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आयुष के लिए परिवर्तनकारी साबित हुआ 2023

आयुष मंत्रालय के सालभर के कामकाज का लेखाजोखा

अजय वर्मा

नयी दिल्ली। आयुष स्वास्थ्य प्रणाली के लिए 2023 महत्वपूर्ण साबित हुआ। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की सक्रिय भूमिका ने इसे अंतर्राष्ट्रीय फलक पर पहचान दी और बता दिया कि एकीकृत हेल्थकेयर में इसकी उपेक्षा करना मुष्किल है। इस साल आयुष वैश्विक प्रसार और स्वीकृति का साक्ष्य बना और सफलता के कई स्थायी पदचिह्न छोड़े। G-20 के दिल्ली घोषणा में स्थान मिलने से आयुष ने भविष्य का रोडमैप निधारित कर दिया। 2023 के बारह महीनों में कई यादगार काम इस क्षेत्र में हुए। फरवरी के चिंतन शिविर में विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को इसने मजबूत किया।
G 20 शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं और हेल्थ एक्सपर्ट ने आयुष की प्रभावकारिता को और निकट से देखा। सबने महसूस किया कि भारत का पारंपरिक स्वास्थ्य विज्ञान अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हुए मानवता और पर्यावरण की लगातार बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए कैसे काम कर रहा है। तभी दिल्ली घोषणा पत्र के पैरा 28 (अपप) में यह उल्लेख किया गया है कि स्वास्थ्य में साक्ष्य-आधारित पारंपरिक और पूरक चिकित्सा की संभावित भूमिका को पहचाना जाए और इस दिशा में डब्ल्यूएचओ के वैश्विक तथा सहयोगी केंद्र और नैदानिक परीक्षण पंजीकरणों सहित अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों पर ध्यान दिया जाए।
इससे पहले शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आयुष के बढ़ते महत्व को उजागर करते हुए 590 करोड़ का ट्रेड इंट्रस्ट पैदा किया। इन्वेस्ट इंडिया ने आयुषएक्सिल (आयुष एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल) के सहयोग से बैठकें कीं जिसमें 19 देशों के 56 से अधिक खरीदारों ने इसके व्यापार में अपनी रुचि व्यक्त की।
भारतीय मानक ब्यूरो ने BIS में आयुष का एक समर्पित वर्टिकल भी बनाया है। उसने आयुष संबंधी सात भारतीय मानक प्रकाशित किए हैं और 53 अन्य पर काम चल रहा है। आयुष का अंतर्राष्ट्रीय मानक बनाने के लिए कार्य समूह गठित हुआ है। इससे 165 से अधिक देशों में आयुर्वेद उत्पादों और सेवाओं के निर्यात का द्वार खुलेगा। अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) ने भी आयुर्वेद सूचना विज्ञान का परिचय शीर्षक से पहली आईएसओ मानक तकनीकी रिपोर्ट जारी की।
गांधीनगर में पारंपरिक चिकित्सा पर पहला वैश्विक शिखर सम्मेलन इसी साल अगस्त में WHO द्वारा आयोजित किया गया था। इसके मुख्य नतीजे गुजरात घोषणा के रूप में जारी किये गये। सम्मेलन में WHO ने पारंपरिक चिकित्सा पर वैश्विक सर्वेक्षण के शुरुआती निष्कर्षों को भी साझा किया है जो बताता है कि दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा की पहुंच बढ़ रही है। मंत्रालय ने WHO के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका लक्ष्य अगले 5 वर्षों में पारंपरिक और पूरक दवाओं के मानकों, गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक वैश्विक रणनीति तैयार करना है।
इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB)-CSIR में आयुष मंत्रालय के उत्कृष्टता केंद्र के तहत आयुर्वेद प्रकृति का संबंध जीनोम अनुक्रम के साथ बनाया गया है जो इसे व्यक्तिगत निवारक और भविष्यसूचक चिकित्सा की दिशा में ऐतिहासिक अध्ययन बनाता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के 9वें संस्करण में दुनिया भर में इसकी अभूतपूर्व पहुंच देखी गई, जिसमें संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भागीदारी के लिए गिनीज रिकॉर्ड सहित दो विश्व रिकॉर्ड स्थापित हुए। इस कार्यक्रम में 135 से अधिक देशों के हजारों योग प्रेमियों की जबरदस्त भागीदारी रही।
सबसे अच्छी बात हुई मेडिकल टूरिज्म को लेकर। गृह मंत्रालय ने आयुष प्रणाली अथवा भारतीय चिकित्सा प्रणाली के तहत इलाज हेतु विदेशी नागरिकों के लिए आयुष वीज़ा (श्रेणी एवाई) को अधिसूचित किया। आयुष वीज़ा चिकित्सा उपयोगिता यात्रा को बढ़ावा देगा और इसका उद्देश्य भारत को एक चिकित्सा उपयोगिता यात्रा गंतव्य के रूप में बढ़ावा देना है।
एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए मई में आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। फरवरी में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इंटीग्रेटिव मेडिसिन विभाग का उद्घाटन हुआ। इसमें मरीजों के लिए विशेष ओपीडी, पंचकर्म थेरेपी और आहार परामर्श में सेवाएं मिल रही हैं। सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज ने अक्टूबर में एकीकृत चिकित्सा केंद्र की स्थापना करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। मंत्रालय और पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना विभाग (ECHS) ने पूरे भारत में 10 ECHS पॉलीक्लिनिकों को आयुर्वेद से जोड़ने के लिए मार्च में एक समझौता किया। यह रक्षा क्षेत्र में आयुष स्वास्थ्य सेवाओं का और विस्तार करेगा। 12 सैन्य अस्पतालों और 37 छावनी बोर्ड अस्पतालों में पहले से ही आयुर्वेद केंद्र चलाए जा रहे हैं।
आयुष में अनुसंधान का प्रभावी दस्तावेज़ीकरण करने के लिए एक वेबसाइट बनाया गया है जिसमें 41743 अनुसंधान प्रकाशनों को सूचीबद्ध किया गया है। यह साक्ष्य आधारित आयुष प्रणालियों का प्रदर्शन और शोधकर्ताओं तथा शिक्षाविदों के लिए तैयार सामग्री प्रदान करता है। मई में राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) कॉन्क्लेव हुआ।

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