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बीमार स्वास्थ्य तंत्र की सेहत सुधारने मे ‘आयुष्मान भारत‘ का रोल अहम

 

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। लोगों तक किफायती एवं गुणवत्तंापरक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के अपने उद्देश्य में सफल होकर आयुष्मान भारत ने नई उम्मीद जगाई है। इसमें सामाजिक-आर्थिक जनगणना डेटाबेस के तहत कवर किए गए समाज के वंचित वर्गों के लिए योजना के लाभों का विस्तार करने हेतु नए सिरे से प्रोत्साहन दिया गया है।

70 करोड़ लोग कवर

दिल्ली से प्रकाशित दैनिक जागरण में लिखे अपने लेख में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. आर.एस. शर्मा कहते हैं कि अपने नागरिकों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के मकसद से मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति यानी एनएचपी को 2017 में अपनाया। पहले का अनुभव था कि सही इलाज पर लोगों को भारी खर्च करना पड़ता था। इसे कम करने के लिए आयुष्मान भारत या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) की परिकल्पना की गई। इसका लक्ष्य आमजन तक किफायती एवं गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना था। हालांकि पहले भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RDBI) या आंध्र प्रदेश में आरोग्यश्री और महाराष्ट्र में जीवनदायी योजना जैसी योजनाएं थीं लेकिन आयुष्मान भारत गेमचेंजर योजना साबित हुई। इसके विस्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आयुष्मान भारत ने राज्यों की योजनाओं के साथ मिलकर 14 करोड़ से अधिक परिवारों यानी तकरीबन 70 करोड़ लोगों को कवर किया है। इसके अंतर्गत अभी तक 18 करोड़ लोगों का आयुष्मान कार्ड बनाया गया है। वैश्विक महामारी के बीच करीब साढ़े तीन वर्षो में ही इसने लगभग 3.28 करोड़ लोगों को उपचार प्रदान किया, जिस पर 37,600 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया।

1670 तरह के रोग में लाभ

वे लिखते हैं कि आयुष्मान भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि इसने एक व्यापक स्वास्थ्य लाभ पैकेज का स्वरूप लिया। शुरुआत में इसमें 1,393 बीमारियों का उपचार उपलब्ध था, जिनका दायरा बढ़कर अब 1,670 तक पहुंच गया है। इनमें ऑन्कोलाजी, न्यूरोसर्जरी और कार्डियोवस्कुलर सर्जरी जैसे कई उपचारों के लिए प्रत्येक लाभार्थी परिवार को प्रति वर्ष पांच लाख रुपये तक का कवर प्रदान किया जाता है। अस्पताल में भर्ती होने और बाद के खर्चो का भी ख्याल इन पैकेजों में रखा गया है। इतना ही नहीं, पोर्टेबिलिटी फीचर के माध्यम से दूरदराज वाले क्षेत्रों के लाभार्थी देश के किसी भी कोने में जाकर आयुष्मान सूचीबद्ध अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

लचीला नेटवर्क

हेल्थकेयर इकोसिस्टम के एकीकरण से आयुष्मान भारत के तहत राज्यों को उनके क्रियान्वयन के तरीके, लाभार्थी डेटाबेस चुनने और अस्पतालों का नेटवर्क बनाने में काफी लचीलापन मिला। इसके अलावा एनएचए ने राज्य आधारित योजनाओं के साथ भी एकीकरण किया। संप्रति आयुष्मान भारत को 25 से अधिक राज्य-विशिष्ट स्वास्थ्य योजनाओं के साथ मिलकर लागू किया गया है। इसके अतिरिक्त देश के 600 से अधिक जिलों में जिला क्रियान्वयन इकाइयां स्थापित की गई हैं, ताकि आयुष्मान भारत की पहुंच प्रत्येक लाभार्थी तक हो।

महिलाओं को भी मिला लाभ

डॉ. शर्मा लिखते हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में समानता सुनिश्चित करने में भी आयुष्मान भारत ने अहम भूमिका निभाई है। इसमें लैंगिक समानता पर भी पूरा जोर है। पूर्ववर्ती योजनाओं में पारिवारिक सदस्यों को लेकर एक सीमा तय थी, जिसमें कई मामलों में महिलाओं को उपचार नहीं मिल पाता था। यही कारण है कि आयुष्मान भारत में परिवार के सदस्यों की संख्या को कैप नहीं किया गया है। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। आयुष्मान भारत कार्डधारकों में करीब 50 प्रतिशत और उपचार सुविधा लेने वालों में 47 प्रतिशत महिलाओं का आंकड़ा अपनी कहानी खुद कहता है।

मजबूत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म

डॉ. शर्मा के मुताबिक एक मजबूत, विस्तृत और अंतर-संचालित प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म से इसने एक बड़ी विसंगति को दूर किया है। आइटी सिस्टम में एकरूपता न होने के कारण स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रभावित होता था। इस समस्या को दूर करने के लिए आयुष्मान भारत के तहत लाभार्थी की पहचान, लेनदेन प्रबंधन और अस्पताल के पैनल में सहायता के लिए एक अत्यधिक बहुमुखी प्रौद्योगिकी मंच को विकसित किया गया है। यह आइटी प्लेटफॉर्म अब 26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सक्रिय है। इस योजना ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी यानी पीपीपी को नया आयाम दिया है। निजी अस्पतालों की भागीदारी ने लोगों के लिए विकल्प बढ़ाए हैं। इसने सरकारी अस्पतालों पर बोझ घटाया है। इस योजना में सुनिश्चित किया गया था कि सार्वजनिक अस्पतालों को उनकी सेवाओं के लिए समान रूप से और निजी अस्पतालों की समान दरों पर प्रतिपूर्ति की जाएगी।

अब बिहार, यूपी पर फोकस

डॉ. शर्मा के कार्यकाल में कई प्रमुख गतिविधियों को हरी झंडी दिखाई गई। ‘आपके द्वार आयुष्मान’ में फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स, ग्राम पंचायत अधिकारियों और गांव-आधारित डिजिटल उद्यमियों के एक जमीनी नेटवर्क का उपयोग लाभार्थियों तक घर-घर पहुंचकर आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए किया गया। दिहाड़ी मजदूरों के लिए विशेष रात्रि शिविर लगाए गए। इन प्रयासों का ही परिणाम है कि जनवरी 2021 से 4.7 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाए गए। एनएचए आइटी सिस्टम द्वारा बनाए गए आयुष्मान कार्डो में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अबकी बार हम उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और असम जैसे राज्यों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

(लेखक राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।)

 

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