नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। कोरोना के नए वैरिएंट्स वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा रहे हैं। यूके में देखे गए एरिस के बाद अब अमेरिका सहित कुछ देशों में नए BA-2-86 वैरिएंट के मामले आये हैं। इनको ओमिक्रॉन का एक रूप माना जा रहा है, हालांकि इनके म्यूटेशन अधिक संक्रामकता का संकेत देते हैं। इनसे संक्रमण का खतरा उनमें भी बना हुआ है, जिनका वैक्सीनेशन हो चुका है या फिर पुराने संक्रमण से उनके शरीर में प्रतिरक्षा बनी हुई है।
अपडेट करने का काम शुरू
मीडिया खबरों के मुताबिक नए जोखिमों को देखते हुए वैज्ञानिकों ने वैक्सीन को अपडेट करना भी शुरू कर दिया है। फाइजर इस स्थिति में वैक्सीन को अपडेट कर रही है। इससे एरिस के खिलाफ सुरक्षा देने में लाभ मिलने की उम्मीद है। प्रारंभिक शोध और परीक्षण में इसके बेहतर परिणाम भी देखने को मिले हैं। चूहों पर किए गए अध्ययन में एरिस के खिलाफ इसे प्रभावी पाया गया है। उसने अपने जर्मन पार्टनर बायोएनटेक, मॉडर्ना और नोवावैक्स के साथ मिलकर अपडेटेड वैक्सीन शॉट तैयार किया है।
मॉडर्ना भी तैयार कर रही है वैक्सीन
वैक्सीन कंपनी मॉडर्ना ने भी वैक्सीन को अपडेट करना शुरू कर दिया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि ये नए सब-वैरिएंट्स आसानी से प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने वाले देखे जाते रहे हैं। इसके अलावा EG-5 के कारण यूएस में 17 फीसद से अधिक मामले बढ़े हैं। ऐसे नें अपडेटेड वैक्सीन्स से लाभ मिल सकता है।
कुछ और देशों में संक्रमण
रिपोर्ट में वैज्ञानिकों की टीम ने इजराइल, डेनमार्क और अमेरिका सहित कई देशों में एक और नए वैरिएंट BA-2-86 को लेकर चिंता जताई है। टीम ने बताया कि ये कोरोना के अत्यधिक म्यूटेटेड वर्जन्स में से एक हो सकता है, जिसके कारण इसकी संक्रामकता दर अधिक हो सकती है। नए वैरिएंट्स में कई जेनिटिक म्यूटेशंस देखे गए हैं। अब तक देख गए कोरोना के मूल वैरिएंट की तुलना में इसके स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक उत्परिवर्तन हैं।