नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। लखनऊ के कैंसर संस्थान में नई दवाओं को लेकर क्लीनिकल ट्रायल किया जायेगा ताकि मरीजों को बेहतर और सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। इसके लिए गत सप्ताह कैंसर संस्थान ने रॉस प्रोडक्ट लिमिटेड के साथ करार हुआ है। संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमन ने कहा कि कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ने से बड़े संस्थानों पर लोड ज्यादा है। वैसे ऑपरेशन की विधि व नई दवाएं विकसित हुई हैं, लेकिन कीमोथेरेपी काफी महंगी है। अधिकांष दवाइयों का आविष्कार विदेशों में होता है जिससे ये महंगी भी मिलती हैं। ऐसे में सस्ती दवाओ के लिए ग्लोबल क्लीनिकल ड्रग ट्रायल होगा ताकि सफलता के बाद ये भारत में ही बन भी सके।
नये वैरिएंट के लिए वैक्सीन की तैयारी
कोरोना के तीन नये वैरिएंट से बचाने के लिए नयी वैक्सीन की तैयारी चल रही है। ड्यूक ह्यूमन वैक्सीन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने इसे विकसित किया है जिसका चूहों पर किया गया परीक्षण सफल रहा। इंस्टीट्यूट के एसोसिएट डायरेक्टर केविन ओ. सांडर्स ने कहा है कि हम व्यापक रूप से सुरक्षात्मक कोरोना वायरस वैक्सीन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं।
डिजिटल क्रांति से TECH NECK सिंड्रोम का खतरा
डिजिटल क्रांति ने नये हेल्थ रिस्क भी बढ़ा दिये हैं। टेक नेक (TECH NECK) सिंड्रोम भी वैसा ही जोखिम है। अब ज्यादातर लोग स्मार्टफोन या लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं लेकिन स्क्रीन पर ज्यादा समय देने के नुकसान भी उठाते हैं। वे घंटों गर्दन झुका कर मोबाइल और लैपटॉप पर काम करते है। गर्दन झुका कर रखने से यूजर को गर्दन, कंधा और पीठ में दर्द की षिकायत होती है। इससे बचने के लिए उनको न सिर्फ जागरूक होना होगा बल्कि बीच-बीच में एकाग्रता भंग करने के लिए उठकर चहलकदमी भी कर लेनी चाहिए। उन्हें स्क्रीन टाइम भी कम करना चाहिए। एक्सपर्ट से पूछकर उन्हें गर्दन और पीठ के व्यायाम या योगासन भी करने चाहिए।
Cancer drug trial will also take place in Lucknow
