नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज कहा कि भूमि की देखभाल करने से हमें ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई में मदद मिल सकती है इसलिए पर्यावरण के अनुरूप जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए जोर देना होगा। वे कोटे डी आइवर के पंद्रहवें सत्र में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) पार्टियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
धरती को बचाना ही होगा
इस बात का दृढ़ता से उल्लेख करते हुए कि भूमि की गिरती स्थिति के बावजूद विश्व उपभोक्तावाद से प्रेरित जीवनशैली के साथ चल रहा है और अभी भी उम्मीद करता है कि हमारी भूमि देना जारी रखेगी, श्री यादव ने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि हम सामूहिक रूप से उपभोग-उन्मुख दृष्टिकोण से दूर हो जाएं। उपयोग करो और फेंक दो की मानसिकता ग्रह के लिए हानिकारक है।‘‘ उन्होंने कहा कि विकसित देशों द्वारा उत्सर्जन में भारी कमी का नेतृत्व किए बिना लोगों और ग्रह दोनों की रक्षा करना संभव नहीं होगा क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के लिए उनकी जिम्मेदारी ऐतिहासिक और वर्तमान दोनों में सबसे अधिक है।
शेष कार्बन बजट का तेजी से क्षरण
कोविड महामारी के प्रभावों पर मंत्री ने कहा कि इसने ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने की चुनौती को बढ़ा दिया है क्योंकि आर्थिक दबावों ने दुनिया भर में जलवायु कार्रवाई में देरी की या धीमी कर दी हैं। उनका कहना है कि दुनिया के शेष कार्बन बजट का तीव्र गति से क्षरण हो रहा है जिससे हम पेरिस समझौते में निर्धारित तापमान की सीमा के करीब पहुंच रहे हैं। मंत्री ने कहा कि भारत ने पूरे देश में लागू किए गए मृदा स्वास्थ्य कार्ड कार्यक्रम के माध्यम से अपनी मिट्टी के स्वास्थ्य की निगरानी में वृद्धि की है। 2015 और 2019 के बीच किसानों को 229 मिलियन से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं और इस कार्यक्रम से रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में 8-10ः की गिरावट आई है और उत्पादकता में 5-6ः की वृद्धि हुई है।
20 मई तक चलेगा सत्र
9 से 20 मई 2022 तक अबिडजान, कोटे डी आइवर में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) के पार्टियों के सम्मेलन (कॉप15) का पंद्रहवां सत्र, सरकारों, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं को एक साथ लाएगा। समाज और दुनिया भर के अन्य प्रमुख हितधारक भूमि के भविष्य के स्थायी प्रबंधन में प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए और भूमि व अन्य प्रमुख स्थिरता संबंधी मुद्दों के बीच संबंधों का पता लगाएंगे।