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सहजन का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद

सहजन का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। अब बाजार में सहजन की फलियां उतर गयी है। सब्जी के रूप में इसका घर—घर उपयोग होता है। लेकिन यह केवल सब्जी ही नहीं बल्कि स्वास्थ्यवद्र्धक होने के साथ—साथ कई रोगों की दवा भी है। चलिए इसके सेवन के फायदे से आपको परिचित कराते हैं।

सहजन के वृक्ष पूरे देश में

भारत एक उष्णकटिबंधीय प्रदेश वाला राष्ट्र है जहां बहुत सारे ऐसे वनस्पति पाए जाते हैं जो जड़ी-बूटी के अलावा प्राचीन काल से भारतीय व्यंजन के अभिन्न हिस्सा भी रहे हैं। इन्हीं वनस्पतियों में से एक वनस्पति का नाम सहजन है। भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक सहजन के वृक्ष पाए जाते हैं। लोग इसका पेड़ लगाते भी हैं जिसके पीछे का कारण यह है कि इसमें कई सूक्ष्म खनिज पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करते हैं। सहजन के फूल से उसकी सब्जी तक स्वाद में भी अच्छी होती है। सहजन का वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। इसके पेड़ की लंबाई न्यूनतम 20 फीट से लेकर के 60 फीट तक होती है। इसकी शाखाएं बहुत नरम होती है। इसमें लगने वाली फली की लंबाई लगभग एक फीट तक होती है। यदि वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो सबसे बड़ा उत्पादक देश सहजन का भारत है।

सहजन विटामिन से भरपूर

भारत में सहजन उत्तर भारत के राज्यों के अलावा दक्षिण भारत के राज्य और पूर्वोत्तर भारत के राज्य सहजन की खेती बड़ी मात्रा में करते हैं। भारत में हर वर्ष लगभग दो मिलियन टन से लेकर के चार मिलियन टन तक सहजन का उत्पादन होता है। यह आंकड़ा हर वर्ष बदलता रहता है। वर्षा और जलवायवीय दशा के अनुकूल या प्रतिकूल होने पर इसकी उत्पादकता घटती—बढ़ती रहती है। इसमें उपलब्ध पोषक तत्वों में विटामिन A, विटामिन B1, विटामिन B2, विटामिन B3, विटामिन B6, विटामिन C, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक और कैल्शियम होते हैं।

सहजन सेवन के फायदे

वजन घटाने में फायदेमंद : इसके सेवन से वजन घटाने में मदद मिलती है। कारण यह कि Anti-obesity का गुण पाया जाता है।
कैंसर के जोखिम में कमी: सहजन की पत्तियों में पॉलीफेनोल्स और पॉलीफ्लोनोइड्स नामक गुण पाया जाता है जो कैंसर की बढ़ती अनियमित कोशिकाओं को न केवल नियंत्रित करती है बल्कि कैंसर से निजात दिलाने में भी काफी अहम भूमिका निभाती है।
मधुमेह के स्तर पर नियंत्रण: यदि अनियमित खान-पान के कारण मधुमेह बढ़ जाता है तो प्रतिदिन सब्जी के रूप में सहजन को शामिल करें। इससे मधुमेह नियंत्रित हो जाएगा जो नियमित रूप से बढ़ रहा था। सहजन में Anti-diabetic का गुण भी पाया जाता है।
हड्डियां बनेंगी स्वस्थ : सहजन में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस जैसे सूक्ष्म में पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह पोषक तत्व हड्डियों में होने वाली बीमारी जैसे अर्थराइटिस, ओस्टियोपोरोसिस और साइटिका से सुरक्षा प्रदान करता है। इंडियन काउंसिल मेडिकल रिसर्च के एक शोध के अनुसार सहजन में एंटी ओस्टियोपोरोटिक का भी गुण पाया जाता है।
हार्ट रहेगा तंदुरुस्त: हार्ट की बीमारी बहुत ही खतरनाक होती है। जो भी व्यक्ति इससे प्रभावित होता है, उसका जीना दुश्वार हो जाता है क्योंकि उसके भोजन पर कई प्रकार के रोक—टोक लग जाते हैं। ऐसे में सहजन की पत्ती का सेवन करना चाहिए। सहजन की पत्तियों में बीटा कैरोटीन नामक प्रोटीन पाया जाता है जो हार्ट को तंदुरुस्त रखता है।
एनीमिया में मदद: सहजन की पत्तियों और फली में आयरन पाया जाता है। यह आयरन हीमोग्लोबिन के उत्पादन को बढ़ा देता है जिससे शरीर में ब्लड बनने लगता है। यदि शरीर में आयरन की कमी हो जाए तब शरीर में ब्लड बनना बंद हो जाएगा और खून की कमी हो जाएगी। एक कहावत भी है कि सहजन की सब्जी खाने वाले का जीवन सहजन की तरह लंबा हो जाता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार: जिस भी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता आवश्यक मापदंडों से कमजोर रहता है, उसको कोई न कोई बीमारी जरूर घेर लेती है। वह हर समय अपनी उपचार में ही लगा रहता है। लेकिन जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, वह किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में अपना जीवन जी सकता है। सहजन की पत्तियों या फली का सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती और मौसमी बीमारियों से बचाव भी होगा। इससे कुछ नुकसान भी हैं जैसे छाल के सेवन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए। इससे गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है। लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। इसके ज्यादा सेवन से ग्लूकोज में कमी हो सकती है।

कैसें करें सहजन का उपयोग

सहजन की पत्तियों और फली का सब्जी बना करके इसको अपने डेली रूटीन का भाग बना सकते हैं। चिकित्सक से परामर्श करने के बाद इसका टेबलेट भी उपयोग कर सकते हैं। सहजन की पत्तियों को पानी में उबालकर के इसका सूप भी बना सकते हैं। चाहें तो सहजन की पत्तियों को धूप में सुखा करके उसका पाउडर बना लें। पाउडर बनाने के बाद आप उसका सेवन सब्जी, सलाद, दाल आदि में कर सकते हैं। यह डायबिटीज, मोटापा, बालों का झड़ना, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना आदि से सुरक्षा प्रदान करता है। इसे प्रतिदिन संतुलित मात्रा में खाना चाहिए।

(साभार)

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