नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने ओडिशा के पुरी में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में अच्छे एवं अनुकरणीय प्रचलनों और नवप्रवर्तन पर 9वें राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस आयोजन में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मुकेश महालिंग तथा पुरी से लोकसभा सांसद डॉ. संबित पात्रा भी उपस्थित थे। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए अपनाई गई विभिन्न सर्वोत्तम प्रचलनों और नवप्रवर्तनों का प्रदर्शन और इनका मसौदा तैयार किया जाएगा। यह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच ज्ञान साझा करने और सीखने का अवसर प्रदान करेगा।
स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार
सत्र को संबोधित करते हुए जे.पी. नड्डा ने कहा कि देश में 2014 से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवा से बढ़कर उपचारात्मक के साथ-साथ निवारक, प्रोत्साहनकारी और व्यापक पहलुओं को शामिल करने का रुख अपनाया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार ने प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य सेवा में सुधार के अलावा तृतीयक स्वास्थ्य सेवा का भी उन्नयन किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को लोगों को गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने पर जोर है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आयुष्मान मंदिर के कार्यों ने समग्र स्वास्थ्य सेवा पिरामिड में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का आधार सुदृढ़ किया है।
मातृ मृत्यु दर (MMR) में गिरावट
श्री नड्डा ने कहा कि भारत में मातृ मृत्यु दर (MMR) में गिरावट वैश्विक गिरावट से दोगुनी है, जो जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सुदृढ़ करने के प्रयासों को दर्शाती है। शिशु मृत्यु दर (IMR) और 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में भी उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। उन्होंने आईएमआर और एमएमआर में कमी पर ओडिशा को भी सराहनीय प्रगति का श्रेय दिया।
WHO की रिपोर्ट में भी भारत की सराहना
श्री नड्डा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक मलेरिया रिपोर्ट 2024 में मलेरिया के मामलों में भारत में उल्लेखनीय गिरावट का उल्लेख किया गया है। इसी तरह, भारत में 2015 से 2023 तक तपेदिक की घटनाओं में 17 दशमलव 7 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट आई है, जो WHO विश्व तपेदिक रिपोर्ट 2024 के अनुसार वैश्विक औसत गिरावट 8 दशमलव 3 प्रतिशत से दोगुनी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण व्यवधानों के बावजूद भारत ने तपेदिक उन्मूलन के अपने लक्ष्य में कमी नहीं आने दी है। उन्होंने 33 राज्यों के 455 जिलों में चल रहे 100 दिवसीय तपेदिक उन्मूलन अभियान का उल्लेख किया, जिसमें अब तक 5 लाख तपेदिक रोगियों का पता लगाया गया है।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का रहा रोल
किसी अभियान की सफलता में जनभागीदारी के महत्व का उल्लेख करते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की उपलब्धियों का श्रेय आशा कार्यकर्ताओं, राज्य स्वास्थ्य अधिकारी-(SHO) और जमीनी स्तर के अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को दिया। उन्होंने कहा कि भारत में स्वास्थ्य सेवा आधार को सुदृढ़ करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है। गैर-संचारी रोगों के खतरे से बचने के लिए श्री नड्डा ने जीवनशैली में बदलाव लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-(NHM) की सघन विशेष परिक्षण अभियान की सराहना की जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप और 3 प्रकार के कैंसर-ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की निःशुल्क जांच करती है। उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी जानी-मानी पत्रिका लैंसेट द्वारा हाल में किए गए एक अध्ययन का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना के तहत पंजीकृत मरीजों को 30 दिन के भीतर कैंसर का उपचार मिलने में 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे उपचार में कम विलंब हुआ और कैंसर पीडितों के वित्तीय बोझ में भी कमी आई।
200 जिलों में डे केयर कैंसर केन्द्र
श्री नड्डा ने कहा कि अगले तीन वर्षों में देश के प्रत्येक जिले में डे केयर कैंसर केंद्र स्थापित होंगे। इसी वर्ष 200 जिलों में इन्हें स्थापित किया जाएगा। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा और अधिक मजबूत बनाने के लिए टेली-मेडिसिन पर भी जोर दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर पर सर्वोत्तम प्रचलनों पर 9 वें राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन, 16 वें सामान्य समीक्षा मिशन रिपोर्ट, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के चार क्षेत्रीय सम्मेलन (2024-25) रिपोर्ट और गैर-संचारी रोग सम्मेलन रिपोर्ट (जनवरी 2025) पर एक कॉफी टेबल बुक भी विमोचित की। इस अवसर पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि केंद्र सरकार के स्वस्थ भारत दृष्टिकोण में ओडिशा एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ ओडिशा, समृद्ध ओडिशा के आदर्श वाक्य के साथ राज्य संयुक्त राष्ट्र के सभी सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिक ऊर्जा से ध्यान केंद्रित करेगा।
उड़ीसा के लोगों मिलेगा लाभ
श्री माझी ने कहा कि ओडिशा की गोपबंधु जन आरोग्य योजना का आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के साथ समेकिकरण एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे ओडिशा के लोग अब देश भर के 29 हजार से अधिक निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जा सकते हैं, जिससे चार करोड़ 50 लाख से अधिक लोग, विशेषकर राज्य के प्रवासी श्रमिक लाभान्वित होंगे। श्री माझी ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान, राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान-एनआईपीईआर और राष्ट्रीय वाणी एवं श्रवण संस्थान सहित राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थान खोले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ओडिशा में एक नया सरकारी नर्सिंग कॉलेज और चार दंत चिकित्सा कॉलेज खोले जाएंगे।
हर जिले में बनेगा अस्पताल
ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मुकेश महालिंग ने कहा कि ओडिशा में संस्थागत प्रसव में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं, जो 92 प्रतिशत से अधिक पहुंच गई हैं। उन्होंने कहा कि एमएमआर और आईएमआर के मामले में भी काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि ओडिशा के जिला अस्पतालों में कैंसर का इलाज और कीमोथेरेपी पहले से ही उपलब्ध है। श्री महालिंग ने कहा कि सरकार सुनिश्चित कर रही है कि ओडिशा के सभी जिलों में अस्पताल हों। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन समतापूर्ण, गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का सशक्त माध्यम बना है। उन्होंने कहा कि राज्य पहले आयोजित किए गए कॉमन रिव्यू मिशन (सीआरएम) से सर्वोत्तम प्रचलन और ज्ञान को साझा करने में सक्षम होंगे।