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दवा की कीमत निर्धारण से करोड़ों की हुई बचत

दवा की कीमत निर्धारण से करोड़ों की हुई बचत

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। दवा की कीमतों के समय—समय पर निर्धारण होते रहने से उसके औसत मूल्य में कमी आयी। इससे रोगियों को लगभग 3,788 करोड़ की वार्षिक बचत होने का अनुमान है। यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

दवा कीमत निर्धारण की है प्रक्रिया

मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक मंत्री ने बताया कि आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) को अधिसूचित की जाती है। इसमें औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 (डीपीसीओ, 2013) की अनुसूची-I के रूप में शामिल किया गया है। फार्मास्यूटिकल्स विभाग (डीओपी) के तहत राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) डीपीसीओ, 2013 के प्रावधानों के अनुसार इन अनुसूचित दवाओं की अधिकतम कीमतें तय करता है। अनुसूचित दवाओं के सभी निर्माताओं और विपणक को अपने उत्पादों को एनपीपीए द्वारा तय की गई अधिकतम कीमत (प्लस लागू माल और सेवा कर) के भीतर बेचना आवश्यक है। इसके अलावा एनपीपीए नई दवाओं का खुदरा मूल्य तय करता है, जैसा डीपीसीओ, 2013 में परिभाषित किया गया है।

निधारित मूल्य पर दवा बेचना अनिवार्य

उत्तर के मुताबिक आवेदक निर्माताओं और उनके विपणकों के लिए भी एनपीपीए द्वारा अधिसूचित मूल्य के भीतर नई दवा बेचना आवश्यक है। 12.3.2025 तक एनपीपीए द्वारा 928 अनुसूचित फॉर्मूलेशनों की अधिकतम कीमतें तथा 3,200 से अधिक नई दवाओं की खुदरा कीमतें निर्धारित कर दी गई हैं। एनएलईएम, 2022 के तहत कीमतों के निर्धारण या पुनर्निर्धारण के कारण औसत मूल्य में कमी लगभग 17 प्रतिशत थी। एनपीपीए द्वारा निर्धारित कीमतों का विवरण इसकी वेबसाइट (www.nppaindia.nic.in) पर उपलब्ध है।

दवा की कीमत जनऔषधि से भी घटी

सरकार ने मूल्य विनियमन के अलावा प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के माध्यम से सस्ती आवश्यक दवाओं तक पहुंच को भी सक्षम किया है, जिसके तहत जन औषधि केंद्रों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण दवाएं ऐसी दरों पर उपलब्ध कराई जाती हैं जो आमतौर पर बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड दवाओं की कीमतों से 50 प्रतिशत से 80 प्रतिशत कम होती हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की सस्ती दवाएं और उपचार के लिए विश्वसनीय इम्प्लैन्ट्स (एएमआरआईटी) पहल के तहत, कैंसर, हृदय और अन्य बीमारियों के उपचार के लिए दवाएं, इम्प्लैन्ट्स, सर्जिकल डिस्पोजेबल और अन्य उपभोग्य वस्तुएं आदि कुछ अस्पतालों/संस्थानों में स्थापित अमृत फार्मेसी स्टोर के माध्यम से बाजार दरों पर 50 प्रतिशत तक की महत्वपूर्ण छूट पर प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा, आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में आने वाले रोगियों की जेब से होने वाले खर्च को कम करने के लिए, सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत निःशुल्क दवा सेवा पहल शुरू की है, जिसके तहत राज्य और केन्‍द्र शासित प्रदेश सरकारों को उप-स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 106 दवाओं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 172 दवाओं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 300 दवाओं, उप-जिला स्वास्थ्य स्तर पर 318 दवाओं और जिला अस्पतालों में 381 दवाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

जनऔषधि में 2047 दवाएं

वर्तमान में 2047 दवाएं और 300 शल्य चिकित्सा, चिकित्सा उपभोग्य वस्तुएं और उपकरण पीएमबीजेपी योजना उत्पाद टोकरी के अंतर्गत हैं, जिसमें सभी प्रमुख चिकित्सीय समूह शामिल हैं, जैसे हृदय, कैंसर, मधुमेह, संक्रमण, एलर्जी और गैस्ट्रो-आंत्र के उपचार सम्‍बंधी दवाएं और न्यूट्रास्युटिकल्स आदि। औषधि विभाग ने 31.3.2025 तक उत्पाद टोकरी को 2,100 दवाओं और 310 शल्य चिकित्सा, चिकित्सा उपभोग्य वस्तुओं और उपकरणों तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। अनुसूचित और गैर-अनुसूचित दोनों प्रकार की दवाओं की कीमतों की निगरानी एनपीपीए द्वारा की जाती है। निगरानी गतिविधियां राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेश मूल्य निगरानी संसाधन इकाइयों (पीएमआरयू), राज्य औषधि नियंत्रकों (एसडीसी), बाजार के नमूनों, बाजार आधारित डेटाबेस और फार्मा जन समाधान (पीजेएस) पोर्टल, केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त शिकायतों के संदर्भों पर आधारित हैं। अधिक कीमत वसूलने के मामलों का निपटान एनपीपीए डीपीसीओ, 2013 के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत करता है।

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