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कोविड-19 परीक्षण तेज करने के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी ने की पहल

सीएसआईआर-आईएचबीटी की पहल कोविड-19 से लड़ने में सहायक सिद्ध हो सकती है। पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट

उमाशंकर मिश्र

Twitter handle : @usm_198
नई दिल्ली, 16 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर):
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर इसके परीक्षण के प्रयासों को तेज करना जरूरी हो गया है। हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) ने संकट के इस समय में महत्वपूर्ण पहल करते हुए गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, टांडा में कोविड-19 की परीक्षण क्षमता को मजबूत करने के लिए “क्वालिटेटिव रियल टाइम पॉलिमरेज चेन रिएक्शन (qRT-PCR)” सुविधा उपलब्ध करायी है। आईएचबीटी की इस पहल के बाद स्थानीय स्तर पर कोविड-19 के परीक्षण को बढ़ावा मिल सकता है।

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हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की 38 प्रयोगशालाओं में शामिल एक प्रमुख प्रयोगशाला है। सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ संजय कुमार ने कहा है कि “qRT-PCR अत्यधिक संवेदनशील उपकरण है, जो लक्षित नमूनों में वायरल आरएनए कीनिम्नतम मात्रा का भी पता लगा सकता है। टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ भानु अवस्थी ने कहा है कि “यह सुविधा उनके संस्थान मेंकोविड-19 परीक्षण क्षमता बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण हो सकती है।”इन दोनों संस्थानों ने संयुक्त अनुसंधान के क्षेत्र में समझौते किए हैं और अब इस वायरस के अनुक्रमण का कार्य करने के लिए भी मिलकर काम कर रहे हैं।

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रियल टाइम पीसीआर मशीन परीक्षण के लिए सबसे पहले रोगी से नाक या मौखिक स्वैब (Swab) नमूने एकत्र किए जाते हैं और उसमें मौजूद आरएनए को मानक तरीकों द्वारा अलग किया जाता है। यदि नमूने में वायरस मौजूद है तो उसका आरएनए भी इस चरण में अलग कर लिया जाता है। आरएनए नमूने क्यूआरटी-पीसीआर मशीन पर लोड किए जाते हैं, जहां आरएनए पहले सीडीएनए में परिवर्तित हो जाते हैं और उसके बाद थर्मल साइकलिंग के माध्यम से वायरल सीडीएनए का प्रवर्धन (Amplification) होता है। प्रवर्धन प्रक्रिया को वायरल जीनोमिक अनुक्रम के लिए विशेष रूप से बाध्यकारी प्राइमर्स (Binding Primers) की आवश्यकता होती है। उपयुक्त धनात्मक एवं ऋणात्मक नियंत्रणों का उपयोग करते हुए qRT-PCR मशीन क्लिनिकल नमूनों में कोविड-19 वायरस का पता लगाती है।
परीक्षण की यह पद्धति विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)से मान्यता प्राप्त है।
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