नयी दिल्ली। Swasth Bharat Media
Dr. meena Talk on Quality Care In India. गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाएं आज मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और खुशी की बात है कि भारत इस दिशा में अपना कदम तेजी से बढ़ा रहा है। यह जानकारी यूट्यूब पर प्रसारित एक भेंटवार्ता में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के संयुक्त निदेशक डाॅ. जे.एल. मीणा ने दी। इनको अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्यों के लिए मैन |ऑफ एक्सीलेंस समेत कई सम्मान मिल चुके हैं। स्वस्थ भारत मीडिया के विशेष कार्यक्रम ‘डाॅक्टर से मिलिए’ में डाॅ. मीणा वरिष्ठ स्वास्थ्य पत्रकार आशुतोष कुमार सिंह के समक्ष भारत में क्वालिटी केयर की स्थिति को रेखांकित कर रहे थे।
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गुणवत्ता का अहम रोल
डाॅ. मीणा ने साफ शब्दों में कहा कि हेल्थ सेक्टर में गुणवत्ता का अहम रोल है। इसके बिना चिकित्सा क्षेत्र में आशातीत सफलता नहीं मिल सकती है। विस्तार में जाते हुए उन्होंने कहा कि रोगी को उचित इलाज मिलना स्वास्थ्य सेवाओं का वो पक्ष है जो सबके सामने है लेकिन पर्दे के पीछे विभिन्न तरह के टेस्ट, अस्पतालों को साफ-सुथरा रखना, मेडिकल कचरे का सफलतापूर्वक निष्पादन का भी बड़ा रोल है। इन सबके बिना मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य नहीं मिल सकता। देश भर में स्वच्छ भारत अभियान इसी पहल का अंग है।
कसौटी पर खरा उतरना जरूरी
डाॅ. मीणा का मानना है कि चाहे सरकारी क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र के अस्पताल, गुणवत्ता के स्तर पर खड़ा उतरने के लिए कई मानक हैं और उन्हें परखने के लिए एजंेसी भी। उनकी कसौटी पर सबको खरा उतरना होता है। उनके मुताबिक अब तक इस दिशा में जो प्रयास हुए हैं, वे देश के हेल्थ सेक्टर को विश्वस्तरीय बनाने की ओर हैं। इससे मेडिकल टूरिज्म बढ़ने लगा है जो सुखद संकेत हैं। और बेहतर परिणाम पाने को कई कदम उठाये गये हैं। कायाकल्प अवार्ड भी इसी का हिस्सा है। वे कहते हैं कि गुणवत्ता लाना काॅमन सेंस का हिस्सा है जो जागरूकता से संभव है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कमी पर नजर
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था की चर्चा उठने पर उन्होंने स्वीकार किया कि ग्रामीण क्षेत्र में जरूर कमी है लेकिन इसे भी दुरुस्त किया जा रहा है। जो कर्मी अच्छा काम करें, उनको समय पर प्रोत्साहन देना होगा तब उनमें और अच्छा करने की प्रेरणा मिलेगी।
डाॅक्टरों की कमी दूर होगी
चिकित्सकों की उपलब्धता पर उनका कहना था कि ग्रामीण क्षेत्रों में जरूर कमी है लेकिन इस स्तर भी प्रयास निरंतर हो रहे हैं और स्थिति में सुधार भी हो रहा है। इसी क्रम में उनका माना है कि एलोपैथ समेत विभिन्न पैथ के डाॅक्टरों में समन्वय बिठाकर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा दी जा सकती है। अक्सर देखा जाता है कि किसी दूसरे पैथ के डाॅक्टर भी एलोपैथ पद्धति अपना लेते हैं। यह भी अच्छी बात नहीं है।
मां से मिली प्रेरणा
अपने बारे में उन्होंने बताया कि मां की प्रेरणा से वे सरकारी क्षेत्र में आये ताकि वंचित लोगों तक गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा पहुंच सके।