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डॉक्टरों के साथ हिंसा सभ्य समाज की निशानी नहीं

चिकित्सकों की सुरक्षा का प्रश्न विषय पर बोले समाजकर्मी

स्वस्थ भारत (न्यास) एवं बिहार मेडिकल फोरम ने दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में किया आयोजन, अन्य कई संस्थानों ने दिया समर्थन एवं सहयोग

नई दिल्ली/02.07.2019 / आशुतोष कुमार सिंह

चिकित्सकों की सुरक्षा के प्रश्न विषय पर नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित  राष्ट्रीय परिसंवाद में वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि किसी भी सभ्य समाज के लिए चिकित्सकों के साथ हो रही हिंसा चिंतनीय है। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के सहयोग से स्वस्थ भारत न्यास एवं बिहार मेडिकल फोरम द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय परिसंवाद में दिल्ली के वरिष्ठ चिकित्सकों ने अपनी बात रखी। वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. संजीव कुमार, वरिष्ठ ऑन्कोलोजिस्ट डॉ. सुशील कुमार, बिहार मेडिकल फोरम के सचिव डॉ. राजेश पार्थ सारथी, वरिष्ठ होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ. पंकज अग्रवाल, सिंपैथी के निदेशक डॉ. आर.कांत,  आइएमए व डीएमए सदस्या डॉ. ममता ठाकुर, डॉ. मनीष कुमार, फोर्डा के अध्यक्ष डॉ. सुमेध संदनशिव, सहित तमाम चिकित्सकों ने एक स्वर से कहा कि कोई भी चिकित्सक यही चाहता है कि उसका मरीज हर हाल में ठीक हो। ऐसे में कुछ लोगों द्वारा नकारात्मकता को बढ़ावा देना और चिकित्सकों को मानसिक रूप से परेशान करना न्यायोचित नहीं है।
     

दीप प्रज्ज्वलन करते हुए विशेष अतिथि गण

चिकित्सकों के साथ दोस्ताना व्यवहार जरूरी

अपने अध्यक्षीय संबोधन में वरिष्ठ स्वास्थ्य पत्रकार धनंजय कुमार ने कहा कि जिस समय पूरा देश चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है वैसे समय में चिकित्सकों के साथ दोस्ताना व्यवहार करने की बजाय नकारात्मक व्यवहार समाज के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार को भी मजबूत कदम उठाने चाहिए।

 देश के स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी पूंजी हैं चिकित्सक

स्वस्थ भारत न्यास के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह स्वागत भाषण देते हुए

स्वस्थ भारत न्यास के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि चिकित्सक इस देश के स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी पूंजी हैं। हमारी धरोहर हैं। जितना सादगी के साथ हम उनका उपयोग करेंगे उतना ही बेहतर परिणाम वो देने की स्थिति में रहेंगे।     

एलोपैथ से सेवा भाव की अपेक्षा बेमानीः डॉ. पार्थ सारथी

बिहार मेडिकल एसोसिएशन के सचिव एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजेश पार्थ सारथी ने कहा कि चिकित्सक अपने काम में लगा रहता है। उसके पास इतना भी समय नहीं होता कि वह बार-बार अपने पक्ष में सफाई देता रहे। इसके कारण चिकित्सकों का पक्ष बहुत कम सामने आ पाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से जज के फैसले का सम्मान होता है और उसके खिलाफ बोलने वालों पर कंटेप्ट ऑफ कोर्ट का मामला चलता है, सजा होती है। इसके पीछे का तर्क यही है कि जज की कुर्सी पर बैठा आदमी न्याय कर रहा है, दो पक्षों को सुनने के बाद सच को वह सामने रखकर फैसला सुनाता है। अगर उसके फैसले का आप अनादर करते हैं तो आप पूरी व्यवस्था का अनादर कर रहे होते हैं। उसी तरह गर कोई चिकित्सक के साथ मारपीट या हिंसा करता है तो सिर्फ अकेले वह चिकित्सक प्रभावित नहीं होता बल्कि पूरी चिकित्सकीय व्यवस्था प्रभावित होती है। उन्होंने आम लोगों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि हमारा सिर्फ कर्म का अधिकार है और हम अपनी ओर से द बेस्ट करते हैं बाकी किसी की जिंदगी एवं मौत पर सिर्फ और सिर्फ ऊपर वाले का ही हाथ है। 400 वर्ष पूर्व आई अंग्रेजी पैथी के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि किस तरह से शाहजहां की बेटी का इलाज एक अंग्रेज ने किया था और उसकी बेटी ठीक हो गई थी। बदले में उस अंग्रेज चिकित्सक ने फोर्ट विलियंम्स मांग लिया था। यानी उसने एक तरह से साम्राज्य स्थापित करने का अधिकार ही मांग लिया था। और उसके बाद अंग्रेजों को भारत में अपना पैर पसारने में आसानी हो गई। उनका कहना था कि जिस पैथी की नींव ही लाभ कमाने के लिए पड़ी हो उस पैथी से चैरिटी भाव या सेवा भाव की परिकल्पना करेंगे तो हम न्यायोचित परिणाम नहीं प्राप्त कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि गर डॉक्टरों को खुद अपनी सुरक्षा की चिंता करनी पड़ेगी तो फिर वे समाज के स्वास्थ्य की चिंता ठीक से नहीं कर पाएंगे।

मजबूरी में करते हैं हम हड़तालः फोर्डा

फोर्डा के अध्यक्ष डॉक्टर सुमेध अपनी बात रखते हुए

फोर्डा के अध्यक्ष डॉ. सुमेध संदनशिव ने चिकित्सकों के प्रति लोगों के मन में अविश्वास भाव को रेखांकित करते हुए कहा कि कोई भी मरीज चिकित्सकों को पीटने के लिए नहीं आता है लेकिन परिस्थियां ऐसी बना दी गई  हैं कि लोग उग्र हो जाते हैं। उन्होंने इस स्थिति का जिम्मेदार लैक ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर, लैक ऑफ सर्विस और लैक ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन को देते हुए कहा कि गर सरकार इन बिन्दुओं पर ध्यान दे तो समस्या का समाधान संभव है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी एवं अब्दुल कलाम आजाद जैसे महान हस्तियों को भी नहीं बचा पाए। मौत के आगे कोई नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए हड़ताल करना पड़ता है लेकिन हम नहीं चाहते हैं कि हड़ताल हो।

डॉक्टरों को अपने शैडो से बाहर आना होगाः डॉ. संजीव कुमार

वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. संजीव कुमार अपनी बात रखते हुए

जाने माने न्यूरो सर्जन डॉ. संजीव ने चिकित्सकों की समस्या को रेखांकित करते हुए कहा कि सरकारी अस्पताल एवं निजी अस्पतालों की समस्याएं अलग-अलग है उसी तरह रेजीडेंट चिकित्सक एवं कंसलटेंट की समस्याएं भी अलग-अलग हैं। डॉक्टरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सक अपने शैडो से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं। उसे निकलना पड़ेगा। उन्होंने आगे जोड़ा कि लड़ाई किसी समस्या का समाधान नहीं है। सभ्य समाज की पहली शर्त यही है कि कोई भी कानून अपने हाथ में नहीं लेता। वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन  प्रो. कुली को कोट करते हुए उन्होंने कहा कि जब मेडिसिन अचिव नथिंग तब हमारा सम्मान सर्वोच्च था। आज जब हम सबकुछ करते हैं तब हमारा सम्मान कम हुआ है। उन्होंने चिकित्सकों को आगाह करते हुए कहा कि हमलोग ट्रैप में हैं। उस ट्रैप को रेखांकित करते हुए डॉ. संजीव ने कहा कि मेडिसिन के तीन आस्पेक्ट्स होते हैं। आर्ट्स, साइंस एवं कॉमर्स। आज कॉमर्स हावी है। जब कॉरपोरेटाइजेशन हो रहा था हम बहुत खुश हुए थे। आज हम अपना एक्सलेंस सर्विस देते हैं बावजूद इसके हमारी इज्जत कमतर हुई है। हमरा अचिवमेंट बढ़ रहा है हमारा सम्मान कमतर हो रहा है। मैं समाज से कहना चाहता हूं कि कृपया आप अपने चिकित्सक को ठीक से समझिए, जानिए, पहचानिए। वह भी किसी का बेटा है। उसकी भी अपनी जिम्मेदारियां हैं, जिंदगी है। आपको लगता होगा कि आपने सर्जरी में 5 लाख रुपये खर्च किए हैं तो वह सब चिकित्सक के पास ही जाएगा। ऐसा नहीं है। उसमें से उसे 50 हजार भी नहीं मिलता है। वास्तविक दोषी कोई और हैं। उन्होंने चिकित्सक समुदाय से अपील करते हुए कहा कि उन्हें भी सोसली एक्टिव होना चाहिए और अपने परस्पैक्टिव को रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि, मुझे पता है यह हम आर्ट ऑफ मेडिसिन को रिवाइव करेंगे तो यही लोग हमें बहुत इज्जत करेंगे।

वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुशील कुमार अपनी बात रखते हुए

डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए सरकार

जाने माने ऑन्कोलोजिस्ट डॉ. सुशील कुमार ने कहा कि चिकित्सकों के खिलाफ हो रही हिंसा पर कानून जरूरी है। साथ ही उन्होंने कुछ राजनीतिज्ञों द्वारा चिकित्सकों के बारे में गलत बयानी करने पर भी नराजगी जताई। पीएम का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि चीप पॉपुलारिटी के लिए चिकित्सकों पर शाब्दिक रूप से हमलावार होना ठीक नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश जाता है।

बीपीपीआई के जीएम (मार्केटिंग) धीरज शर्मा अपनी बात रखते हुए

चिकित्सकों पर भरोसा नहीं करने का कारण नहीं है: धीरज शर्मा

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के जीएम (मार्केटिंग) धीरज शर्मा ने कहा कि किसी भी चिकित्सक के मन में यही बात रहती है कि उसे अपने  मरीज को ठीक करना है। एक अंदर ठीक करने का भाव रहे और एक के अंदर ठीक होने का भाव, फिर उत्तेजना क्यों? थोड़ा धैर्य रखना जरूरी है। समाज को भी समझना पड़ेगा कि पूरे जमाने में कार्पेट बिछाने से अच्छा है कि अपने पैरों में स्लीपर पहन लिया जाए। 

डॉक्टरों की फी देने से कतराते हैं मरीजः डॉ आर. कांत

सिंपैथी के निदेशक डॉक्टर आर.कांत अपनी बात रखते हुए

सिंपैथी के निदेशक एवं वरिष्ठ होमियोपैथी चिकित्सक डॉ. आर.कांत ने कहा कि मेट्रो शहरों में चिकित्सकों के प्रति सम्मान का भाव लोगों में कम हुआ है। उन्होंने कहा कि आजकल तो लोग चिकित्सक को कट्सी में नमस्कार करना भी पसंद नहीं करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि बहुत से मरीज सही चिकित्सक तक पहुंचते पहुंचते बहुत देर कर चुके होते हैं। थोड़ा सा फी का पैसा बचाने के लिए वे कम जानकार चिकित्सकों के फेर में फंस जाते हैं।

वरिष्ठ होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ. पंकज अग्रवाल अपनी बात रखते हुए

वहीं वरिष्ठ होमियोपैथिक चिकित्सक डॉक्टर पंकज अग्रवाल ने कहा कि लोगों की साक्षरता तो बढ़ी है लेकिन शिक्षा में कमी आई है। उन्होंने इस बात को जोर देकर रेखांकित किया कि डॉक्टर एवं पेशेंट के बीच संवाद होना जरूरी है और इसके लिए आम लोगों को जागरूक करना भी बहुत जरूरी है। चिकित्सकों पर भारतीयों के विश्वास का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब लक्ष्मण मुर्क्षित हुए थे तब रावण के वैद्य को बुलाकर उनका इलाज कराया गया था और श्रीराम ने कहा था कि अब सबकुछ आपके हाथ में हैं। इस तरह का चिकित्सकों के प्रति हमारा भाव रहा है।

स्वस्थ भारत अभियान की मार्गदर्शक मंडल सदस्या डॉ. ममता ठाकुर अपनी बात रखती हुईं

पीएम अपनी मन की बात में उठाएं चिकित्सकों की सुरक्षा का प्रश्नः डॉ. ममता     

आईएमए एवं डीएमए एवं स्वस्थ भारत अभियान से जुड़ी हुई वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ममता ठाकुर ने कहा कि जब प्रधानमंत्री इंगलैंड में जाकर भारतीय चिकित्सकों की बुराई कर सकते हैं तो कम से कम अपने देश में चिकित्सकों की सुरक्षा के प्रश्न पर उन्हें अपने मन की  बात में अपील करनी चाहिए। उन्होंने कहा किस तरह से इमरजेंसी के मरीज को कोई चिकित्सक जल्दी अटेंड नहीं करना चाहता है। उसे रेफर कर दिया जाता है। और रेफर-रेफर के इस खेल में वह मरीज इस दुनिया से रेफर हो जाता है। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि कहीं न कहीं चिकित्सक के मन में  इस बात का डर बैठता जा रहा है कि गर मरीज को कुछ हो गया तो उसके घर वाले हिंसक हो जाएंगे। उन्होंने आगे जोड़ा कि हिंसा का यह माहौल चारो ओर फैला है। जिसकी जद में अब चिकित्सक भी आए हैं।

वक्ताओं के साथ आयोजक मंडल के सदस्य

इसके पूर्व स्वागत भाषण स्वस्थ भारत के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने दिया। वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वस्थ भारत के राष्ट्रीय सह संयोजक प्रसून लतांत ने मंचासिन वक्ताओं को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इंटरमिंगलिंग इंडिया, मस्कट हेल्थ प्रा.लि., बीबीआरएफआई, एवं हिलिंग सबलाइन जैसे संस्थानों ने भी इस आयोजन में अपना सहयोग दिया। इस अवसर पर दिल्ली के जाने-माने चिकित्सक, समाजकर्मी एवं पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग उपस्थित हुआ एवं चिकित्सकों के साथ हो रहे हिंसा पर चिंता जाहिर की। बिहार शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष आनंद कौशल ने चिकित्सकों पर हो रही हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि उनका संगठन बिहार में चिकित्सकों के साथ है। उनके हर-दुख दर्द में हम उनके साथ हैं। वे ऐसा न समझे कि समाज के लोग चिकित्सकों से मुंह मोड़ लिए हैं।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए स्वस्थ भारत न्यास के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री भारतयी जनऔषधि परियोजना, बिहार मेडिकल फोरम एवं मस्कट हेल्थकेयर प्रा. लिंमिटेड को विशेष रूप से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि बिना इनके सहयोग के यह आयोजन संभव नहीं था। मस्कट हेल्थ प्रा. लिमिटेड के जीएम (मार्केटिंग ) राम कुमार, बीपीपीआई के जीएम (मार्केटिंग) धीरज शर्मा एवं बिहार मेडिकल फोरम के सचिव डॉ. राजेश पार्थ सारथी को विशेष रूप से धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी, कवि एवं गीतकार मनोज सिंह ‘भावुक’ ने किया। बीच-बीच में उन्होंने अपनी कविताओं से दर्शकों को बांधे रखा।

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