स्वस्थ भारत मीडिया
समाचार / News

बच्ची की जान बचाने को मुंबई से मंगाया गया दुर्लभ ग्रुप का ब्लड

पटना के माँ ब्लड सेंटर के अद्भुत प्रयास को सलाम
अजय वर्मा

पटना। पटना एम्स में 14 साल की बच्ची को बचाने के लिए दुर्लभ बॉम्बे ब्लड ग्रुप की जरूरत पड़ी और उत्साही युवाओं के सक्रिय सहयोग से संचालित पटना के मां ब्लड सेंटर ने मुंबई से दो यूनिट ब्लड मंगवाकर अस्पताल को निःशुल्क सौंपा। प्रक्रियागत परीक्षण के बाद 18 अगस्त की रात 9 बजे से उसे ब्लड चढ़ाया जाने लगा।

बिहार का ऐसा पहला केस

रोहतास निवासी 14 साल की बच्ची अलीशा परवीन डेंगू से पीड़ित होने के बाद पटना एम्स में भर्ती हुई। एम्स ने माँ ब्लड सेंटर को बॉम्बे ब्लड ग्रुप का एक यूनिट उपलब्ध कराने हेतु पत्र भेजा। सेंटर से जुड़े डॉ. यू. पी. सिन्हा के नेतृत्व में अमर तथा अमन द्वारा जब पीड़ित बच्ची के खून के नमूने की जांच की गई तो सब हैरत में पड़ गए। उस बच्ची का खून बॉम्बे ब्लड ग्रुप था। यह बिहार का पहला मामला है। मां ब्लड सेंटर के संस्थापक मुकेश हिसारिया के अथक प्रयास के बाद भी पटना में इस ग्रुप का ब्लड नहीं मिला। हिमोग्लोबिन भी तीन ग्राम निकला।

एम्स को निःशुल्क  सौंपा गया

इसके बाद बिहार के बाहर विभिन्न ब्लड बैंकों से उक्त ग्रुप का ब्लड प्राप्त करने के प्रयास के क्रम में उन्होंने मुंबई के लाइफ ब्लड काउंसिल के विनय शेट्टी से संपर्क साधा। श्री शेट्टी की अद्भुत सेवा भावना के फलस्वरूप सायन ब्लड सेंटर, मुंबई और काई वामनराव ओक ब्लड बैंक, थाणे के सौजन्य से बॉम्बे ब्लड ग्रुप के रक्त की आपूर्ति संभव हो सकी। माँ ब्लड सेंटर ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत सभी कागजी प्रक्रिया पूरी कर मुंबई से बॉम्बे ब्लड ग्रुप का यूनिट प्राप्त किया और एम्स पटना को इसे निःशुल्क मुहैया कराया।

इस ग्रुप का डोनर मिलना भी कठिन

आमतौर पर इंसानों में A+, B+, AB+, O+ या  A-, B-, AB-, O- जैसे ब्लड ग्रुप पाए जाते हैं लेकिन इस ब्लड ग्रुप केे बारे में शायद ही किसी को पता हो। दुनिया भर में इसे बेहद दुर्लभ माना जाता है जिससे इस ग्रुप का डोनर मिलना भी मुश्किल होता है। इसका वैज्ञानिक नाम आरएच नल ब्लड ग्रुप (Rh Null Blood Group) है। कहा जाता है कि इस ब्लड ग्रुप को किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है क्योंकि किसी भी ब्लड ग्रुप के साथ यह आसानी से मैच हो जाता है। यह ब्लड ग्रुप सिर्फ उस व्यक्ति के शरीर में मिलता है जिसका Rh फैक्टर Null (Rh-null) होता है।

Related posts

IISC की एक वैक्सीन करेगी कोरोना से भविष्य में भी सुरक्षा

admin

औषधि मूल्य संशोधन समिति का हुआ विस्तार

admin

अल्कोहल एंड ड्रग डी-एडिक्शन काउंसलिंग का सर्टिफिकेट कोर्स 8 अक्टूबर से

admin

Leave a Comment