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नहीं रहे शंकर नेत्रालय के संस्थापक डॉ. एस. एस. बद्रीनाथ

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। नेत्र रोग के क्षेत्र में डॉ. एस. एस. बद्रीनाथ को भला कौन नहीं जानता। भारत के सबसे बड़े धर्मार्थ नेत्र अस्पताल शंकर नेत्रालय की स्थापना उन्होंने ही की थी। उनका हाल ही 83 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने विदेश में पढ़ाई और शोध के बाद 1978 में परोपकारियों के एक समूह के साथ मिलकर मद्रास में मेडिकल एंड विजन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की। शंकर नेत्रालय एक धर्मार्थ गैर लाभकारी नेत्र अस्पताल और मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन की इकाई है. जहां औसतन 1200 नेत्र से जुड़ी बीमारियों के मरीज हर रोज यहां पहुंचते हैं और हर दिन सौ सर्जरी की जाती है।

टेस्ट के लिए एम्स में लंबा इंतजार

दिल्ली एम्स में इलाज करवा रहे मरीजों को MRI के लिए सवा दो साल का इंतजार करना पड़ रहा है। जांच में देरी के कारण इलाज भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे ही एक युवक ने अपनी समस्या को सोशल मीडिया पर शेयर किया। उसने लिखा कि उनकी मां का इलाज एम्स के आर्थाेपेडिक्स विभाग में चल रहा है। विभाग के डॉक्टरों ने मरीज को दाएं कंधे का MRI करवाने को कहा। जब MRI करवाने गया तो दो फरवरी 2026 की तारीख दी गई है। युवक का कहना है कि बिना एमआरआई के आगे का इलाज कैसे होगा। वहां अल्ट्रासाउंड के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। अविचल शर्मा को अल्ट्रासाउंड के लिए 3 जनवरी 2025 की तारीख दी गई है।

टीबी मुक्ति में भारत अब भी पिछड़ा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीबी पर जारी ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक टीबी उन्मूलन के रेस में भारत अब भी दुनिया से पिछड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे ज्यादा ज्ठ मरीज भारत में हैं। पूरी दुनिया में बीते साल 75 लाख लोगों को टीबी की बीमारी हुई। 28 साल में पहली बार ऐसा आंकड़ा मिला है। इनमें 4 लाख ऐसे हैं, जिन्हें MDR TB यानी मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी हो गया। इन पर टीबी की कोई दवा असर नहीं कर रही। साल 2022 में टीबी का शिकार होने वालों में 55 फीसद पुरुष, 33 फीसद महिलाएं और 12 फीसद बच्चे हैं।

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