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मोदी सरकार के चार सालः टीकाकरण की दिशा में सार्थक पहल

  • देश के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता : जे.पी.नड्डा
  • किसी बच्चे को टीके के अभाव में नहीं मरने दिया जायेगाः प्रधानमंत्री
  • सघन मिशन इंद्रधनुष बचायेगा नौनिहालों की जान

आशुतोष कुमार सिंह
देश के नौनिहालों को बीमारी से बचाने के लिए सरकार टीकाकरण पर बहुत जोर दे रही है। हाल ही में देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि टीके से किसी रोग का इलाज संभव है तो किसी भी बच्चे को टीके का अभाव नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री गुजरात के वडनगर में सघन मिशन इंद्रधनुष का शुभारंभ करते हुए देश के प्रधान सेवक यह कह रहे थे कि इस कार्यक्रम के जरिए भारत सरकार ने दो वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे और उन गर्भवती माताओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है जो टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुविधा नहीं पा सके हैं।
यहां ध्यान देने वाली  बात यह है कि विशेष अभियान के तहत टीकाकरण पहुंच में सुधार के लिए चुने हुए जिलों और राज्यों में दिसंबर 2018 तक पूर्ण टीकाकरण से 90 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य रखा गया है। मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत 2020 तक पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत 90 प्रतिशत क्षेत्रों को शामिल किया
जाना है।
चार साल का लेखा जोखा

टीकाकरण की दिशा में बढ़ता भारत

टीकाकरण को लेकर भारत सरकार ने अपने चार वर्ष की उपलब्धियों को बताते हुए एक आंकड़ा जारी किया है। उसके अनुसार मिशन इन्द्रधनुष के चार चरण पूरे हो चुके हैं जिसमें 528 जिलों को शामिल किया गया है। अभी तक 3.15 करोड़ बच्चों को टीके लगाए जा चुके हैं। 80.63 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है। भारत सरकार ने मातृत्व और नवजात शिशुओं में टेटनस समाप्त करने मई 2015 में पुष्टि कर दी है, यह कार्य विश्व बैंक द्वारा निर्धारित दिसंबर 2015 के लक्ष्य से पहले पूर्ण कर लिया गया है। वहीं पोलियों वायरस को रोकने संबंधी टीका (आई.पी.बी) की शुरूआत नवंवर 2015 में की गई और देश भर में बच्चों को आई.पी.बी की करीब 4 करोड़ खुराक  दी जा चुकी है। रोटा वायरस टीके की शुरुआत मार्च 2016 में हुई और रोटा वायरस टीके की करीब 1.5 करोड़ खुराक बच्चों को दी जा चुकी है। खसरा रुबैला (एम आर) टीकाकरण अभियान की शुरुआत फरवरी 2017 में हुई और 8 करोड़ बच्चों को ये टीके लगाए जा चुके हैं। न्यूमोकोकल कज्यूकेट वैक्सिन (पीसीबी) की शुरुआत मई 2017 में हुई और पीसीबी करीब 15 लाख से अधिक खुराक बच्चों को दी जा चुकी है। संचारी रोगों की रोकथाम हेतु कुष्ठ रोग 2018 तक, खसरा 2020 तक और तपेदिक 2025 तक समाप्त करने की कार्ययोजना लागू की गई है।
टीकाकरण एक सामाजिक आंदोलन
प्रधानमंत्री की माने तो उनकी सरकार ने टीकाकरण को जन एवं सामाजिक आंदोलन बनाया है। इस आंदोलन में देश के सभी लोगों को भागीदार बनाने की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम को अपनाए और इस दिशा में सरकार को सहयोग दें।
सच में देखा जाए तो आज टीकाकरण के अभाव में लाखों बच्चे अपनी जान गंवा रहे हैं। इंसेफलाइटिस जैसी बीमारियां बच्चों को असमय लील रही हैं। ऐसे में अगर देश का प्रधान सेवक लोगों से यह अपील करता है कि टीकाकरण में सहयोग करें तो वह न्यायोचित ही है। सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए कामों को भी गिनाने से प्रधानमंत्री नहीं चुके। स्वाभाविक भी है। गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में गुजरात की जनता को यह बताना जरूरी हो जाता है कि सरकार उनके लिए क्या-क्या कर रही है।
यही कारण है कि प्रधानमंत्री सरकार की अन्य उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी देते हुए कहते हैं कि उनकी सरकार 15 वर्षों के बाद नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 लाई है जो जनकेंद्रित है। सरकार ने स्टंट की कीमतों का विनियमन किया है जिससे बड़ी संख्या में देश के लोगों का भला हुआ है। इससे मध्यम आय वर्ग और गरीब परिवारों के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च में कटौती हुई है। मात्तृत्व सुरक्षा अभियान की सफलता पर संतोष जताते हुए उन्होंने कहा कि निजी डॉक्टरों ने सरकारी डॉक्टरों के साथ हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं को निःशुल्क सेवाएं देने की पहल की है।
11 मंत्रालयों का सहयोग
इस कार्यक्रम में 11 अन्य मंत्रालय और विभाग भी अपना समर्थन प्रदान कर रहे हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, पंचायती राज, शहरी विकास, युवा कार्य एवं अन्य मंत्रालयों ने सघन मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम में अपना सहयोग दिया है। जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले विभिन्न लोगों के जरिए इस कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से कार्यान्वित किया जाएगा। आशा, आंगनबाड़ी वर्कर, राष्ट्रीय शहरी जीविका मिशन के अंतर्गत जिला प्रेरक और स्वयंसेवी संगठनों के बेहतर समन्वय और प्रभावी कार्यान्वयन के जरिए यह कार्यक्रम चलाया जाएगा।
कड़ी निगरानी का प्रबंध
जिला, राज्य और केंद्रीय स्तर पर नियमित अंतराल के दौरान सघन मिशन इंद्रधनुष की कड़ी निगरानी की जाएगी। बाद में राष्ट्रीय स्तर पर मंत्रिमंडलीय सचिव इसकी समीक्षा करेंगे। प्रगति कार्यक्रम के तहत सर्वोच्च स्तर पर इसकी निगरानी होगी। सघन मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम में सरकार द्वारा निरीक्षण, सहायकों की निगरानी और सर्वेक्षण के जरिए चलाया जाएगा। इस कार्यक्रम की निगरानी के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है। राज्य और जिला स्तर पर आत्मावलोकन के अंतराल पर आधारित सुधार योजना तैयार की गई है। ये योजनाएं राज्य से केंद्रीय स्तर तक चलाई जाएंगी ताकि दिसंबर 2018 तक 90 प्रतिशत तक टीकाकरण का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
प्रोत्साहन योजना
90 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य हासिल करने वाले जिलों के लिए मूल्यांकन और पुरस्कार पद्धति अपनाई जाएगी। लक्ष्य के मार्ग में अवरोधों की स्थिति में बेहतरी के लिए पद्धति अपनाई जाएगी और मीडिया प्रबंधन के द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। साझीदारों/नागिरक सोसाइटी संगठनों और अन्यों के सहयोग से प्रशंसा प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे।
सुरक्षित हाथों से ही हो टीकाकरण
टीकाकरण की पहल का स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन इस बात पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है कि आखिर यह टीका पेशेवर एवं प्रशिक्षित हाथों से कैसे दिलाया जाए। टीका के मामले में सबसे ज्यादा शिकायत इसी बात की होती है कि टीका देने वाले प्रशिक्षित नहीं है। अगर प्रशिक्षित हाथों से टीका नहीं पड़ा तो इसका गलत प्रभाव भी बच्चों पर पड़ सकता है। ऐसे में सरकार को इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि टीका को टेंपरेचर मेंटेन हो और सुरक्षित हाथों से ही शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को टीका दी जाए।
 
 

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