नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। संसार की सबसे महंगी दवा की सिंगल डोज की कीमत 29 करोड़ से अधिक है। इसका नाम है हेमजेनिक्स (Hemgenix). जो हीमोफ़ीलिया बी (Haemophilia B) नामक दुर्लभ बीमारी के इलाज की रामबाण औषधि है। इसे अमेरिकी कंपनी यूनीक्योर ने बनाया है। यह एक जीन थैरेपी है और इसे एक बार लेने पर ही हीमोफ़ीलिया बी बीमारी ठीक होने का दावा कंपनी करती है। इंस्टीट्यूट फ़ॉर क्लीनिकल एंड इकोनॉमिक रिव्यू ने इसे सबसे महंगी दवा माना है।
28-21 करोड़ की भी दवा
अन्य सिंगल डोज़ वाली जीन थेरेपी दवाओं जैसे थैलेसीमिया की ज़ाइनटेग्लो 28 लाख डॉलर और स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफ़ी की ज़ोल्गेंज्मा 21 लाख डॉलर में आती है। जीन थेरेपी की ऐसी दवाएं क्लीनिकल, सामाजिक, आर्थिक और इनोवेटिव वैल्यू के कारण इतनी महंगी हो जाती हैं। ऐसी बीमारियों वाले मरीज जीवन भर दवा पर रहें तो भी इससे ज्यादा खर्च हो जायेंगे। इस लिहाज से ये दवाएं सस्ती हैं। एक डोज में बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
90 लाख लोगों को अनुवांशिक रोग का खतरा
जीनोम अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया कि भारत में 90 लाख से अधिक लोगों को अनुवांशिक बीमारी का खतरा है। इसे हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (FH) कहते हैं। यह वंशानुगत बदलावों के चलते कोलेस्ट्राल को बढ़ा देती है। CSIR-इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के शोधकर्ताओं ने 1029 स्वस्थ लोगों के जीनोम पर अध्ययन किया है, जिसे मेडिकल जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित किया है। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने इतने लोगों में पांच करोड़ से भी ज्यादा जीनोम वैरिएंट की पहचान की है।