नई दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर वर्चुअल राष्ट्रीय परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें विभिन्न महिला समूहों के साथ चर्चा की गई।
एसएचजी की महत्वपूर्ण भूमिका
इस मौके पर ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा कि परिवार के स्तर पर कुपोषण से संबंधित मुद्दों को हल करने में एसएचजी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसका आयोजन दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, यूनिसेफ समर्थित रोशनी केंद्र और बीएमजीएफ समर्थित पीसीआई के सहयोग से हुआ। विषय था- खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य, पानी, स्वच्छता और हाइजीन। उन्होंने कहा कि महिला समूहों ने अपने परिवारों में सबसे आखिर में और सबसे कम खाने वाली महिलाओं जैसे लैंगिक मुद्दों के समाधान करने के लिए काम शुरू किया है और इन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘ग्रामीण महिलाओं की सेवाएं टीकाकरण और संस्थागत प्रसव जैसी सार्वजनिक सेवाओं के लिए ली जा सकती हैं।’
सिस्टम मजबूत करने पर जोर
श्रीमती नीता केजरीवाल, संयुक्त सचिव, एमओआरडी ने रणनीति की व्याख्या की जिसमें सिस्टम को मजबूत करना, लाइन विभागों के साथ सम्मिलन और सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार तथा उद्यमों को बढ़ावा देना शामिल है। उन्होंने स्वास्थ्यपरक व्यवहार को बढ़ावा देने की आवश्यकता और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा आयुष मंत्रालय के साथ जुड़ने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
हजारों महिलाओं ने भाग लिया
इस आयोजन में पूरे भारत से 5000 से अधिक राज्य मिशन स्टाफ और महिला सामूहिक सदस्यों ने भाग लिया। श्रीमती नागलक्ष्मी, अध्यक्ष, सीएलएफ और सदस्य तमिलनाडु सेनेटरी नैपकिन प्रोड्यूसर फेडरेशन ने कहा, ‘पिछले 4 वर्षों में हमने 463 लाख नैपकिन पैकेट का उत्पादन और आपूर्ति की है। हमने स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से प्रसवोत्तर माताओं, महिला कैदियों और अस्पताल में भर्ती मरीजों को 16.75 करोड़ मूल्य के लगभग 80 लाख बेल्ट प्रकार के नैपकिन पैकेट की आपूर्ति की है।’
प्रशिक्षण पर बल
श्रीमती श्यामला, तमिलनाडु एसआरएलएम के एनसीडी स्क्रीनिंग कार्यक्रम के तहत एक महिला स्वास्थ्य स्वयंसेवी ने भी अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्लूकोमीटर और बीपी उपकरण का उपयोग करके मधुमेह और उच्च रक्तचाप के रोगियों की जांच करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। मैं मुंह, गर्भाशय, ग्रीवा के कैंसर, स्तन कैंसर, टीबी, कुष्ठ आदि के रोगियों की भी जांच करती हूं।’ बीमारियों की पुष्टि की जाती है और पर्चे के अनुसार घर-घर दवाइयां बांटी जाती हैं।
पोषण पर भी चर्चा
श्रीमती झुनू बेहरा, ओडिशा ने बताया कि कैसे महिला समूह उन जगहों पर पोषण माइक्रो योजनाएं तैयार करती हैं जहां वे महिलाओं और किशोरों के लिए पोषण संबंधी समस्याओं को चिन्हित करती हैं तथा उसे प्राथमिकता देती हैं, और कार्रवाई की योजना बनाती हैं। श्रीमती बरीहटनजेन मकडोह, मेघालय ने बताया कि मैं अब अन्य एसएचजी के अग्रणियों को ऐसा करने के लिए प्रशिक्षित कर रही हूं, ताकि हमारे समुदायों में जागरूकता पैदा हो।’ इस परिचर्चा का आयोजन स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ‘अमृत महोत्सव’ के लिए चल रही गतिविधियों के तहत किया गया था।