नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। आयुष मंत्रालय ने गोवा के रिबंदर में स्वास्थ्य देखभाल और आयुष अनुसंधान सुविधाओं के लिए आयुष स्वास्थ्य सेवाओं की स्थापना की है। इस सुविधा का उद्देश्य स्थानीय समुदाय को उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती आयुष स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना और खनिज व समुद्री मूल की दवाओं पर अनुसंधान करने के लिए एक समर्पित संग्रहालय, पुस्तकालय और एक प्रयोगशाला तैयार कर परम्परागत चिकित्सा में अनुसंधान को बढ़ावा देना है।
प्राचीन चिकित्सा विज्ञान से समाज कल्याण
इसका उद्घाटन गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत और केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने किया। श्री सोनोवाल ने कहा कि आयुष स्वास्थ्य सेवाएं परम्परागत चिकित्सा को बढ़ावा देने की परिकल्पना के अनुरूप हैं। भारत के इस प्राचीन चिकित्सा विज्ञान के जरिये हम पूरे मानव समाज का कल्याण कर सकते हैं। यदि हम ऐसी प्रतिबद्धताओं के साथ आगे बढ़ते हैं, तो निश्चित रूप से हम कई अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने में सक्षम होंगे।
मेडिकल टूरिज्म केन्द्र बनेगा गोवा
गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने कहा कि 2014 में आयुष मंत्रालय की स्थापना करके प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आयुष प्राचीन चिकित्सा की एक विशिष्ट प्रणाली है और समग्र स्वास्थ्य प्राप्त करने का एक विज्ञान है। गोवा आयुष स्वास्थ्य देखरेख का केन्द्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इन संस्थानों के साथ यह भारत में मेडिकल टूरिज्म केन्द्र बनने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ गया है।
स्वास्थ्य सेवाओं में कई क्लीनिक
स्वास्थ्य देखभाल और अनुसंधान सुविधाओं के लिए आयुष स्वास्थ्य सेवाओं में सीसीआरएएस-खनिज और समुद्री औषधीय संसाधनों के लिए क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, CCRH (क्लीनिकल रिसर्च यूनिट (होम्योपैथी)), CCRS (सिद्ध क्लीनिकल रिसर्च यूनिट), CCRYN (क्लीनिकल रिसर्च यूनिट) और CCRUM (यूनानी स्पेशलिटी क्लीनिक) शामिल हैं। खनिज और समुद्री मूल की दवाओं पर ध्यान केंद्रित करने वाले अनुसंधान के लिए ओपीडी, औषधालय, पंचकर्म और प्रयोगशाला का प्रावधान किया गया है।