प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर वैश्विक दृष्टिकोण में मूलभूत बदलाव लाने अर्थात् ”कार्बन क्रेडिट” की बजाय ”ग्रीन क्रेडिट” दृष्टिकोण अपनाए जाने के की आवश्यकता पर बल दिया है। जलवायु परिवर्तन संबंधी परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल उत्सर्जन और कटौती पर ध्यान केन्द्रित करने की बजाय हमें यह देखना चाहिए कि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा सक्षमता के लिए हमने क्या किया है और इन क्षेत्रों में और क्या किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने इस दिशा में जो उपाय किए हैं उनका ध्यानपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। इन उपायों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा, और परिवहन परियोजनाएं प्रमुख हैं, जिनसे यात्रा का समय और दूरी कम हो गयी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के बारे में बढ़ती वैश्विक जागरूकता को नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने का अवसर समझता है।
मोदी ने सौर ऊर्जा की दृष्टि से सर्वाधिक सक्षम देशों का एक सहायता–संघ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राष्ट्रों का आह्वान किया कि वे नवीन और कारग़र अनुसंधान में भारत के साथ मिलकर काम करें ताकि सौर ऊर्जा के उत्पादन की लागत में कमी लायी जा सके।
बैठक में केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वैंकैया नायडू, उमा भारती, राधा मोहन सिंह, प्रकाश जावडेकर और पीयूष गोयल ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर पर्यावरणविद आर के पचौरी, नितिन देसाई, अजय माथुर, जे एम मौस्कर, चन्द्रशेखर दास गुप्ता और परिषद के अन्य सदस्य भी मौजूद थे।