स्वस्थ भारत मीडिया
फ्रंट लाइन लेख / Front Line Article

कठिन तप ने कई डाॅक्टरों को पद्म सम्मान दिलाया

अजय वर्मा

पिछले कई सालों से पद्म सम्मान के चयन में कड़ी मेहनत और साधना से अनोखी उपलब्धि हासिल करने वालों को जगह दी जा रही है। इस साल की सूची में कला-संस्कृति में सर्वाधिक 39, साहित्य-शिक्षा में 15, साइंस-टेकनाॅलोजी में 10 और मेडिसिन-चिकित्सा के क्षेत्र में 7 सम्मान मिले हैं। वैसे मेडिसिन और चिकित्सा का क्षेत्र निरंतर शोध का है लेकिन इस क्षेत्र में सम्मानितों की उपलब्धि सुनेंगे तो आप भी हैरत में पड़ जायेंगे। ORS के जनक डाॅ. महलानवीस को अब सब पहचानने लगे हैं।

s c shekhar

एस सी शेखर भी गजब जीवट वाले हैं। 1985 में कनिष्क विमान पर बमबारी में इन्होंने दो बच्चों और पत्नी को खो दिया। यह विमान 31 हजार फीट ऊपर हादसे का शिकार हुआ था जिसमें 329 सवारों की मौत हो गई थी। इस अपार दुख को कम करने के लिये इन्होंने वंचितों के उत्थान में अपना जीवन लगा दिया। जरूरतमंदों को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधायें दीं। 97 साल के श्री शेखर ने आंख के तीन लाख मरीजों का इलाज किया जिसमें 90 फीसद सर्जरी मुफ्त की। ये आंध्रप्रदेश के हैं।

 

 

Dr. Nalini

डॉ. नलिनी पार्थसारथी पुडुचेरी और तमिलनाडु के पड़ोसी जिलों में हीमोफिलिया के रोगियों के बीच तीन दशकों से अधिक समय तक काम कर रही हैं। हीमोफिलिया सोसाइटी, पुडुचेरी की प्रमुख भी हैं। वे कहती हैं-मेरी नियमित निगरानी और सहायता के तहत लगभग 300 रोगी हैं। सबसे छोटे की उम्र करीब छह माह और सबसे बड़े की 72 वर्ष है। रक्तस्राव के दौरान दी जाने वाली एंटी-हेमोफिलिया कारक (AHF) की एक शीशी की कीमत लगभग 10,000 रुपये होगी। हम उन्हें मुफ्त प्रदान करते हैं।

 

 

Dr. M. C. Dawar

महाराष्ट्र के डॉ. हिम्मतराव बावस्कर 71 साल के हैं। उन्होंने लाल बिच्छू के डंक से होने वाली मौतों पर जो शोध किया, उसकी दुनिया भर में सराहना मिली। ऐसे 51 मामलों पर उनका काम 1982 में लांसेट में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने नागपुर से एमबीबीएस करने के बाद रायगढ़ की महाड तहसील में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर के रूप में काम करना शुरू किया और 40 वर्षों तक वहां काम किया। एमपी के जबलपुर के रहने वाले 76 साल के आर्मी डाॅ. मुनीश्वर चंदर डावर 1971 के बंगलादेश युद्ध में भाग ले चुके हैं। वे 50 साल से वंचितों की स्वास्थ्य सेवा में लगे हैं। जान लीजिये कि 2010 में वे मात्र 2 रुपये की फी पर गरीबों का इलाज कर रहे थे। अब बढ़ा है तो 20 रुपये ले रहे हैं।

 

R C Kar

बीएचयू के सर्जन प्रोफेसर मनोरंजन साहू का आयुर्वेद के क्षेत्र में बड़ा योगदान रहा है। वे क्षार सूत्र चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने इससे भगंदर का न केवल इलाज विकसित किया बल्कि इसमें प्रयुक्त होने वाले आयुर्वेदिक धागे की खोज भी की। उनका जन्म बंगाल के मिदनापुर में 1953 में हुआ था। 66 साल के श्री रतन चंद्र कार ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में हजारों साल पुरानी जारवा जनजाति को विलुप्त होने से बचाया। वहां 1999 में जारवा जनजाति में मिजल्स की महामारी फैल गयी थी। उन्होंने पीड़ितों को बचाने में जी जान लगा दी और इसको विलुप्त होने से बचाया। तब उनकी आबादी मात्र 76 थी जो अब 270 पार है। इतना ही नहीं, उनकी संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए उसे लिपिबद्ध कर किताब की शक्ल भी दी।

85 साल के डाॅ. ईश्वर चंद्र वर्मा पिछले पांच दशक से जेनेटिक्स और जेनोमिक्स के क्षेत्र में हैं। 1967 से 1996 तक उन्होंने एम्स, दिल्ली में भी अपनी सेवा दी। दुर्लभ जेनेटिक रोगों पर वे भारत सरकार के सलाहकार भी हैं। लिम्का बुक रिकाॅर्डस में 2003 में इनको स्थान दिया गया। इन दिनों दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सेवा दे रहे हैं। डॉ. गोपालसामी वेलुचामी (75) ने 2018 से 2021 तक आयुष मंत्रालय के सिद्धा अनुसंधान अनुसंधान के लिए केंद्रीय परिषद के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह वर्तमान में सिद्धा के मानद अध्यक्ष हैं।

 

Dr. P Dasgupta

प्रोफेसर प्रोकर दासगुप्ता यूनाइटेड किंगडम के एक चिकित्सक-वैज्ञानिक हैं जिनका करियर 30 साल पहले शुरू हुआ था जब उन्होंने लीशमैनियासिस नामक एक परजीवी रोग की प्रतिरक्षा विज्ञान का अध्ययन शुरू किया। अकादमिक उत्कृष्टता में उनका अमूल्य योगदान रहा। उन्होंने रोबोटिक यूरोलॉजिकल सर्जरी का बीड़ा उठाया। 2010 और 2018 में उन्हें डेली मेल द्वारा यूनाइटेड किंगडम में शीर्ष दस प्रोस्टेट कैंसर सर्जनों में से शामिल किया गया था। उनको मूत्राशय की नसों को लक्षित करने के लिए एक लचीली दूरबीन के साथ बोटुलिनम टॉक्सिन (BOTOX) को इंजेक्ट करने की एक नवीन तकनीक का वर्णन करने का श्रेय दिया जाता है। इसने दुनिया भर में लाखों रोगियों की मदद की है।

यह भी पढ़ें–https://www.swasthbharat.in/wp-admin/post.php?post=29648&action=edit

Related posts

बजट : आयुष पर फोकस लेकिन मेंटल हेल्थ पर उदासी

admin

किरण बेदी ने स्वस्थ भारत यात्रा का किया समर्थन

Ashutosh Kumar Singh

समाधान परक पत्रकारिता समय की मांगः प्रो.के.जी.सुरेश

Ashutosh Kumar Singh

Leave a Comment