पटना (स्वस्थ भारत मीडिया)। वर्षों की गहरी नींद से जागते हुए बिहार सरकार ने पांच भगोड़े डॉक्टरों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इनमें ऐसे भी हैं जो 8 साल से सेवा से गायब हैं पर सुशासन की सरकार कोे कभी खोज-खबर लेने का मौका नहीं मिला। 6 अगस्त को कैबिनेट की बैठक में यह फैसला नीतीश सरकार ने लिया है जिसकी जानकारी मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव, डॉ. एस. सिद्धार्थ ने दी।
ये रहे सालों से लापता डॉक्टर
प्राप्त सूची के अनुसार बर्खास्त डॉक्टरों में एक औरंगाबाद सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार हैं जो 01 जुलाई 2016 से लगातार अनधिकृत रूप से अनुपस्थित चल रहे थे। इसी तरह ताराबाड़ी, अररिया में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संतोष कुमार 14 सितंबर 2020 से, चिरैयाबरियारपुर, बेगूसराय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अकबर मसाहिदी 02 नवंबर 2017 से और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, अमदाबाद, कटिहार के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. गुप्ता सुषमा संजय को 18 अक्टूबर 2019 से लगातार अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के आरोप में सरकारी सेवा से बर्खास्त करने की स्वीकृति दी गई। इसके अलावा डॉ. नौशाद अली, तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, दनियावाँ, पटना को संस्थागत चिकित्सा पदाधिकारी एवं कर्मियों के भविष्य निधि एवं अन्य मद से राशि की निकासी कर भुगतान नहीं करने एवं वित्तीय कार्य में शिथिलता बरतने के आरोप में सेवा से बर्खास्त करने की स्वीकृति दी गई। वे फिलहाल निलंबित चल रहे थे।
PMCH में 4315 बहाली को मंजूरी
इसके अलावा कैबिनेट ने PMCH, पटना को 5462 बेड वाले चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के रूप में पुनर्विकसित करने के फलस्वरूप राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (National Medical Commission) , नयी दिल्ली के मानकों के अनुरूप संस्थान के कुल 29 अनुपयोगी पदों को वापस कर दिया और विभिन्न स्तर के कुल 4315 नये पदों के सृजन की स्वीकृति दी गई।