स्टेंट की बाट लगाने की यह कोशिश आंख खोलने वाली है। स्टेंट भले श्रेष्ठ गुणवत्ता की वजह से बेदाग निकल गया लेकिन बहुराष्ट्रीय भाई लोगों ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

दिल की बंद नली खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी में उपयोग आने वाले जीवन रक्षक स्टेंट को बनाने वाली भारत की इस सबसे बड़ी कंपनी SMT के चीफ आपरेटिंग आफिसर (COO) अजीत भवर कहते हैं-श्रेष्ठता के बल पर दुनिया के हमारे सबसे पतले स्टेंट ‘सुप्राफ्लेक्स क्रूज’ ने यूरोप की अदालत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को जो पटखनी दी है, वह एक अभूतपूर्व घटना है। इससे यह साबित हुआ है कि हम अपने मेडटेक उत्पादों की गुणवत्ता पर फोकस करें तो मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुऱाष्ट्रीय कंपनियों के एकाधिकार को तोड़ने में समय नहीं लगेगा। गुणवत्ता के मामले में हम रत्तीभर भी कोताही नहीं करते। हमारी इस जीत ने सिर्फ स्टेंट ही नहीं, हार्ट वाल्व सहित तमाम अन्य कार्डियोवास्कुलर उत्पादों के मामले में भी हमें उन्हें उन्हीं के गढ़ में मात देने का हौंसला बुलंद किया है।

SMT के वाइस प्रेसीडेंट डॉ. राजीव छिब्बर कहते हैं-हमारे बायोमेडिकल इंजीनियर्स की प्रतिभा का सही उपयोग हो तो हम सभी देशों को मेडिकल डिवाइस के क्षेत्र में मात दे सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ की जो अलख जगाई है, वह मेडटेक के क्षेत्र में भी बहुत दूर तलक जाने वाली है। उसकी शुरुआत हो चुकी है। यूरोप में हमारे स्टेंट की विजय शुरुआत भर है। हम यदि गुणवत्ता के उच्चतम मानदंड स्थापित करें तो मेड इन इंडिया उत्पादों का रास्ता कोई षडयंत्र नहीं रोक पाएगा।
डॉ. राजीव ने दावा किया कि एसएमटी का सुप्राफ्लेक्स क्रूज स्टेंट यूरोप के 5 टॉप स्टेंट में शुमार है। यूरोप के कई देशों में तो यह अव्वल भी है। भारत में निःसंदेह यह स्टेंट शीर्ष पर है। सहजानंद मेडिकल टेक्नालाजीज लिमिटेड (SMT) के दवा प्रक्षालित (ड्रग इल्यूटिंग) स्टेंट को मेक इन इंडिया के पथप्रदर्शक उत्पाद के रूप में देखा जा रहा है। इसने विदेशो में मेक इन इंडिया जज्बे का मान बढ़ाया है।
भारत की एकमात्र कैथलैब कंपनी IITPL को श्रेष्ठ टेक्नोलॉजी एवं गुणवत्ता के बावजूद यूरोपीय कंपनियों के ऐसे ही षडयंत्रो का सामना करना पड़ रहा है। IITPL (इनोवेशन इमेजिंग टेक्नालाजीज प्राइवेट लिमिटेड) एक अति प्रतिष्ठित कंपनी रही है। ऐसी ही परिस्थिति भारतीय सर्जिकल रोबोट के मामले में उत्पन्न हो रही है। अमेरिका में रोबोटिक सर्जन के रूप में अतिविख्यात डॉ. सुधीर श्रीवास्तव पीएम मोदी के मेक इन इंडिया आह्वान पर ताव में आकर भारत आ गए और इस क्षेत्र में काबिज दो बहुराष्ट्रीय कंपनियों से बेहतर मंत्रा नामक सर्जिकल रोबोट बना कर दिखा दिया। यह इतना ही अच्छा सर्जिकल रोबोट बना है कि सर्जिकल रोबोट के पिता कहे जाने वाले वैज्ञानिक अमेरिकी रोबोटिक कंपनी को छोड़कर मंत्रा बनाने वाली कंपनी एसएस इनोवेशन में शामिल हो गए हैं लेकिन सर्जिकल रोबोट बनाने वाली अन्य दो बहुराष्ट्रीय कंपनियां हर कदम पर मंत्रा के सामने कांटे बिछा रही है। मजे की बात है कि मंत्रा को तो उनके षडयंत्रों का भारत में ज्यादा सामना करना पड़ रहा है।

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