नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। सिकल सेल एनीमिया एक गंभीर अनुवांशिक रोग है जिससे भारत समेत दुनिया के लाखों रोगी हैं। भारत के आदिवासी बहुल क्षेत्र में यह रोग ज्यादा है और केंद्र सरकार इसके उन्मूलन के लिए सक्रिय भी है। अब ब्रिटेन के दवा नियामक ने इसके उपचार के लिए दुनिया की पहली जीन थेरेपी उपचार विधि को अनुमति दी है।
दवा कैसगेवी को मिली मंजूरी
हाल हीे एक बयान में दवा नियामक MHRA ने कहा कि उसने जीन एडिटिंग टूल CRISPR का उपयोग करके लाइसेंस प्राप्त पहली दवा कैसगेवी को मंजूरी दे दी है। इसके निर्माताओं को 2020 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। डॉ. हेलेन ओ नील ने कहा कि लाइफ बदलने वाले इलाज का भविष्य CRISPR आधारित (जीन-एडिटिंग) तकनीक में निहित है। उन्होंने कहा कि सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया के संबंध में इलाज शब्द अब तक असंगत ही रहा है। उन्होंने दवा की मंजूरी को इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि सिकल सेल वाले लोगों में आनुवंशिक परिवर्तन के कारण कोशिकाएं अर्धचंद्राकार हो जाती हैं और ये रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती हैं। इससे असहनीय दर्द, अंग क्षति, स्ट्रोक और अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।