नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 15 मिलियन लोगों को स्ट्रोक होता है जिससे 50 लाख की मृत्यु हो जाती है और अन्य स्थायी रूप से विकलांगता के शिकार हो जाते हैं। उसका अनुमान है कि यही रफ्तार रही तो अगले 25 सालों में इसके केस 50 फीसद तक बढ़ सकते हैं। मालूम हो कि जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 अक्तूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है।
खतरे की जद में युवा वर्ग भी
एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जिस तरह से दुनियाभर में स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा है, ऐसे में आशंका है कि साल 2050 तक स्ट्रोक से मौत के मामलों में 50 फीसद तक बढ़ सकते हैं। लैंसेट न्यूरोलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अगले कुछ दशकों में वैश्विक स्तर पर स्ट्रोक से मरने वाले लोगों की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि आने की आशंका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि युवा लोगों और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में इसका जोखिम और भी अधिक देखा जा रहा है। स्ट्रोक के कारण विकलांगता, डिमेंशिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी होता है। जिस तरह से लाइफस्टाइल और आहार से संबंधित समस्याएं बढ़ी हैं, 30-40 की उम्र वाले भी इस जानलेवा समस्या की चपेट में आ रहे हैं।
जन के साथ-साथ धन की भी हानि
ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के सह-अध्यक्ष वालेरी एल. फ़िगिन कहते हैं कि स्ट्रोक से मौत और किसी तरह बच जाने पर स्थायी विकलांगता का खतरा रहता है। इससे हर साल अरबों डॉलर का नुकसान भी होता है। अगर स्ट्रोक की रोकथाम के लिए बेहतर प्रबंधन न किए गए तो आने वाले वर्षों में और भी गंभीर परिणाम होंगे। उनके अनुसार लाइफस्टाइल और खानपान में सुधार के साथ सक्रियता बनाये रखने से इस रोग से बचा जा सकता है।