नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। सरकार एक ओर रोगों के उपचार को सस्ता और सर्वसुलभ बनाने के लिए जनऔषधि से लेकर आयुष्मान भारत योजना चलाकर फोकस कर रही है तो दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की नौकरषाही उसमें पलीता लगाने का काम कर रही है। यूपी की घटना यही साबित कर रही है।
डिप्टी सीएम ने खुद देखा हाल
खबरों के मुताबिक हाल ही यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक एक दिन उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन के गोदाम पर गए थे। कंप्यूटर में जब एक्सपायर्ड दवाइयों की सूची निकाली गई तो पाया गया कि 16 करोड़ 44 लाख से ज्यादा की दवाइयां एक्सपायर्ड हो गई जो गोदाम में थी। उन्होंने बताया कि वहां दवाइयों का रख-रखाव भी ठीक ढंग से नहीं किया जा रहा था। पूरे प्रकरण की जांच के लिए आदेश दिया गया है। उन्होंनेे चिकित्सा विभाग सचिव को कहा है कि शीघ्र इसकी प्राथमिक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। जिसकी भी जिम्मेदारी तय होगी, सरकार उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
हर जगह ऐसी हालत
उत्तर प्रदेश में राजकीय अस्पतालों में माफियाओं का अदृश्य संजाल है जो असहज रूप से दवाओं की खरीदारी में रुचि लेता है और दवाओं की घटिया गुणवत्ता के बावजूद आपूर्तिकर्ताओं से मोटी रकम लेकर स्वीकृति देते हैं। लगभग यह स्थिति सभी राज्यों में है।