नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अभी 8 बिलियन डॉलर है लेकिन अगले दशक में इसके 44 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। अंतरिक्ष विभाग के मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में स्वदेशी गगनयान मिशन, आगामी चंद्रयान-4 (2027), शुक्रयान (2028) और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (2030) जैसी बड़ी उपलब्धियां भारत की मजबूत प्रगति को दर्ज कराती हैं।
हमारे प्रयास चौथी औद्योगिक क्रांति की ओर
संसद टीवी पर प्रसारित एक इंटरव्यू में उन्होंने नवाचार को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप और FDI की सराहना की जो स्पैडेक्स जैसे मिशन डॉकिंग क्षमताओं को बढ़ाते हैं, जो तकनीकी प्रगति की दिशा में बड़ी सफलता है। भारत ने व्योम मित्र रोबो मिशन को मानव अंतरिक्ष अन्वेषण के अग्रदूत के रूप में सामने है। उन्होने दावा किया कि बायो-मैन्युफैक्चरिंग और बायो फाउंड्रीज चौथी औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा देंगे। हिमालय से लेकर समुद्र तटों तक प्रचुर संसाधनों वाले भारत की जैव-अर्थव्यवस्था, विकास को गति देने के लिए सुर्खियों में रही।
वैश्विक नवाचार का अगुवा बनेगा भारत
डॉ. सिंह ने कहा कि समर्पित जैव-अर्थव्यवस्था नीति वाले पहले देशों में से एक भारत, इस क्षेत्र में रीसाइक्लिंग, विनिर्माण और स्टार्टअप में वैश्विक नवाचार का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। चेहरा पहचान-सक्षम डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र और गतिशील ऑनलाइन मॉड्यूल जैसे डिजिटल नवाचारों ने नागरिकों के जीवन को आसान बना दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य और पर्यावरण सम्बंधी चिंताओं को दूर करने में वैश्विक मानकों को पूरा करने वाले निवारक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत के नेतृत्व पर भी प्रकाश डाला।