दिल्ली/03-12-2015:
पत्रकार चाहे ऑन ड्यूटी हो या ऑफ ड्यूटी अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से कभी पीछे नहीं हटते। बिहार में होने वाली शराब बंदी को लेकर अवैध रूप से नशीली दवा के कारोबार बढ़ने की आशंका है। इस बावत वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर वात्स्यायन ने चिंता जाहिर की है। अपने फेसबुक वाल पर उन्होंने कुछ महत्पूर्ण जानकारी व सुझाव साझा की है। स्वस्थ भारत अभियान बिहार की सरकार से आग्रह करता है इन सुझावों पर ध्यान दे। – संपादक
बहुत सचेत रहने की जरुरत है । कफ सिरप बनाने वाली देश की सभी कंपनियों को बिहार का मार्केट 1 अप्रैल,2016 से बहुत विस्तारित रुप में दिख रहा है। मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने 1 अप्रैल से बिहार में शराबबंदी की घोषणा की है। ऐसे में,कफ सीरप की मांग बिहार में अत्यधिक बढ़ेगी,इंडस्ट्री ने हिसाब बैठा लिया है। बगैर मर्ज कफ सीरप का सेवन नशा के लिए होता है। इसमें कोडीन नामक रसायन मिला होता है । कोडीन की मात्रा जितनी अधिक होगी,नशा उतना ही अधिक। कफ सीरप पीने से दिमागी इंद्रियां सुस्त हो जाती हैं । अधिक प्रयोग मिरगी रोग का शिकार बना देती है। कई तरह के मस्तिष्क रोग भी होते हैं। कम उम्र वाले तो जल्दी गिरफ्त में आते हैं । कई कंपनियां जानते हुए भी कफ सीरप में कोडीन की मात्रा अधिक मिलाती है । इनकी मांग नशा के लिए कफ सीरप पीने वालों के बीच अधिक होती है।
बिहार पहले से कफ सीरप के गंदे धंधे के लिए बदनाम रहा है। बांग्लादेश और नेपाल तक बिहार के रास्ते कफ सीरप की नाजायज पहुंच है। बिहार की सबसे बड़ी दवा मंडी पटना के गोविन्द मित्रा रोड में तो कइयों की पहचान ही कफ सीरप वाले के रुप में है। मतलब,इनके कारोबारी इंपायर में कफ सीरप की बेहिसाब बिक्री का बड़ा योगदान है ।
बगैर डाक्टरी पुर्जा कफ सीरप नहीं बेची जा सकती । पर बिकती हर जगह है । कई दफे खबर मिलती रहती है कि गार्डेन की साफ-सफाई में कफ सीरप की बोतलें जब्त हो रही हैं। यह अपने आप में खतरनाक संकेतक है। फिर जब, 1 अप्रैल से शराबबंदी होगी,तो कफ सीरप की बिक्री में बेहिसाब वृद्धि को रोकना बड़ी चुनौती होगी । कफ सीरप की तरह ही नशा देनेे वाली दूसरी दवाओं की बिक्री पर भी नजर रखनी होगी।
शराबबंदी की चुनौतियों को लेकर मुख्य मंत्री ने बिहार के उत्पाद विभाग को एक्शन प्लान बनाने को कहा है । पर इस एक्शन प्लान की तैयारी में अभी से ही कई दूसरे विभागों को शामिल कर लेना आवश्यक होगा । मसलन,हेल्थ व फूड एंड सिविल सप्लाई डिपार्टमेंट को । इसका आकलन दिसंबर-जनवरी में ही कर लेना चाहिए कि बिहार में अभी कफ सीरप की बिक्री औसतन कितनी है । मौसम के बदलाव के वक्त मांग में तेजी-कमी का हिसाब लगना चाहिए । फिर इसके बाद 1 अप्रैल, 2016 से कफ सीरप की बिक्री पर सतत् निगरानी रखनी होगी । चूक हुई तो दारु दुकान की बंदी के बाद कफ सीरप की मांग के लिए दवा दुकानों पर लोग पहुंचेंगे । सो, अभी से सावधान……
साभार : ज्ञानेश्वर वात्स्यान के फेसबुक वाल से