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आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़ा की पोल खुली

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। गरीबों को पांच लाख तक की मुफ्त चिकित्सा की सुविधा देने वाली आयुष्मान भारत योजना केंद्र सरकार की बड़ी पहचान रही है लेकिन इसमें भी ऐसा फर्जीवाड़ा हो गया कि मरे हुए लोगों के नाम पर कार्ड बनाकर लूट मचा दी गयी। यह खुलासा CAG की रिपोर्ट में हुआ है। एक अंग्रेजी दैनिक में यह प्रकाशित हुआ है। CAG सरकार के खर्चों का हिसाब करने वाली संस्था है।

CAG की रिपोर्ट में सबका खुलासा

कॉम्पट्रॉलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट में बताया है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत करीब 7.5 लाख लोगों का रजिस्ट्रेशन सिर्फ एक फोन नंबर पर किया गया है। इसके अलावा एक और फोन नंबर है, जिस पर 1.39 लाख रजिस्ट्रेशन दर्ज किए गए हैं। यह बात भी सामने निकलकर आई है कि इस योजना के तहत कई ऐसे लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया है, जो रजिस्ट्रेशन के लिए योग्य नहीं हैं। इन लोगों ने योजना का लाभ भी उठाया है। रिपोर्ट के अनुसार रजिस्ट्रेशन के योग्य नहीं रहने वाले लोगों ने 22 करोड़ रुपये का लाभ लिया है। जिन 7.5 लाख लाभार्थियों ने आयुष्मान भारत का लाभ उठाया है, उनका रजिस्ट्रेशन भी एक ही नंबर से किया गया। रिपोर्ट में वैसे सारे फर्जी नंबर दर्ज हैं।

पांच राज्यों में ज्यादा धोखाधड़ी

यह रिपोर्ट एक दिन पहले ही 8 अगस्त को संसद में रखी गई है। रिपोर्ट में आयुष्मान योजना से जुड़े अस्पतालों की क्वालिटी पर भी सवाल उठाया गया है। रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि कुछ राज्यों में लाभार्थियों से अलग से पैसे भी वसूले गए हैं। 2017 से 2021 से बीच इस योजना के तहत 2103 लाभार्थी ऐसे थे, जिनकी मौत हो चुकी थी, लेकिन तब भी उन्हें योजना का फायदा मिल रहा था। छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश ऐसे राज्ये थे, जहां इस तरह के सबसे ज्यादा मामला आया है।

6.97 करोड़ का किया गया भुगतान

इस योजना के तहत ऐसे मरीज इलाज करा रहे हैं जिन रोगियों को पहले ‘मर गया’ दिखाया गया था. लेकिन मरने के बाद भी वे इलाज कराते रहे। मृत्यु के मामलों के डेटा का विश्लेषण करने से पता चला कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार के दौरान 88,760 रोगियों की मृत्यु हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 3,903 मामलों क्लेम की राशि का भुगतान अस्पतालों को किया गया। इनमें 3,446 मरीजों से संबंधित पेमेंट 6.97 करोड़ रुपये का था।

बिना सत्यता जांच के मिला भुगतान

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के दावों का सफल भुगतान राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों की ओर से अपेक्षित जांचों को सत्यापित किए बिना किया गया। यह भी पता चला है कि इस योजना के एक ही लाभार्थी को एक ही समय में कई अस्पतालों में भर्ती किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने भी इस मुद्दे को जुलाई 2020 में उजागर किया था।

NHA की रिपोर्ट में भी जिक्र

NHA ने रिपोर्ट में कहा था कि एक बच्चे का जन्म एक अस्पताल में होता है और उसकी मां की PMJAY ID का उपयोग करके दूसरे अस्पताल में नवजात देखभाल के लिए ट्रांसफर कर दिया जाता है। जांच में सामने आया है कि डेटाबेस में 48,387 मरीजों के 78,396 दावे पाए गए, जिसमें पहले के इलाज के लिए इन मरीजों की छुट्टी की तारीख, उसी मरीज के दूसरे इलाज के लिए अस्पताल में एंट्री की तारीख के बाद की थी। ऐसे मरीजों में 23,670 पुरुष मरीज शामिल हैं।

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