अजय वर्मा
नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। आजकल किसी भी ढाबे पर जाये तो थाली में मक्खन का टुकड़ा भी मिलेगा। अलग कटोरी में या पराठों के ऊपर क्यूब के आकार का या इसे दाल और सब्जियों के ऊपर गार्निश की तरह डाल दिया जाता है। खाने वाले गदगद हो जाते हैं कि क्या कमाल का ढाबा है।
मक्खन या मार्जरीन
बहुत कम लोग जानते हैं कि ये मक्खन और मार्जरीन देखने में एक जैसे ही लगते हैं। ढाबों में मिलने वाला अमूमन मक्खन नहीं, पाम आयल से बना मार्जरीन होता है। वह भी घटिया। बटर टोस्ट, दाल मखनी, बटर ऑमलेट, पराठे, पाव भाजी, अमृतसरी कुल्छे, शाही पनीर, बटर चिकन और ना जाने कितने ही व्यंजनों में इसे डेयरी बटर की जगह इस्तेमाल किया जा रहा है और आपसे उसके ही दाम वसूले जा रहे हैं। कुछ लोगों को ढाबे पर दाल में मक्खन का तड़का लगवाने और रोटियों को मक्खन से चुपड़वा कर खाने की आदत होती है। उसमें भी यही घटिया मार्जरीन होती है।
मार्जरीन को जीरो कैलेस्ट्रोल का खिताब भी
जानकार बताते हैं कि लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए इसे जीरो कैलेस्ट्रोल का खिताब भी हासिल है क्योंकि मेडिकल लॉबी ने लोगों के दिमाग में भर दिया है कि बैड कोलेस्ट्रॉल ह्रदयघात का प्रमुख कारण है। इसीलिये आजकल जिस भी चीज पर जीरो कोलेस्ट्रॉल लिखा होता है, जनता उसे तुरंत खरीद लेती है। सावधान आपको रहना है क्योंकि सेहत है तो सब कुछ है।