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बिलासपुर नशबंदी मामलाःदवा कंपनी सील, मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश

राज्य में जिन दवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें टेबलेट आईबुफ्रेन 400, टेबलेट सिप्रोसीन 500, इंजेक्शन लिग्नोकेन और लिग्नोकेन एचसीएल, एब्जारबेंट कॉटन वुल और जिलोन लोशन शामिल हैं।

गंदे हाथों ने ले ली जान...
गंदे हाथों ने ले ली जान…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में नसबंदी के बाद 14 महिलाओं की मौत के मामले में राज्य शासन ने रायपुर स्थित दवा कंपनी के दफ्तर को सील कर दिया।  राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के नियंत्रक रवि प्रकाश गुप्ता ने आज यहां को बताया कि विभाग ने रायपुर स्थित महावर फार्मा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के दफ्तर को सील कर दिया है।   गुप्ता ने बताया कि इस कंपनी में एंटीबायोटिक सिप्रोक्सिन 500 का निर्माण किया जाता है। बिलासपुर जिले में जिन 13 महिलाओं की मौत हुई तथा कई अन्य बीमार हुई हैं उन्हें नसंबदी के बाद एंटीबायोटिक सिप्रोक्सिन 500 दिया गया था। उन्होंने बताया कि राज्य के औषधि प्रशासन विभाग ने आज सुबह महावर की दवा कंपनी में छापा मारा और वहां से दवाई के कुछ नमूने एकत्र किए। बाद में कंपनी को सील कर दिया। नमूनों को जांच के लिए कलकत्ता भेजा जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि राज्य शासन ने सिप्रोक्सिन 500 दवा समेत छह दवाओं को राज्य में प्रतिबंधित कर दिया है तथा दवा दुकानों से भी इन दवाओं को नहीं बेचने की सलाह दी गई है। इधर, सूत्रों ने बताया कि जब औषधि प्रशासन विभाग का छापा महावर फार्मा कंपनी में मारा गया तब वहां परिसर में कुछ दवाआेंं को जला दिया गया था। बाद में अधिकारियों ने इसकी जानकारी अपने उच्च अधिकारियों को दी।  छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में नसबंदी के बाद 13 महिलाओं की मौत की घटना को देखते हुए राज्य शासन ने छह दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य शासन ने दवा दुकानों को निर्देश दिया है कि वह इन दवाओं को न बेचें। राज्य में जिन दवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें टेबलेट आईबुफ्रेन 400, टेबलेट सिप्रोसीन 500, इंजेक्शन लिग्नोकेन और लिग्नोकेन एचसीएल, एब्जारबेंट कॉटन वुल और जिलोन लोशन शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने दिया न्यायिक जांच का आदेश

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित चिकित्सा शिविर में नसबंदी सर्जरी में उत्पन्न जटिलताओं के कारण 13 महिलाओं की जान जाने के बाद आलोचना के घेरे में आये मुख्यमंत्री रमन सिंह ने घटनाओं की न्यायिक जांच का आदेश दिया। राज्य के बिलासपुर जिले के सकरी (पेंडारी) गांव में बीते शनिवार को एक निजी अस्पताल में शासकीय परिवार कल्याण स्वास्थ्य शिविर में कुछ घंटों के भीतर 83 महिलाओं का नसंबदी आपरेशन किया गया था। इन आपरेशन को करने वाले सर्जन को गिरफ्तार किया गया है। राज्य के खाद्य एवं दवा प्रशासन अधिकारियों ने उस निर्माण इकाई को सील कर दिया है जिसने पीड़ितों को दी गयी घटिया गुणवत्ता वाली दवाओं की कथित रूप से आपूर्ति की थी।  मुख्यमंत्री सिंह ने छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (सीआईएमएस) में संवाददाताओं से कहा, घटनाओं की न्यायिक जांच करवायी जायेगी और दोषी पाये गये लोगों को बख्शा नहीं जायेगा। चाहे वह दवा निर्माता, वितरक हो या चिकित्सक, कठोर कार्रवाई की जायेगी।

मौत की वजह दवाएं, मुझे फंसाया जा रहा : डॉ गुप्ता

Dr. R.K Gupta talkig to police about thish case
Dr. R.K Gupta talkig to police about thish case

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में नसबंदी के बाद महिलाओं की मौत के मामले में गिरफ्तार चिकित्सक ने संदिग्ध गुणवत्ता वाली दवाइयों को इसके लिए जिम्मेदार ठहाराया है। चिकित्सक ने आरोप लगाया है कि उन्हें फंसाया जा रहा है। बिलासपुर जिले के पेंंडारी गांव में नसंबदी के बाद राज्य शासन ने चिकित्सक आर. के. गुप्ता समेत चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया था तथा डाक्टर गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। पुलिस ने आज चिकित्सक गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया । गुप्ता ने 83 महिलाओं की नसबंदी की थी जिसमें से 12 महिलाओं की मौत हुई है। गुप्ता ने यहां संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि नसंबदी के बाद महिलाओं को दर्द और एंटीबायटिक दवाईयां आईब्रुफेन और सिप्रोक्सिन दिया गया था। दवा लेने के बाद महिलाओं ने उल्टी और सिरदर्द की शिकायत की थी। इससे यह सामने आ रहा है कि महिलाओं की मौत संदिग्ध गुणवत्ता वाली दवाओं के कारण हुई है।
उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से आपरेशन कर रहे हैं तथा इस दौरान उन्होंने हजारों महिलाओं की नसबंदी की है। लेकिन ऐसी घटना की जानकारी नहीं है। आपरेशन से पहले औजारों को पूरी तरह सुरक्षित कर लिया गया था। इसके बाद ही आपरेशन किया गया।
चिकित्सक ने कहा कि उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है जबकि जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा अन्य अधिकारियों और चिकित्सकों, जो निलंबित हैं सभी के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। शासन की नीतियों के तहत उन्हें फंसाया जा रहा है। गुप्ता ने कहा कि जो भी दवाइयां खरीदी गई थी उनकी जांच नहीं की गई थी। मरीजों को अच्छी कंपनी की दवाइयां नहीं दी गई। यदि अच्छी कंपनी की दवाइयां दी जाती तब इस घटना को रोका जा सकता था। डाक्टर केवल देखकर यह नहीं बता सकता है कि दवा असली है कि नकली। दवाइयों का परीक्षण के बाद ही इसे चिकित्सक को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन स्वयं को बचाने के लिए उन्हें फंसा रहा है जबकि प्रशासन भी बराबर का दोषी है। उन्होंने बताया कि एक लेप्रोस्कोपिक मशीन 27 साल पुरानी है तथा एक मशीन चार वर्ष पुरानी है। हांलकि मशीन के रखरखाव को लेकर पूरा ध्यान रखा जाता है।
राज्य के बिलासपुर जिले के सकरी (पेंडारी) गांव में बीते शनिवार को एक निजी अस्पताल में शासकीय परिवार कल्याण स्वास्थ्य शिविर में 83 महिलाओं का नसंबदी आपरेशन किया गया था। महिलाओं ने उल्टी और सिरदर्द की शिकायत की तब उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया। बाद में अस्पताल में 12 महिलाओं की मौत हो गई। वहीं जिले के पेंडरा क्षेत्र में नसबंदी के बाद एक आदिवासी महिला की मौत हो गई है। राज्य में नसबंदी के बाद तबीयत बिगड़ने के कारण अभी तक 13 महिलाओं की मौत हुई है। राज्य शासन ने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के चार वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ निलंबन और इनमें से एक सरकारी डॉक्टर गुप्ता के खिलाफ निलंबन सहित आपराधिक प्रकरण (एफआईआर) दर्ज कराने की कार्रवाई की है और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक को पद से हटा दिया गया है। मृतक महिलाओं के परिवारों को चार-चार लाख रूपए तथा बीमार महिलाओं को नि:शुल्क इलाज के साथ पचास-पचास हजार रूपए की मदद की घोषणा की गई है।
साभारःhttp://www.hellocg.com/

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