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बिहार के मर्चा धान को मिला GI टैग

अजय वर्मा

पटना। पश्चिमी चम्पारण के मर्चा धान को जीआई टैग मिल गया है। सीतामढ़ी की चर्चित पूर्व मुखिया रितु जायसवाल ने यह जानकारी अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट की है। एक जटिल एवं लंबी प्रक्रिया से गुजरने के बाद अब इसे ग्लोबल पहचान मिल जायेगी। तकरीबन दो साल से जिला प्रशासन के स्तर पर प्रयास चल रहा था। इससे पहले भागलपुर के जर्दालु आम और कतरनी धान, नवादा के मगही पान, मुजफ्फरपुर की शाही लीची और मिथिला के मखाना को भी जीआई टैग मिल चुका है।

बढ़ेगी किसानों की आय भी

जानकारी के मुताबिक जीआई जर्नल में मर्चा धान का ज्योेग्राफिकल इंडिकेशन प्रकाशित हो गया है। जीआई, चेन्नई के वरीय अधिकारी पश्चिम चम्पारण जिले में आकर स्वयं जीआई टैग का सर्टिफिकेट डीएम को सौंपेंगेे। यह पश्चिम चम्पारण व बिहार के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। पूरी दुनिया यह जान सकेगी कि मर्चा चूड़ा व धान का उत्पादन सिर्फ पश्चिम चम्पारण जिले में ही होता है। इसके बाद इसकी मांग देश-विदेशों में बढ़ेगी। किसानों की आमदनी बढ़ेगी तथा रोजगार में भी वृद्धि होगी।

टैग टीम के सामने हुआ प्रेजेंटेशन

एक वरिष्ठ अफसर डॉ. राजकुमार सिन्हा के मुताबिक अंतिम चरण की प्रक्रिया के तहत जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई के विशेषज्ञों के समक्ष कोलकाता में मर्चा धान से संबंधित प्रेजेंटेशन दिया गया था। इस दौरान विशेषज्ञों ने सभी बिन्दुओं का मूल्यांकन किया। तब जाकर मर्चा धान व चूड़ा को जीआई टैग मिलने का संकेत मिल सका।

वैज्ञानिक विश्लेषण भी सौंपा गया

उन्होंने बताया कि जीआई टैग हेतु कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के वैज्ञानिकों ने मर्चा धान के मार्फाे एग्रोनोमिक एवं ग्रेन क्वालिटी, डीयूएस टेस्ट, फीजियो केमिकल कैरेक्टरिस्टिक, न्यूट्रिशनल कम्पोजिशन के साथ-साथ डीएनए फिंगर प्रिंटिंग का कार्य पूर्ण किया गया था, जिसके आधार पर मर्चा धान में यूनिकनेस का पता लगाया गया। मिरचा धान के प्रूफ ऑफ ऑरिजिन के संबंध में हिस्टोरिकल रिकार्ड, साइंस्टिफिक रिसर्च पब्लिकेशन के डॉक्यूमेंट, एरिया मैप, लोगो भी भेजे गए थे।

कश्मीर को भी 8 टैग मिलने की बारी

अभी हाल में लद्दाख की लकड़ी पर नक्काशी कला को जीआई टैग मिला है जिस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी बधाई दी है। जम्मू-कश्मीर के 8 और ऐतिहासिक चीजों को जीआई टैग मिलना तय हो गया है जिसमें बसोहली पेंटिंग, बशोली पश्मीना ऊनी उत्पाद (कठुआ), चिकरी लकड़ी शिल्प (रजौरी), भद्रवाह राजमा (डोडा), मुस्कबुदजी चावल (अनंतनाग), कलाड़ी (उधमपुर), सुलाई शहद (रामबन), अनारदाना (रामबन) शामिल है।

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