स्वस्थ भारत मीडिया
फ्रंट लाइन लेख / Front Line Article

कोर्ट के रास्ते महिला सम्मान की दस्तक

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। महिलाओं के प्रति सम्मान दिखाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शब्दों की नग्नता ढंकने के प्रयास में एक हैंडबुक जारी कर बताया है कि अदालती जिरह से फैसलों तक में अशोभनीय शब्दों का प्रयोग बंद करें। ऐसे सम्मान की एक पहल राज्यसभा में भी हुई जब उपसभापति ने उपाध्यक्षों के पैनल में चार महिला सांसदों को नामित किया।

अप्रिय शब्दों से बचने की हिदायत

सुप्रीम कोर्ट ने हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स जारी कर महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। 30 पन्नों के इस हैंडबुक में अफेयर को शादी के इतर रिश्ता, प्रॉस्टिट्यूट को सेक्स वर्कर, अनवेड मदर (बिनब्याही मां) को मां, चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूट को तस्करी करके लाया बच्चा, एफेमिनेट (जनाना) की जगह जेंडर न्यूट्रल शब्दों का प्रयोग, कॉन्क्युबाइन (रखैल) को ऐसी महिला जिसका शादी के इतर किसी पुरुष से शारीरिक संबंध हो, जैसे शब्दों से बदला गया है। इसमें कर्तव्यनिष्ठ पत्नी, आज्ञाकारी पत्नी, फूहड़, स्पिनस्टर, गिरी हुई औरत, वेश्या जैसे शब्दों के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी गयी है। इसमें कहा गया है कि हैंडबुक एक अधिक न्यायसंगत समाज की दिशा में मील का पत्थर है। इसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड भी कर दिया गया है।

महिला जजों ने बनाया हैंडबुक

इस हैंडबुक को तीन महिला जजों की एक समिति ने तैयार किया है। इन जजों में जस्टिस प्रभा श्रीदेवन, जस्टिस गीता मित्तल और प्रोफेसर झूमा सेन शामिल हैं। इस समिति की अध्यक्षता कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की ने की थी। हैंडबुक में महिलाओं के गुणों के बारे में कुछ धारणाओं को सूचीबद्ध किया गया है और बताया गया है कि ऐसी धारणाएं गलत क्यों हैं। रूढ़िवादी सोच यह है कि महिलाएं अत्यधिक भावुक, अतार्किक होती हैं और निर्णय नहीं ले पाती हैं, जबकि वास्तविकता यह है किसी इंसान का लिंग उसकी तर्कसंगत विचार क्षमता को निर्धारित या प्रभावित नहीं करता है। रूढ़िवादी सोच है कि अविवाहित महिलाएं अपने जीवन के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लेने में असमर्थ होती हैं जबकि वास्तविकता यह है विवाह का किसी व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। हैंडबुक न्यायाधीशों को महिलाओं के प्रति रूढ़िवादिता से बचने में मदद करेगा।

Related posts

बजट : आयुष पर फोकस लेकिन मेंटल हेल्थ पर उदासी

admin

गरीब मरीजों को राहत देगा National Medical Commission का फरमान

admin

अगर मगर के डगर में स्वस्थ भारत की तस्वीर

Ashutosh Kumar Singh

Leave a Comment