नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने भारत नवाचार शिखर सम्मेलन-टीबी उन्मूलन के लिए अग्रणी समाधान का उद्घाटन किया। इसका सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग-भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (DHR-ICMR) और केंद्रीय टीबी प्रभाग (सीटीडी), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। शिखर सम्मेलन का उद्देश्य 2025 के अंत तक टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रगति को गति देना है। सम्मेलन में यह उम्मीद भी जताई गई कि आगामी पांच वर्षों में कुष्ठ, लसीका फाइलेरिया, खसरा, रूबेला और कालाजार का उन्मूलन कर दिया जायेगा।
टीबी उन्मूलन पर देश लक्ष्य की ओर
श्रीमती पटेल ने टीबी नियंत्रण में भारत की उल्लेखनीय प्रगति और इस मिशन में नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कार्यक्रम 2025 तक टीबी को खत्म करने के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। 2015 में छूटे हुए मामलों की संख्या 15 लाख से घटकर 2023 में 2.5 लाख हो गई है। कार्यक्रम 2023 और 2024 में 25.5 लाख टीबी और 26.07 लाख मामलों को अधिसूचित करने में सफल रहा, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। WHO की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में टीबी मामलों की दर 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 237 से 17.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2023 में 195 प्रति लाख जनसंख्या पर गई है। टीबी से होने वाली मौतें 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 से 2023 में 21.4 प्रतिशत घटकर 22 प्रति लाख जनसंख्या पर आ गई हैं। भारत में टीबी उपचार का दायरा पिछले आठ वर्षों में 32 प्रतिशत बढ़कर 2015 में 53 प्रतिशत से 2023 में 85 प्रतिशत हो गया है।
टीबी उन्मूलन के लिए प्रभावी दवाएं
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि सभी राज्यों में बेडाक्विलाइन युक्त एक छोटी और सुरक्षित पिलाई जाने वाली दवा प्रतिरोधी टीबी उपचार व्यवस्था शुरू की गई है जिससे दवा प्रतिरोधी टीबी रोगियों की उपचार सफलता दर 2020 में 68 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 75 प्रतिशत हो गई है। दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए एक अधिक प्रभावी उपचार व्यवस्था, एमबीपीएएल (बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड (300 मिलीग्राम) भी शुरू की गई है जो बहु-दवा प्रतिरोधी तपेदिक (एमडीआर टीबी) के लिए 80 प्रतिशत अधिक प्रभावी है और इससे उपचार की अवधि 6 महीने तक कम हो जाएगी।
टीबी उन्मूलन में जबरदस्त सफलता
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि भारत ने टीबी उन्मूलन की दिशा में जबरदस्त सफलता हासिल की है। अब आने वाले पांच वर्षों में पांच बीमारियों का उन्मूलन करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है जिनमें कुष्ठ रोग, लिम्फेटिक फाइलेरिया, खसरा, रूबेला और कालाजार शामिल हैं। उन्होंने दवा प्रतिरोधी टीबी के निदान के लिए उन्नत और बेहतर उपकरणों की आवश्यकता पर भी जोर दिया और टीबी का पता लगाने और उन्मूलन के लिए समाधान प्रदान करने में एआई की क्षमता को रेखांकित किया। उन्होंने आगे कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए ऐसी तकनीक को उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिसे बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके। साथ ही नई तकनीकों की सुविधा और उनकी स्वीकृति के साथ-साथ महत्वपूर्ण नवाचारों के लिए वित्त पोषण सुनिश्चित करना और आगे के शोध के लिए क्षेत्रों की पहचान करना इसमें शामिल हैं।
टीबी उन्मूलन में अनुसंधान पर बल
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने भारत के टीबी उन्मूलन प्रयास में अनुसंधान और स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डाला। टीबी का पता लगाने, उपचार, पुनर्वास और रोकथाम में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि टीबी के खिलाफ हमारी लड़ाई में वैज्ञानिक प्रगति सबसे आगे रही है। कठोर शोध के माध्यम से, हमने अभिनव निदान, उपचार व्यवस्था और एआई-आधारित उपकरणों को मान्य किया है जो प्रारंभिक पहचान को बढ़ाते हैं और रोगी के परिणामों को बेहतर बनाते हैं। उन्होंने घरेलू नवाचारों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जो न केवल भारत को लाभान्वित करते हैं बल्कि वैश्विक टीबी उन्मूलन मिशन में भी योगदान देते हैं।