स्वस्थ भारत मीडिया
समाचार / News

कोविड-19 संक्रमणरोधी नया सुरक्षित रोगाणुनाशक विकसित

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी ने बेहतर रोगाणुनाशकों की तत्काल आवश्यकता पैदा कर दी है जो संक्रामक रोगों के प्रसार को रोक सकें। एक नये अध्ययन में भारतीय शोधकर्ताओं ने शीत वायुमंडलीय दबाव प्लाज्मा (CAP) की मदद से प्लाज्मा आधारित रोगाणुनाशक विकसित किया है जो कोविड-19 और इसके जैसे अन्य रोगों का संक्रमण रोकने में हरित विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है।

हरित विकल्प की हुई खोज

भारतीय शोधकर्ताओं की यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश रोगाणुनाशकों में ऐसे रसायनों का उपयोग होता है जो पर्यावरण को हानि पहुँचातेे हैं। इसी कारण दुनियाभर के शोधकर्ता रोगजनक सूक्ष्मजीवों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए हरित विकल्पों की खोज में जुटे हुए हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से सम्बद्ध विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (IASST), गुवाहाटी के वैज्ञानिक डॉ. कामची शंकरनारायणन, डॉत्र मोजीबुर आर. खान और डॉ. एच. बाइलुंग की टीम ने दिखाया है कि शीत वायुमंडलीय दबाव (CAP) द्वारा उत्पन्न प्लाज्मा में सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन को निष्क्रिय करने की क्षमता है जो वायरल संक्रमण बढ़ाने के लिए मानव एसीई-2 रिसेप्टर से बंध जाता है।

ऐसे काम करेगा प्लाज्मा

प्लाज्मा पदार्थ की चौथी अवस्था है जो ब्रह्मांड का अधिकांश भाग बनाती है। इसे प्रयोगशाला में नियंत्रित परिस्थितियों में उत्पादित होने पर शीत वायुमंडलीय दबाव प्लाज्मा कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने एक उच्च वोल्टेज विद्युत क्षेत्र के माध्यम से हीलियम, ऑर्गन जैसी प्लाज्मा बनाने वाली गैसों को प्रवाहित किया जिससे आयनों के मिश्रण के साथ एक स्थिर प्लाज्मा और अभिक्रिया कक्ष के भीतर सीएपी की एक गुलाबी चमक का उत्सर्जन करने वाले इलेक्ट्रॉनों का निर्माण होता है। यह अध्ययन RSC (रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री) एडवांसेस के अंतरराष्ट्रीय जर्नल में हाल ही में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सीएपी उपचार के दो मिनट के भीतर प्लाज्मा में उत्पन्न अल्पकालिक उच्च प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन प्रजातियों (ROC-RNS) के कारण स्पाइक प्रोटीन पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाता है। आरटी-पीसीआर विश्लेषण से पता चलता है कि सीएपी सार्स-सीओवी-2 वायरस के आरएनए को निष्क्रिय कर सकता है।

1.54 लाख से अधिक परीक्षण

यह अध्ययन IASST की कोविड-19 परीक्षण और अनुसंधान सुविधा केंद्र में किया गया है। इस संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आशीष के. मुखर्जी के अनुसार अब तक 1.54 लाख से अधिक परीक्षण इस सुविधा केंद्र में हो चुके हैं। इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ कामची शंकरनारायणन, और डॉ एच. बाइलुंग ने कहा कि विभिन्न जीवाणु या कवक संक्रमण को दूर करने के लिए इस विसंक्रमण विधि को आगे बढ़ाया जा सकता है।

इंडिया साइंस वायर से साभार

Related posts

अपनी मौत तो नहीं पी रहे हैं!

Ashutosh Kumar Singh

20 साल में वायु प्रदूषण से 135 मिलियन लोगों की मौत

admin

इलाज की दर में समानता के लिए चाहिए वक्त : केंद्र सरकार

admin

Leave a Comment