उमाशंकर मिश्र
भोपाल। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) में विज्ञान संचार सलाहकार डॉ चंद्र मोहन नौटियाल ने कहा कि विज्ञान से भरपूर सिनेमा समाज की तकनीकी ताकत है और यह देश और इसके लोगों को सशक्त बनाने का एक प्रभावी उपकरण है। वह पिछले दिनों रजत जयंती सभागार, पं. खुशी लाल शर्मा आयुर्वेद संस्थान, भोपाल में शुरू हुए तीन दिवसीय भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव (ISFFI) में मुख्य वक्ता के तौर पर बोल रहे थे। प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. चंद्र मोहन नौटियाल G-20 के कार्यकारी समूहों में से एक विज्ञान-20 (S-20) के विशेष संदर्भ में ‘‘फिल्म्स टू रिफ्लेक्ट इंडियाज इमर्जेंस एज साइंस एंड टेक्नोलॉजी लीडर‘‘ विषय पर संबोधित कर रहे थे।
वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता भारत कर रहा है। 2023 के लिए S-20 की थीम ‘नवोन्मेषी और सतत् विकास के लिए विघटनकारी विज्ञान‘ है। पिछले कई वर्षों से, जी-20 देशों का समूह जलवायु परिवर्तन शमन और सतत् विकास जैसी अन्य वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में काम कर रहा है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जी-20 सहित कई कार्यकारी समूहों की स्थापना की गई है।
इंटरनेशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (ISFFI), भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MANIT) में चल रहे चार दिवसीय भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का एक प्रमुख घटक है। IISFFI-2022 का उद्घाटन शनिवार को मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश, शिवराज सिंह और केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान और अंतरिक्ष डॉ जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में किया गया। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूदय, राजेश एस. गोखले, सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, डॉ एन कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर और सचिव, DSIR एम. रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, ओम प्रकाश सखलेचा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, मध्य प्रदेश और निकुंज श्रीवास्तव, सचिव-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, मध्य प्रदेश भी इस दौरान मौजूद थे।
COVID-19 महामारी के दौरान भारत के लचीलेपन का उल्लेख करते हुए, डॉ. सीएम नौटियाल ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी की ताकत और लोगों को बीमारी के बारे में शिक्षित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने G-20 और S-20 पहलों के महत्व के बारे में भी बताया। डॉ. नौटियाल ने कहा, S-20 विज्ञान में सहयोग के लिए शुरू की गई पहल है। किसी भी राष्ट्र को महाशक्ति बनाने के लिए संचार के माध्यम से S-20 कार्यक्रमों में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की भागीदारी बहुत आवश्यक है। इन विकासात्मक कार्यक्रमों को संचार के कई चैनलों द्वारा समर्थित किया जाता है, और ऐसे कुशल माध्यमों में से एक फिल्म और सिनेमा है।
डॉ नौटियाल ने कहा, “चूंकि फिल्म और सिनेमा को बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा आसानी से समझा जा सकता है, खासकर आमजन द्वारा भीइ से समझा जा सकता है। इसीलिए,फिल्मों का उपयोग मानव सभ्यता में विज्ञान और उसके विभिन्न पहलुओं और भूमिकाओं को चित्रित करने के लिए प्रभावी माध्यम के रूप में किया जा सकता है। यह छात्रों और युवाओं जैसे आला दर्शकों को लक्षित करके परिवर्तनकारी प्रभाव छोड़ने में सक्षम है। भारत में, विज्ञान प्रसार द्वारा लगभग 4000 विज्ञान फिल्में पहले ही बनायी जा चुकी हैं और दर्शकों के लिए उपलब्ध करायी जा चुकी हैं। कुछ अन्य संस्थान जैसे डीडी, NCSTC (DST) और कुछ निजी चैनल भी विज्ञान फिल्म बनाने की दुनिया में मुख्य खिलाड़ी हैं।”
डॉ नौटियाल ने कहा, पश्चिमी सिनेमा, जो पहले से ही साइंस फिक्शन शैलियों में समृद्ध था, ने जुरासिक पार्क, इंटरस्टेलर, ग्रेविटी, स्टार वार्स जैसी फिल्मों का निर्माण किया, और अपने दर्शकों के लिए एक पूरी तरह से अलग दुनिया बनायी। वहीं, ‘मिस्टर एक्स इन बॉम्बे’, ‘कोई मिल गया’, ‘क्रिश’ और ‘द्रोणा’ जैसी फिल्मों ने साइंस फिक्शन लीग में भारतीय सिनेमा का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने कहा, “विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कुल मिलाकर एक राष्ट्र की नियति को नियंत्रित करते हैं, और अंततः राष्ट्र के औद्योगीकरण और तकनीकी उद्भव को आकार देने में मदद करते हैं।”
अरुण चड्ढा, फिल्म निर्माता और जूरी अध्यक्ष, ISFFI-2022, प्रो. शंभुनाथ सिंह, पूर्व कुलपति, पटना विश्वविद्यालय और संस्थापक निदेशक, SoJMS, इग्नू, जूरी सदस्य, ISFFI 2022, राजीव वर्मा, प्रसिद्ध अभिनेता, जूरी सदस्य, ISFFI-2022, डॉ नकुल पाराशर, निदेशक, विज्ञान प्रसारय डॉ सुधीर एस. भदौरिया, महासचिव, विज्ञान भारतीय और निमिष कपूर, फिल्म महोत्सव के संयोजक एवं वैज्ञानिक-ई, विज्ञान प्रसार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पराशर ने कहा कि भारत का अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव विज्ञान संचार, लोकप्रियता और इसके विस्तार (SCoPE) में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
ISFFI के समन्वयक और विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक निमिष कपूर ने बताया है कि विज्ञान फिल्मोत्सव के अंतर्गत विज्ञान, प्रौद्योगिकी औरशोध तथा विकास से जुड़े विविध विषयों पर चार श्रेणियों में फिल्म प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं। प्राप्त 437 प्रविष्टियों में से 61 भारतीय और 33 विदेशी फिल्मों को समारोह के लिए नामांकित किया गया। भारत, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, रूस, कनाडा, इजराइल, फिलीपींस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों की पुरस्कृत विज्ञान फिल्मों की विशेष स्क्रीनिंग फिल्मोत्सव में की गई। फिल्म महोत्सव में किसी प्रकार का शुल्क नहीं रखा गया था। 21 से 23 जनवरी 2023 के दौरान इन फिल्मों की स्क्रीनिंग में बच्चों और छात्रों समेत हर आयु वर्ग के लोग आकर फिल्में देखीं।
फिल्म महोत्सव के उद्घाटन सत्र के दौरान एक फिल्म-‘रिटर्न ऑफ चीता‘ दिखाई गई। इस 2.27 मिनट की फिल्म का निर्माण क्रिएटिव चैनल और पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा किया गया है। यह लघु फिल्म खूबसूरती से दर्शाती है कि कैसे भारत में चीतों की वापसी मानव निर्मित पारिस्थितिक दोष को ठीक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नामीबियाई चीतों का भारत आना विश्व में एक ऐतिहासिक घटना है।
इंडिया साइंस वायर से साभार