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तथ्यों के आईने में आयुष्मान योजना पर CAG की रिपोर्ट

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। CAG की हाल ही जारी रिपोर्ट में आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़ी संबंधी दावों को लेकर हेल्थ मंत्रालय ने अपने स्पष्टीकरण में कहा है कि बिना तथ्यों की तह तक गये मीडिया में भ्रामक और तथ्यहीन खबरें चलीं। इस रिपोर्ट में सितंबर 2018 से मार्च 2021 की अवधि को कवर करने वाली आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) की समीक्षा की गयी है।
जारी विज्ञप्ति के अनुसार CAG के हवाले से कहा गया कि AB PM-JAY के तहत उन लाभार्थियों के लिए उपचार बुक किए गए हैं, जिन्हें सिस्टम पर मृत घोषित कर दिया गया था। यह भी दावा किया गया कि एक ही लाभार्थी नेे एक ही समय में दो अस्पतालों में इलाज का लाभ उठाया। इस संदर्भ में यह स्पष्ट किया गया है कि योजना के तहत अस्पतालों को प्रवेश की तारीख से प्रथम तीन दिन पहले तक के पूर्व-प्राधिकरण हेतु अनुरोध करने की अनुमति है। यह सुविधा सीमित कनेक्टिविटी, आपातकालीन स्थितियों आदि के मामले में कोई लाभार्थी उपचार से वंचिन न होने पाए, इसके लिए दिया गया है।
कुछ मामलों में रोगियों को भर्ती किया गया और इससे पहले कि उनका पूर्व-प्राधिकरण किया जाए, उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। ऐसे मामलों में मृत्यु की तारीख प्रवेश तिथि या उससे पहले के समान है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि उसी अस्पताल द्वारा मौत की भी सूचना रिपोर्ट की गई है, जिसने पूर्व-प्राधिकरण का अनुरोध किया था। इस प्रकार अगर अस्पताल का इरादा सिस्टम को धोखा देने का होता तो वह आईटी सिस्टम पर रोगी को मृत घोषित करने में रुचि नहीं दिखाता।
यहां पर यह ध्यान देना उचित है कि रिपोर्ट में रेखांकित 50 फीसद से अधिक मामले सार्वजनिक अस्पतालों द्वारा दर्ज किए गए हैं, जिनके पास धोखाधड़ी करने का कोई कारण नहीं दिखता, कोई प्रोत्साहन नहीं है, क्योंकि पैसे का भुगतान अस्पताल के खाते में किया जाता है। इसके अलावा, उपचार के दौरान मृत्यु के मामले में अस्पताल को अनिवार्य रूप से मृत्यु रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है।
विज्ञप्ति के अनुसार ऐसे कई उदाहरण हैं जहां रोगी को प्राइवेट मरीज (स्व-भुगतान) के रूप में अस्पताल में भर्ती कराया जाता है लेकिन बाद में योजना और योजना के तहत उनकी पात्रता के बारे में पता चलने पर रोगी अस्पताल से अनुरोध करता है कि वे उन्हें मुफ्त उपचार के लिए योजना के तहत सत्यापित करें। बैक-डेटेड प्री-ऑथराइजेशन के लिए अनुरोध करने की यह सुविधा लाभार्थियों के उपचार पर होने वाले खर्च से उनपर पड़ने वाले आर्थिक बोझ (OOPE) से बचाने में मदद करती है।
एक ही समय में दो अस्पतालों में इलाज के संदर्भ में कहा गया है कि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि AB PM-JAY के तहत 5 वर्ष तक के बच्चे अपने माता-पिता के आयुष्मान कार्ड पर उपचार का लाभ उठा सकते हैं। तदनुसार आयुष्मान कार्ड का उपयोग एक साथ दो अलग-अलग अस्पतालों में बच्चों और माता-पिता में से किसी एक के लिए किया जा सकता है। जैसे एक माँ को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और वह उपचार के दौरान एक शिशु को जन्म देती है और जिस अस्पताल में माँ भर्ती है, वहां नवजात देखभाल सुविधा उपलब्ध नहीं हो तो बच्चे को नवजात देखभाल सुविधा के साथ किसी अन्य अस्पताल में भेजा जा सकता है। ऐसे में मां का आयुष्मान कार्ड बच्चे और मां दोनों के लिए एक साथ इस्तेमाल किया जा रहा होता है। यह भी संभव है कि पिता के आयुष्मान कार्ड पर दो अलग-अलग अस्पतालों में पिता और बच्चे का एक साथ इलाज होने का हो सकता है।
आमतौर पर, मां और बच्चे केवल एक आयुष्मान कार्ड का उपयोग करके उपचार का लाभ उठाते हैं और यदि उपचार के दौरान बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो अस्पताल बच्चे को मृत घोषित कर देता है जो गलती से मां के कार्ड के बदले पंजीकृत हो जाता है। इसके बाद जब मां अगले इलाज के लिए जाती है तो उसे इस आधार पर सेवाओं से वंचित रहना पड़ता है कि उसके आयुष्मान कार्ड को मृत के रूप में चिह्नित किया गया है। ऐसे मामलों में शिकायतें आने पर मां के कार्ड के बदले में लगे मृत का फ्लैग हटा दिया जाता है।
ऐसे में यह ध्यान रखना जरूरी है कि AB PM-JAY के तहत एक चार-चरणीय मजबूत दावा प्रसंस्करण प्रणाली विकसित की गई है। अस्पताल के द्वारा दिए गए दावों की सत्यता की जांच हर स्तर पर की जाती है। इसके अलावा परिभाषित ट्रिगर से उन दावों की पहचान की जाती है, जिनकी आगे जांच की आवश्यकता होती है। ऐसे मामलों में डेस्क और फील्ड ऑडिट किया जाता है। यदि कोई अस्पताल किसी भी तरह के धोखाधड़ी या दुरुपयोग करता हुआ पाया जाता है, तो दोषी अस्पताल के खिलाफ पैनल से हटाने सहित दंडात्मक कार्रवाई शुरू की जाती है।
CAG का एक निष्कर्ष यह भी है कि एक मोबाइल नंबर कई लाभार्थियों से जुड़ा हुआ है। इसका कोई परिचालन और वित्तीय प्रभाव नहीं है क्योंकि योजना के तहत लाभार्थी की पहचान प्रक्रिया मोबाइल नंबर से जुड़ी नहीं है। मोबाइल नंबर केवल जरूरत पड़ने पर लाभार्थियों तक पहुंचने और प्रदान किए गए उपचार के बारे में प्रतिक्रिया एकत्र करने के लिए लिया जाता है।
आयुष्मान भारत PM-JAY आधार आइडी के माध्यम से लाभार्थियों की पहचान करता है जिसमें लाभार्थी अनिवार्य रूप से आधार आधारित e-KYC की प्रक्रिया से गुजरता है। आधार डेटाबेस से प्राप्त विवरणों का स्रोत डेटाबेस के साथ मिलान किया जाता है और तदनुसार, लाभार्थी के विवरण के आधार पर आयुष्मान कार्ड के लिए अनुरोध को स्वीकार या अस्वीकार कर दिया जाता है। इस प्रकार, सत्यापन प्रक्रिया में मोबाइल नंबरों की कोई भूमिका नहीं है।
इसके अलावा, यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि AB PM-JAY एक लाभार्थी आधार (नीचे 40 फीसद) को पूरा करता है, जिसमें उनमें से कई लाभार्थियों के पास मोबाइल नंबर नहीं हो सकता है या मोबाइल नंबर बदलता रहता है। ऐसे में, NHA ने OTP के साथ लाभार्थी सत्यापन के लिए तीन अतिरिक्त विकल्प अर्थात फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन और फेस-ऑथ प्रदान किए हैं, जिनमें से फिंगरप्रिंट आधार प्रमाणीकरण हेतु सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।
इनको ध्यान में रखते हुए, लाभार्थियों के उपचार को केवल इस आधार पर नहीं रोका जा सकता है कि लाभार्थी के पास वैध मोबाइल नंबर नहीं है, या उनके द्वारा दिया गया मोबाइल नंबर बदल गया है। उपचार के काम में लाभार्थी के मोबाइल नंबरों की बहुत सीमित भूमिका है। तथ्य यह है कि PM-JAY एक पात्रता-आधारित योजना है न की नामांकन-आधारित। मतलब यह है कि लाभार्थी डेटाबेस तय है और नए लाभार्थियों को जोड़ने के लिए उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार, लाभार्थी पात्रता तय करने में मोबाइल नंबरों की कोई भूमिका नहीं है। इसलिए, यह एक गलत धारणा है कि लाभार्थी मोबाइल नंबर का उपयोग करके उपचार का लाभ उठा सकते हैं।
लाभार्थी सत्यापन के लिए मोबाइल नंबर अनिवार्य नहीं है। हालांकि सिस्टम में मोबाइल नंबर दर्ज करने के लिए एक क्षेत्र था, इसलिए यह संभव है कि योजना कार्यान्वयन के शुरुआती चरणों में कुछ मामलों में क्षेत्र स्तर के कार्यकर्ताओं द्वारा कुछ रैंडम दस अंकों की संख्या दर्ज की गई हो। प्रारंभ में OTP आधारित सत्यापन सक्षम नहीं था, क्योंकि कई लाभार्थी या तो अपने साथ मोबाइल नहीं ले आते थे या उन्होंने अपने रिश्तेदार या पड़ोसी का नंबर दर्ज कराया था। हालांकि, मोबाइल नंबरों का सत्यापन न होने से लाभार्थी सत्यापन प्रक्रिया की शुद्धता या योजना के तहत लाभार्थियों की पात्रता की वैधता प्रभावित नहीं होती है।
NHA द्वारा उपयोग किए जाने वाले वर्तमान आईटी पोर्टल में बाद में आवश्यक परिवर्तन किए गए हैं, ताकि लाभार्थी के वैध मोबाइल नंबरों को ही कैप्चर किया जा सके।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की कार्य-निष्पादन लेखा परीक्षा रिपोर्ट एवं सिफारिशों की विस्तार से अवलोकन कर रहे हैं और मौजूदा सूचना प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म और प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करके, प्रणाली को और अधिक मजबूत, कुशल और विवेकपूर्ण बनाने हेतु आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

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